Yes Bank Crisis: 10 प्वाइंट में समझें कैसे बर्बाद होता चला गया ये निजी बैंक और RBI को लगाने पड़े प्रतिबंध

Yes Bank ग्राहकों के लिए राहत की खबर
यस बैंक के संकट (Yes Bank Crisis) का दौर उसी समय शुरू हो गया था, जब दो मालिकों में एक अशोक कपूर (Ashok Kapoor) की मुंबई हमले में मौत के बाद परिवार में मालिकाना हक को लेकर कलह शुरू हो गया था. अदालती फैसला भी दूसरे मालिक राणा कपूर (Rana Kapoor) के पक्ष में आया. पारिवारिक कलह का असर बैंक के कामकाज पर पड़ता रहा. अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने यस बैंक पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: March 7, 2020, 6:01 PM IST
नई दिल्ली. आम उपभोक्ताओं में यस बैंक (Yes) काफी पसंद किया जाता रहा है. दरअसल, यह बैंक अन्य बैंकों के मुकाबले जमा पर ज्यादा ब्याज देता रहा है. हालांकि, अब इस बैंक का खराब दौर शुरू हो चुका है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नकदी के संकट (Cash Crunch) से जूझ रहे निजी क्षेत्र के इस बैंक पर प्रतिबंध लगाते हुए निदेशक मंडल (Board of Directors) को भंग कर दिया है. आरबीआई ने जमकर्ताओं (Consumers) के लिए निकासी सीमा 50,000 रुपये तय कर दी है. बैंक की बर्बादी की शुरुआत उसी दिन से हो गई थी, जिस दिन बैंक के मालिकाना हक को लेकर परिवार में कलह शुरू हुआ और ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया. आइए 10 प्वाइंट में समझते हैं कि उपभोक्ताओं का पसंदीदा और दो रिश्तेदार अशोक कपूर व राणा कपूर का 2004 में शुरू किया गया बैंक धीरे-धीरे कैसे बर्बादी की कगार पर पहुंचा...
>> मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत हुई. इसके बाद 2011 में कपूर परिवार में कलह शुरू हो गया. अशोक की पत्नी मधु बेटी शगुन को बैंक के बोर्ड में शामिल करना चाहती थीं.
>> बैंक के कामकाज पर पारिवारिक कलह हावी होने लगा. मामला मुंबई की अदालत तक पहुंचा, जिसमें राणा कपूर की जीत हुई.
>> थोड़े समय के लिए युद्ध पर विराम लगा और रणवीर गिल को बैंक का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया.
>> धीरे-धीरे प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी बेचनी शुरू कर दी.
>> राणा कपूर को अक्टूबर 2019 में अपने शेयर बेचने पड़े. राणा कपूर और उनके ग्रुप की बैंक में हिस्सेदारी घटकर 4.72 फीसदी रह गई.
>> सीनियर ग्रुप प्रेसीडेंट रजत मोंगा ने 3 अक्टूबर को इस्तीफा दे किया. उन्होंने सितंबर में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी.

>> बैंक पर कुल 24 हजार करोड़ डॉलर की देनदारी है. बैंक ने अपना रेजॉल्यूशन प्लान SBI, HDFC, एक्सिस बैंक और LIC को सौंपा था, लेकिन प्लान पर लेंडर्स में सहमति नहीं बनी है.
>> अगस्त, 2018 में बैंक के शेयर का प्राइस 400 रुपये था, जो नकदी की कमी के चलते फिलहाल 37 रुपये के आसपास है.
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>> मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत हुई. इसके बाद 2011 में कपूर परिवार में कलह शुरू हो गया. अशोक की पत्नी मधु बेटी शगुन को बैंक के बोर्ड में शामिल करना चाहती थीं.
>> बैंक के कामकाज पर पारिवारिक कलह हावी होने लगा. मामला मुंबई की अदालत तक पहुंचा, जिसमें राणा कपूर की जीत हुई.
>> थोड़े समय के लिए युद्ध पर विराम लगा और रणवीर गिल को बैंक का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया.

निजी क्षेत्र के यस बैंक के डूबने का बड़ा कारण पारिवारिक कलह भी बना.
> इसी दौरान कॉर्पोरेट गवर्नेंस से समझौते के मामले सामने आए और बैंक कर्ज की चपेट में आ गया.
>> धीरे-धीरे प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी बेचनी शुरू कर दी.
>> राणा कपूर को अक्टूबर 2019 में अपने शेयर बेचने पड़े. राणा कपूर और उनके ग्रुप की बैंक में हिस्सेदारी घटकर 4.72 फीसदी रह गई.
>> सीनियर ग्रुप प्रेसीडेंट रजत मोंगा ने 3 अक्टूबर को इस्तीफा दे किया. उन्होंने सितंबर में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी.

राणा कपूर को बैंक में अपनी हिस्सेदारी तक बेचनी पड़ी. देश के किसी लेंडर ने यस बैंक के रेजॉल्यूशन प्लान पर सहमति नहींं जताई.
> यस बैंक से कर्ज लेने वाली ज्यादातर कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर हैं. कंपनियों के डूबने पर बैंक की हालत बिगड़ती गई.
>> बैंक पर कुल 24 हजार करोड़ डॉलर की देनदारी है. बैंक ने अपना रेजॉल्यूशन प्लान SBI, HDFC, एक्सिस बैंक और LIC को सौंपा था, लेकिन प्लान पर लेंडर्स में सहमति नहीं बनी है.
>> अगस्त, 2018 में बैंक के शेयर का प्राइस 400 रुपये था, जो नकदी की कमी के चलते फिलहाल 37 रुपये के आसपास है.
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