छोले-कुलचे खाने की एक ऐसी डिश है, जिसे देखकर खाने का मन हो ही जाता है. इसकी विशेषता यह है कि आप छोलों को अपने स्वाद के हिसाब से तीखा या फीका करवा सकते हैं. मन करे तो कुलचों
को सूखा ही सिंकवा लें या उसमें मक्खन लगवाकर मस्त-मस्त करवा लें. यानी मौके पर ही आप अपने हिसाब से इस डिश का स्वाद बदल सकते हैं. यही कारण है कि ठियों या खोमचों में बिकने वाली इस डिश को खाने के लिए लोग आतुर रहते हैं. कई ठिए तो ऐसे हैं, जहां इन्हें खाने के लिए मजमा लगता है.
असल में इस डिश के छोले उबाले जाते हैं, उसके बाद इन उबले छोलों में मसाला आदि डालकर उन्हें स्वादिष्ट बनाया जाता है. आज हम जिस ठिए पर आपको लेकर चल रहे हैं, वहां छोलों में 13 किस्म के मसाले डाले जाते हैं, जिसके चलते उनका स्वाद लाजवाब बन उठता है. नॉर्थ दिल्ली की सबसे बड़ी रिहायशी कॉलोनी रोहिणी के सेक्टर-13 में भगवती हॉस्पिटल के सामने लगता है ‘शिवम दे स्पेशल छोले-कुलचे’ वाले का ठिया.
छोटा सा ठिया है, लेकिन यहां हर वक्त रौनक सी लगी रहती है, उसका कारण है कि यह बंदा इतने प्यार और अपनेपन से खिलाता है, साथ में सलाद वगैरह भी भरकर देता है कि खाने वाले का मन भी खुश हो जाता है.
ऐसे ठियों पर छोले बनाने को लेकर अब रिवाज यह है कि स्टील की दो देगची में खूब सारे छोले एक साथ तैयार कर लिए जाते हैं ताकि ग्राहकों को एक साथ जल्द खिलाया जा सके. एक देगची में मसाला कम होता है और दूसरी देगची में तीखा, आप अपने स्वाद से जो चाहे ले सकते हैं. इनके छोले बनते देखने में ही मजा आता है. पीतल की बड़ी सी देग से भरकर छोले स्टील की देगची में भरे जाते हैं. उसके बाद उसमें 13 किस्म के मसाले डाले जाते हैं. साथ में टमाटर, प्याज, हरी मिर्च काटकर डाली जाती है.
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ऊपर से ढेर सारे नींबू निचोड़े जाते हैं. स्पेशल चटनी भी डाली जाती है. फिर इन्हें खूब देर तक मिक्स किया जाता है. दूसरी ओर बड़े से तवे पर मक्खन डालकर कुलचों की सिंकाई की जाती है. उनके ऊपर हरा धनिया भी डाला जाता हे.
सब कुछ तैयार होने के बाद दोने में आपको छोले परोसकर दिए जाते हैं. इनके ऊपर प्याज, अदरक व चुकंदर के लच्छे, एक अलग दोने में प्याज, खीरा, गाजर का सलाद, उसके ऊपर मसाले वाली हरी मिर्च, अलग से अचार और एक मसालेदार फांक आंवले की रखी जाती है. इस फुल-फ्लैश डिश को खाइए, वाकई मजा आ जाएगा. एक प्लेट 60 रुपये की है. आप चाहे तो मसालेदार, हाजमेदार रायता भी ले सकते हैं. 20 रुपये में इसका स्वाद भी लाजवाब है. इस ठिए को करीब 20 साल से राजू चला रहे हैं. अब उनके साथ बेटा सत्यम भी हाथ बंटाता है.
उनका कहना है कि मसाले तो छोले में सभी डालते हैं, लेकिन हमारी विशेषता है कि मसालों में किस अनुपात में कितना मसाला डालकर उनको मिक्स किया जाए, ताकि स्वाद भी बना रहे और हाजमा भी दुरुस्त रहे. यह सालों के तजुर्बे से संभव हो पाया है. हम अपने खास 13 मसाले सही अनुपात में मिलाकर उन्हें भूनते हैं और फिर उनका बारीक मसाला तैयार करते हैं. सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक इनका ठिया सजा रहता है. कोई अवकाश नहीं है. आसपास रोहिणी ईस्ट स्टेशन है, वहां से रिक्शे से आना होगा.
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