पाकिस्तान की जांबाज महिला कमांडो, जो स्केटिंग करते हुए पकड़ेंगी अपराधियों को

पाकिस्तान में लड़कियों का ये दस्ता काफी सघन प्रशिक्षण से गुजरा- सांकेतिक फोटो (twitter)
कराची की गाड़ियों से भरी सड़कों से लेकर तंग गलियों तक में ये जांबाज महिला कमांडो (female commando Pakistan) स्केट्स के सहारे पहुंच जाएंगी. अपराधियों से निपटने के लिए इन्हें हर तरह का हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 16, 2021, 8:16 PM IST
पाकिस्तान के कराची में नया प्रयोग हो रहा है. वहां पुलिस के विकल्प के तौर पर स्केटिंग कमांडो (skating commandos) तैनात हुए हैं. जैसा कि नाम से समझ आता है, ये पैरों पर स्केट्स पहने हुए कराची की सड़कों पर घूमेंगे और संदिग्धों को पकड़ेंगे. खास बात ये है कि स्केटिंग कमांडो के तौर पर लड़कियों की तैनाती हुई है.
कराची में बढ़े अपराध
लगभग 15 मिलियन आबादी के साथ पाकिस्तान का कराची न केवल व्यापार-व्यावसाय का केंद्र है, बल्कि देश के यही हिस्सा सबसे ज्यादा राजस्व भी पैदा करता है. लेकिन इस शहर का एक पहलू ये भी है कि ये साथ-साथ में अपराध का केंद्र बन चुका है, जहां दुनिया के सबसे ज्यादा मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों के तार जुड़े हैं.
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यही सब देखते हुए अब पाकिस्तान सरकार कराची में 20 स्केटिंग कमांडो की तैनाती कर चुकी है, जिनमें से 10 लड़कियां हैं. फरवरी से इनका काम शुरू होगा और उम्मीद की जा रही है कि कराची की थकी हुई पुलिस के विकल्प के तौर पर ये स्केटिंग कमांडो काम करेंगे.

लड़कियों का दस्ता काफी सघन प्रशिक्षण से गुजरा
इन्हें हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग मिली. लेकिन सबसे खास बात है कि तंग और गाड़ियों से भरी सड़कों पर ये तेजी से भाग सकेंगी ताकि पैदल या गाड़ी में भागते अपराधी का पीछा कर सकें. इन कमांडों के साथ कार या मोटरबाइक पर पेट्रोलिंग यूनिट भी होगी लेकिन उम्मीद की जा रही है कि ये स्केटिंग कमांडो खुद ही सारे फैसले ले सकेंगी.
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पाकिस्तानी महिलाओं ने पहले भी दिखाई बहादुरी
महिलाओं के मामले में पाकिस्तान जैसे पिछले मुल्क के बारे में ये कल्पना मुश्किल है कि वहां सड़कों पर हथियार लिए लड़कियां फर्राटे से दौड़ें लेकिन महिलाओं को लेकर ये देश पहले भी इस तरह का प्रयोग कर चुका है. साल 2018 में कराची में जब चीनी वाणिज्यिक दूतावास पर चरमपंथियों ने हमला किया तब एक महिला कमांडो सुहाई अजीज तालपुर ने जिस तरह बहादुरी दिखाई, उससे वो पूरे पाकिस्तान में चर्चाओं में आ गई थीं.

