दुनिया को प्रेस की स्वतंत्रता (Freedom of Press) की पहले से ज्यादा जरूरत है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
प्रेस की स्वतंत्रता (Freedom of Press) को लेकर दुनिया भर में चर्चाएं होती हैं. लोकतंत्र में तो उसे चौथा स्तंभ कहा जाता है. दुनिया के कई देशों में प्रेस (Press) यानि अभव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रतीक को आजादी नहीं हैं और लोगों को सही जानकारी तक पहुंचने का अधिकार से वंचित रखा जाता है. ऐसा अक्सर देश के प्रति खतरे के नाम पर किया जाता है. दुनिया भर में प्रेस की आजादी को सम्मान देने और उसके महत्व को रेखांकित करने के लिए 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) मनाया जाता है.
क्या है अहमियत
आज प्रेस और उसके अन्य आधुनिक स्वरूप जिसे मीडिया भी कहा जाता है, की अहमियत जितनी है उतनी पहले कभी नहीं हुआ करती थी. सूचनाओं के आदान प्रदान के माध्यम इंटरनेट के कारण बहुत तेजी से हो पा रहा है. सूचनाएं पाना और उन्हें सही जगह पहुंचाना फिर समस्या हो सकता है क्योंकि कई जगह के शासन ऐसी पाबंदियां लगाकर रखते हैं जिसे प्रेस की आजादी को
दिया जाता है एक अवार्ड
यूनेस्को 1997 से हर साल 3 मई को विश्व स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस मौके पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार भी दिया जाता है. यह पुरस्कार उस संस्थान या व्यक्ति को दिया जाता है जिसने प्रेस के आजादी के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो. अनोखी बात यह है कि भारत के किसी भी पत्रकार या संस्थान को अभी तक यह पुरस्कार नहीं दिया गया है.
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Tags: Research, Science, UNESCO, United nations
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