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ऋषि कपूर की किताब 'खुल्लम खुल्ला' की वो 13 बातें, जो आप नहीं जानते

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ऋषि कपूर अपनी पत्नी नीतू सिंह के साथ पहली बार जयपुर साहित्य महोत्सव में बतौर लेखक शामिल हुए. वह अपनी आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला', किताब की सह-लेखक मीना अय्यर के साथ मौजूद थे

ऋषि कपूर की किताब 'खुल्लम खुल्ला' की वो 13 बातें, जो आप नहीं जानते
फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर अपनी पत्नी नीतू सिंह के साथ पहली बार जयपुर साहित्य महोत्सव में बतौर लेखक शामिल हुए. अनुभवी अभिनेता ऋषि कपूर अपनी आत्मकथा ‘खुल्लम खुल्ला’, किताब की सह-लेखक मीना अय्यर के साथ  मौजूद थे. ऋषि कपूर ने अपने फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष को बयान किया और बताया कि फिल्म कलाकार के बेटा होने के नाते 1970 में फिल्म इंडस्ट्री में खुद की पहचान बनाना कितना मुश्किल रहा. साथ ही महोत्सव में अपनी जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं पर खुलकर बात की.

कैसा रहा स्टार बनने का सफर
जब मैने फिल्म में एंट्री की थी, तब बॉलीवुड में एक्शन फिल्में बना करती थी. अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और धर्मेंद्र उस समय बॉक्स ऑफीस पर राज कर रहे थे, यही वजह थी कि मेरा सफर आसान नहीं था. इसलिए मैंने ये किताब लिखी जो मेरे बॉलीवुड के सफर को बयान करेगी कि कैसे मैं यहां अपनी मेहनत से, टैलेंट से और सबसे जरूरी अपने चाहने वालो के प्यार से यहां तक पहुंचा हूं.
 जब ‘मेरा नाम जोकर के लिए’ ऋषि कपूर को नेशनल अवार्ड मिला  और पृथ्वीराज कपूर रो पड़े
जब मैं 16 साल का था, तब मुझे ‘मेरा नाम जोकर के लिए’ नेशनल अवार्ड मिला था. मेरे पिता ने मुझे अवार्ड को दादाजी(पृथ्वीराज कपूर) को दिखाने को बोला. उस अवार्ड को देखकर उनकी आंखो में आंसू आ गए और उन्होंने उस अवार्ड को हाथ में लेकर कहा कि, राज ने मेरा कर्ज उतार दिया तुझ पर. इसपर ऋषि कपूर ने कहा कि मुझे बहुत खुशी मेहसूस होती है कि मैं अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी का हूं जो एक्टिंग में प्रवेश किया.
बचपन में करते थे नखरें और मिलती थी रिश्वत
जब मैं दो साल का था, मैं, मेरा बड़ा भाई और मेरी बहेन ने फिल्म श्री 420 में एक छोटा सा रोल किया था जिसमें हमें सिर्फ बारिश में चलना था और शूट के दौरान आंखो में पानी चले जाने से बार आंखे बंद कर लेता था, जिसकी वजह से शूट को कट करना पड़ता था. मैंने नखरे करते हुए उस सीन को करने से मना कर दिया. नरगीस जी ने मुझे रिश्वत के तौर पर चॉकलेट दिखाई और कहा कि अगर मैं वो सीन अच्छे से करता हूं तो मुझे वो चॉकलेट देंगी. और मैंने वो शूट पूरा किया, तो मैंने नखरे दिखाना और रिश्वत लेना बचपन से लेना शुरू कर दिया था.
मेरा नाम जोकर करने के पहले से ही शुरू कर दी थी ऑटोग्राफ की प्रैकटिस
जब मेरे पिता ने मुझे ‘मेरा नाम जोकर’ में कास्ट करने के लिए सोचा था, और डिनर टेबल पर उन्होंने मेरी मेरी मां से पुछा था कि मुझे फिल्म में लेना चाहिए या नहीं. उस वक्त तो मैंने कुछ जाहिर नहीं किया था, मगर जैसे ही मैंने खाना खत्म किया मैं सीधे कमरे में गया और अपनी कॉपी में ऑटोग्राफ की प्रेक्टिस करने लगा.
मैं पैदा ही एक्टिंग के लिए हुआ था
मैं बहुत ही नटखट बच्चा था. मुझे अकसर अपनी मां से मार डांट पड़ती थी. और जब भी ऐसा होता था, मै हमेशा शीशे के सामने खुद को देखता था कि मैं रोता हुआ कैसा लग रहा हूं.
‘बॉबी’ की सफलता से मैं उड़ने लगा था
जब मैंने बॉबी के लिए मुझे लिया गया तब मैं 20 साल का था, और डिंपल15-16 साल की थी, जिसके रोल के लिए हम दोंनो परफेक्ट थे. लोगों ने हमारी जोड़ी, फिल्म के म्यूजिक को खूब पंसद किया और फिल्म भी अच्छी थी, मगर फिल्म की सफलता से मैं उड़ने लगा. या यू कहूं कि, मेरा दिमाग फिर गया था. जाहिर सी बात है कि, किसी 20 साल के नौजवान को इतना सफलता और लोकप्रियता मिलेगी, तो उसके सर चढ़ेगी. मैं उड़ रहा था और उपरवाले ने मेरे पर काट दिए और उसके बाद मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा.
