ग्रैंड पेरेंट्स को बनाएं बच्चे का बेस्ट फ्रेंड.
बीते समय में जब जॉइंट फैमिली हुआ करती थी और घर के सभी सदस्य एक साथ, एक छत के नीचे बैठते थे, तो उस वक्त घर के किसी भी सदस्य को किसी दूसरे सदस्य से बॉन्डिंग बनाने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती थी. जैसे-जैसे वक्त बदला है, जॉइंट फैमिली में रहने के बावजूद घर के सभी सदस्यों का इकट्ठा रह पाना मुश्किल हो चला है. पढ़ाई और नौकरी की वजह से दो पीढ़ियों के बीच दूरी बढ़ती ही गई.
इसका गहरा असर नई और पुरानी पीढ़ी पर पड़ा है. जो बच्चे साल में एक से दो बार अपने ग्रैंड पेरेंट्स से मिलते हैं, उन बच्चों की बॉन्डिंग दादा-दादी या नाना- नानी के लाख चाहने पर भी बेहतर नहीं हो पाती है. यह बात जितनी ग्रैंड पेरेंट्स को दुखी करती है, बच्चे के माता-पिता भी इस बात से इतना ही परेशान होते हैं. चूंकि इसमें बच्चों की गलती नहीं होती, इसलिए उन्हें कुछ कहा भी नहीं जा सकता. आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसी बातें, जिन्हें अपनाकर आप ग्रैंड पेरेंट्स और बच्चों के बीच की दूरी कम कर सकेंगे.
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अपने बचपन के किस्से सुनाएं – बच्चों को ग्रैंड पेरेंट्स से जोड़ने का उम्दा तरीका होगा, अगर आप अपने बचपन से जुड़े किस्से उन्हें सुनाएंगे. कोशिश करें कि इसमें अपने पेरेंट्स की ऐसी बातें बताएं, जिसे सुनकर बच्चा रोमांचित हो उठे और जब वह अपने ग्रैंड पेरेंट्स से मिले, तो उनसे उन किस्सों का ज़िक्र करें. इससे दो पीढ़ियों के बीच की दूरियां कम होंगी.
फैमिली ट्रिप प्लान करें – लॉन्ग वीकेंड हो या फिर हॉलिडे बच्चे और अपने माता-पिता के बीच रिश्ता बेहतर करने का अच्छा कि आप फैमिली ट्रिप प्लान करें. इससे बच्चे ग्रैंड पेरेंट्स के साथ ज़्यादा समय बिताएंगे और उनकी कंपनी में धीरे-धीरे घुलने लगेंगे.
ग्रैंड पेरेंट्स के साथ घूमने जाए बच्चा – अगर बच्चा अपने ग्रैंड पेरेंट्स से दूर भी रह रहा है, तो भी उनके बीच दोस्ती बढ़ाई जा सकती है. दो बिलकुल अलग जेनेरेशन की दोस्ती का सबसे अच्छा तरीका है, जब भी वे मिलें, उन्हें एक-दूसरे बिताने का मौका देना. फिर वो वक्त कुछ देर पार्क, मॉल या किसी मेले में ही क्यों न बीते. उन दोनों को एक दूसरे के साथ बाहर जानें के लिए प्रोत्साहित करें.
बच्चे की एक्टिविटी में ग्रैंड पेरेंट्स को शामिल करें – बच्चा ड्राइंग करे, स्कूल प्रोजेक्ट्स बनाए या फिर अपनी हॉबी से जुड़ा कुछ काम करे, अपने पेरेंट्स को बच्चे की एक्टिविटी में हिस्सा लेने को प्रोत्साहित करें. इससे बच्चा ग्रैंड पेरेंट्स के साथ कम्फर्टेबले महसूस करेगा.
बच्चे को ग्रैंड पेरेंट्स के साथ सोने दें – अगर बच्चा ग्रैंड पेरेंट्स के साथ सोने की ज़िद करे या फिर ग्रैंड पेरेंट्स ही बच्चे को अपने पास सुलाना चाहें, तो उन्हें रोके नहीं. ये सोचना कि बच्चे को आदत नहीं है या बच्चा ग्रैंड पेरेंट्स को परेशान करेगा, ठीक नहीं है. वे दोनों एक दूसरे के साथ जैसे कम्फर्टेबल महसूस करते हैं, उन्हें वैसे ही रहने दें.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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