महिला कमांडो बढ़ीं
उनके साथ ही वहां की औरतों का एक मजबूत चेहरा भी उभरकर आया. यहां पर महिला कमांडो की संख्या तेजी से बढ़ी है. जो जबरदस्त तरीके से जांबाज साबित हो रही हैं. दिलचस्प बात ये है कि कमांडो ट्रेनिंग ले रही अधिकतर महिलाएं ख़ैबर पख़्तूनख्वा से ताल्लुक रखती हैं जहां महिलाओं को परदे में ही रखने पर जोर दिया जाता है.
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सबसे मुश्किल इलाके से आती हैं लड़कियां
वॉइस ऑफ अमेरिका के उर्दू डिवीजन के मुताबिक साल 2018 में लगभग 600 महिला कमांडो की पंजाब पुलिस में नियुक्ति हुई. ख़ैबर पख़्तूनख्वा के नौशेरा में इनकी सख्त ट्रेनिंग हुई, जिसमें मुश्किल हालात का सामना करने से लेकर हथियार और ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग दी गई. इनमें से बहुतेरी महिलाएं उन घरों से आती हैं, जहां पर औरतों का बाहर निकलना तो दूर उनकी पढ़ाई-लिखाई भी नहीं कराई जाती.
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वैसे पाकिस्तान में महिलाओं के फोर्स से जुड़ने का इतिहास बहुत पुराना है. यहां के ह्यूमन राइट्स कमीशन के साल 2010 में जारी डाटा के अनुसार सबसे पहले 1939 में सात महिला कॉस्टेबलों ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चल रहे एक अभियान में भाग लिया था. इसके बाद 1952 में ये संख्या 25 पार कर गई.

साल 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के प्रयासों से रावलपिंडी में पहला महिला थाना बना बना. जहां से ये पेशावर, कराची और लरकाना और फिर पूरे देश में फैल गया. हालांकि आतंकवाद निरोधक दस्ते में महिलाओं की नियुक्ति बहुत बाद में नवंबर 2014 से होनी शुरू हुई, तब से सिलसिला चल निकला.
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आतंकवाद निरोधक दस्ते के लिए महिलाओं का प्रशिक्षण किसी भी तरीके से पुरुषों से अलग नहीं होता है. राइफल चलाने से लेकर ग्रेनेड चलाने और खतरनाक इलाकों में आतंकी साजिशें विफल करते हुए आगे बढ़ने की इन्हें ट्रेनिंग मिलती है. आतंकी हमलों, किसी प्राकृतिक आपदा में यही दस्ता सबसे पहले प्रतिक्रिया देता है यानी हालत पर काबू पाने की कोशिश करता है. पाकिस्तान में महिला आतंकवाद निरोधक दस्ते की मॉटो लाइन है- Respect us, fear us यानी हमारा सम्मान करें, हमसे डरें. ये पड़ोसी देश में औरतों की हालात का इशारा देते हुए ये भी बताता है कि उससे छवि तोड़ने के लिए वे कितनी कोशिशें कर रही हैं.
कराची में बढ़े अपराध
लगभग 15 मिलियन आबादी के साथ पाकिस्तान का कराची न केवल व्यापार-व्यावसाय का केंद्र है, बल्कि देश के यही हिस्सा सबसे ज्यादा राजस्व भी पैदा करता है. लेकिन इस शहर का एक पहलू ये भी है कि ये साथ-साथ में अपराध का केंद्र बन चुका है, जहां दुनिया के सबसे ज्यादा मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों के तार जुड़े हैं.
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यही सब देखते हुए अब पाकिस्तान सरकार कराची में 20 स्केटिंग कमांडो की तैनाती कर चुकी है, जिनमें से 10 लड़कियां हैं. फरवरी से इनका काम शुरू होगा और उम्मीद की जा रही है कि कराची की थकी हुई पुलिस के विकल्प के तौर पर ये स्केटिंग कमांडो काम करेंगे.

पाकिस्तान में महिला कमांडो की संख्या तेजी से बढ़ी है- सांकेतिक फोटो
लड़कियों का दस्ता काफी सघन प्रशिक्षण से गुजरा
इन्हें हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग मिली. लेकिन सबसे खास बात है कि तंग और गाड़ियों से भरी सड़कों पर ये तेजी से भाग सकेंगी ताकि पैदल या गाड़ी में भागते अपराधी का पीछा कर सकें. इन कमांडों के साथ कार या मोटरबाइक पर पेट्रोलिंग यूनिट भी होगी लेकिन उम्मीद की जा रही है कि ये स्केटिंग कमांडो खुद ही सारे फैसले ले सकेंगी.
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पाकिस्तानी महिलाओं ने पहले भी दिखाई बहादुरी
महिलाओं के मामले में पाकिस्तान जैसे पिछले मुल्क के बारे में ये कल्पना मुश्किल है कि वहां सड़कों पर हथियार लिए लड़कियां फर्राटे से दौड़ें लेकिन महिलाओं को लेकर ये देश पहले भी इस तरह का प्रयोग कर चुका है. साल 2018 में कराची में जब चीनी वाणिज्यिक दूतावास पर चरमपंथियों ने हमला किया तब एक महिला कमांडो सुहाई अजीज तालपुर ने जिस तरह बहादुरी दिखाई, उससे वो पूरे पाकिस्तान में चर्चाओं में आ गई थीं.

