अपरा/अचला एकादशी: व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

अपरा एकादशी व्रत नियम, अपरा एकादशी 2019
आज अपरा/अचला एकादशी मनाई जा रही है. इस एकादशी को भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी के काम से भी जाना जाता है.
- News18Hindi
- Last Updated: May 30, 2019, 9:55 AM IST
Panchang 2019, Ekadashi Calendar 2019: आज 30 मई गुरुवार को अचला एकादशी मनाई जा रही है. 29 मई को दोपहर में 03:21 बजे से ही एकादशी तिथि लग गई थी जो आज 30 मई को शाम 04:38 बजे तक रहेगी. इसलिए भक्त 30 मई को ही अपरा एकादशी व्रत रख रहे हैं. व्रत रखने वाले भक्त 31 मई को सुबह 05:45 बजे से 08:25 बजे के बीच व्रत खोल सकेंगे.इस एकादशी को भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी के काम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत धार्मिक महत्व है. हर साल कई एकादशी पड़ती हैं.
मान्यता है कि एकादशी के दिन जो भी भक्त पूरे विधि-विधान के साथ पूरे दिन उपवास करता है उसके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और उसे समाज में यश और वैभव की प्राप्ति होती है.
एकादशी की पूजा-विधि: एकादशी व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानी कि दशमी के दिन से ही करनी शुरू कर दें. इसके लिए दशमी को रात में खाना खाने के बाद अच्छे से दातून से दांतों को साफ़ कर लें ताकि मुंह जूठा न रहे. इसके बाद आहार ग्रहण न करें और खुद पर संयम रखें. साथी के साथ शारीरिक संबंध से परहेज करें. एकादशी के दिन सुबह उठकर नित्यकर्म करने के बाद. नए कपड़े पहनकर पूजाघर में जाएं और भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प मन ही मन दोहरायें. इसके बाद भगवान विष्णु की आराधना करें और पंडित जी से व्रत की कथा सुनें. ऐसा करने से आपके समस्त रोग, दोष और पापों का नाश होगा. इस दिन मन की सात्विकता का ख़ास ख्याल रखें.
विष्णु भगवान की पूजा करते समय करें इस मंत्र का पाठ: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय .अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. कई धर्म पुराणों में भी इस बात का उल्लेख है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. पद्मपुराण में लिखा है कि अपरा एकादशी के दिन पूरे मन और विधि-विधान से व्रत करने से मरने के बाद नर्क की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती हैं. आत्मा प्रेत योनी में नहीं भटकती बल्कि मुक्त हो जाती है.
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मान्यता है कि एकादशी के दिन जो भी भक्त पूरे विधि-विधान के साथ पूरे दिन उपवास करता है उसके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और उसे समाज में यश और वैभव की प्राप्ति होती है.
एकादशी की पूजा-विधि: एकादशी व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानी कि दशमी के दिन से ही करनी शुरू कर दें. इसके लिए दशमी को रात में खाना खाने के बाद अच्छे से दातून से दांतों को साफ़ कर लें ताकि मुंह जूठा न रहे. इसके बाद आहार ग्रहण न करें और खुद पर संयम रखें. साथी के साथ शारीरिक संबंध से परहेज करें. एकादशी के दिन सुबह उठकर नित्यकर्म करने के बाद. नए कपड़े पहनकर पूजाघर में जाएं और भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प मन ही मन दोहरायें. इसके बाद भगवान विष्णु की आराधना करें और पंडित जी से व्रत की कथा सुनें. ऐसा करने से आपके समस्त रोग, दोष और पापों का नाश होगा. इस दिन मन की सात्विकता का ख़ास ख्याल रखें.
विष्णु भगवान की पूजा करते समय करें इस मंत्र का पाठ: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय .अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. कई धर्म पुराणों में भी इस बात का उल्लेख है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. पद्मपुराण में लिखा है कि अपरा एकादशी के दिन पूरे मन और विधि-विधान से व्रत करने से मरने के बाद नर्क की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती हैं. आत्मा प्रेत योनी में नहीं भटकती बल्कि मुक्त हो जाती है.
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