 संगीत ‘मैं शायर तो नहीं’ किसी ने कोरियोग्राफ नहीं किया था
मेरा जिंदगी का पहला गाना ‘मै शायर तो नहीं’ के सेट पर मुझे याद है कि मैं पुछता था कि मेरे डांस मास्टर कहां है, जिनसे मैं डांस स्टेप सीखूं, फिर मुझे राज साहब ने कहा कि, तुमहें डांस मास्टर की क्या जरूरत है? जाओ वहां खड़े हो जाओ और परफॉर्म करना शुरू कर दो. ऋषि कपूर ने कहा कि अगर आपने वो गाना देखा होगा तो बिलकुल सीधा होके गाना गा रहा हूं. तब मेरे पिता ने मुझे एक बात बोली कि अगर किसी डांस मास्टर ने मुझे ये सिखाया होता तो शायद मैं अमिताभ बच्चन या जितेंन्द्र जैसा कर रहा होता. फिर उसमें कोई नयापन नहीं होता और सब कहते की  मैंने उनको कॉपी किया है.
फिरोज खान की ‘कुरबानी’ की वजह से ‘कर्ज’ के पड़ा था फर्क
फिरोज खान की फिल्म ‘कुर्बानी’ की वजह से फिल्म ‘कर्ज’ के कमाई पर  बहुत फर्क पड़ा था. ‘कर्ज’ का म्यूजिक, और कहानी बहुत शानदार थी, मगर उसी के एक हफ्ते बाद रीलीज हुई फिल्म ‘कुर्बानी’ ने सारा कारोबार बटोर लिया. कुरबानी में फिरोज खान, जीनत आमान और विनोद खन्ना लीड एक्टर थे, जिसमें बहुत सारा एक्शन, फॉरेन जगहों को दर्शाया है, फिल्म का म्यूजिक भी अच्छा था.और इतने सालों के बाद भी सुभाष घाई की ‘कर्ज’ को आज के बच्चे भी पंसद करते है.
पहले 25 साल मैं आपको बेवकूफ बना रहा था
करियर के पहले 25 साल मैंने अच्छा काम नहीं किया, मैंने सिर्फ हिरोइनों के साथ स्विट्जरलैंड में गाने गाए, रंग-बिरंगे स्वेटर पहने. मगर करियर के  दूसरी पारी में मुझे महसूस हुआ कि, रोल तो मुझे अब मिल रहें हैं.अब मुझे हर तरह के नेगेटिव, पॉजिटिव, 90 साल के बुढ़े का रोल मिल रहा है. मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि मैं उस समय एक्ट कर रहा हूं जब मेरा बेटा भी फिल्मों में एक्टिंग कर रहा है. मैं अपने करियर के दूसरे पारी का आनंद लें रहा हूं. पहले 25 साल में मैं आपको बेवकूफ बना रहा था. मैंने कुछ अच्छी फिल्में की हैं. ज्यादा बकवास फिल्में और बहुत बकवास फिल्में भी की हैं. मगर मुझे खुशी होती है कि मैंने फिल्म इंडस्ट्री के ज्यादातर निद्रेशकों के साथ काम किया है.
‘अग्निपथ’ में रानुफ लाला का रोल करने से किया था इनकार
जब मुझे अग्निपथ में दलाल का किरदार मिला था तब मैं करण मलहोत्रा और करण जौहर से नाराज था. मुझे लगा क्या सोचके उन्होंने मुझे उस रोल के लिए चुना है. उन्हें मुझे मनाने के लिए 15 दिन लग गए. मुझे डर लग रहा था कि अगर फिल्म फ्लॉप हुई तो सारा इलजाम मुझ पर आ जाएगा.
फिल्म ‘जीवन के हर मोड़ पर’ के शूट के दौरान, नीतू और मैं नहीं करते थे बात
फिल्म ‘जीवन के हर मोड़ पर’ के शूटींग के दौरान हमारा झगड़ा हो गया था. शूटिंग पूरे 4 दिन में खत्म हुई और उस दौरान हम एक दूसरे से बात नहीं करते थे, मगर उस गाने में हमारे बीच बेहद प्यार नजर आया, इसी तरह फिल्म ‘जब तक है जान’ के दौरान भी हमारा झगड़ा हुआ था, तब भी उस फिल्म में दोनों शाहरुख खान और कटरीना कैफ को साथ रहने की सलाह दे रहे थे. जिससे जाहिर होता है कि हम बुरे एक्टर नहीं हैं.
बेटे रणबीर के करियर में नहीं देते दखल
मेरे पिता ने कभी मेरे करियर में दखल नहीं दिया, मेरे दादा ने कभी मेरे पिता के करियर में दखल नहीं दिया, तो मेरे पास कोई वजह नहीं है कि मैं अपने बेटे के करियर में दखल दूं. रणबीर ने हमेशा अलह तरह की फिल्में की है, वो अपने करियर को लेकर काफी क्लियर है उसे पता है उसे क्या करना है. उसने ‘रॉकेट सिंह’ ‘बर्फी’ ‘रॉकस्टार’ ‘वेक अप सिड’ जैसी फिल्में कर करियर में रिस्क लिया है. ये मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं कि वो मेरा बेटा है, मगर इसलिए क्योंकि लोगों ने मुझसे कहा कि रणबीर को हीरो का रोल प्ले करना चाहिए ना कि गूगें बहरे का.
ट्वीटर
मुझे लोगो की सोशल मीडिया के प्रति जिम्मेदारियों का पता है कि कुछ कहने से पहले हमेशा सावधान रहने की,सोचने की जरूरत होती है. मगर कई बार जो दिमाग में होता है वही बाहर आता है.
साभार(न्यूज18.com)
अगर मेरी तरह और लोग ईमानदार है तो मुझे लगता है समाज बदल रहा है.
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