महिला कमांडो सुहाई अजीज तालपुर ने जिस तरह बहादुरी दिखाई, उससे वो पूरे पाकिस्तान में चर्चाओं में आ गई थीं
महिला कमांडो बढ़ीं
उनके साथ ही वहां की औरतों का एक मजबूत चेहरा भी उभरकर आया. यहां पर महिला कमांडो की संख्या तेजी से बढ़ी है. जो जबरदस्त तरीके से जांबाज साबित हो रही हैं. दिलचस्प बात ये है कि कमांडो ट्रेनिंग ले रही अधिकतर महिलाएं ख़ैबर पख़्तूनख्वा से ताल्लुक रखती हैं जहां महिलाओं को परदे में ही रखने पर जोर दिया जाता है.
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सबसे मुश्किल इलाके से आती हैं लड़कियां
वॉइस ऑफ अमेरिका के उर्दू डिवीजन के मुताबिक साल 2018 में लगभग 600 महिला कमांडो की पंजाब पुलिस में नियुक्ति हुई. ख़ैबर पख़्तूनख्वा के नौशेरा में इनकी सख्त ट्रेनिंग हुई, जिसमें मुश्किल हालात का सामना करने से लेकर हथियार और ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग दी गई. इनमें से बहुतेरी महिलाएं उन घरों से आती हैं, जहां पर औरतों का बाहर निकलना तो दूर उनकी पढ़ाई-लिखाई भी नहीं कराई जाती.
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वैसे पाकिस्तान में महिलाओं के फोर्स से जुड़ने का इतिहास बहुत पुराना है. यहां के ह्यूमन राइट्स कमीशन के साल 2010 में जारी डाटा के अनुसार सबसे पहले 1939 में सात महिला कॉस्टेबलों ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चल रहे एक अभियान में भाग लिया था. इसके बाद 1952 में ये संख्या 25 पार कर गई.

पाकिस्तान जैसे पिछले मुल्क के बारे में ये कल्पना मुश्किल है कि वहां सड़कों पर हथियार लिए लड़कियां फर्राटे से दौड़ें - सांकेतिक फोटो
साल 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के प्रयासों से रावलपिंडी में पहला महिला थाना बना बना. जहां से ये पेशावर, कराची और लरकाना और फिर पूरे देश में फैल गया. हालांकि आतंकवाद निरोधक दस्ते में महिलाओं की नियुक्ति बहुत बाद में नवंबर 2014 से होनी शुरू हुई, तब से सिलसिला चल निकला.
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आतंकवाद निरोधक दस्ते के लिए महिलाओं का प्रशिक्षण किसी भी तरीके से पुरुषों से अलग नहीं होता है. राइफल चलाने से लेकर ग्रेनेड चलाने और खतरनाक इलाकों में आतंकी साजिशें विफल करते हुए आगे बढ़ने की इन्हें ट्रेनिंग मिलती है. आतंकी हमलों, किसी प्राकृतिक आपदा में यही दस्ता सबसे पहले प्रतिक्रिया देता है यानी हालत पर काबू पाने की कोशिश करता है. पाकिस्तान में महिला आतंकवाद निरोधक दस्ते की मॉटो लाइन है- Respect us, fear us यानी हमारा सम्मान करें, हमसे डरें. ये पड़ोसी देश में औरतों की हालात का इशारा देते हुए ये भी बताता है कि उससे छवि तोड़ने के लिए वे कितनी कोशिशें कर रही हैं.