एनवायरमेंट फ्रेंडली घर के लिए ग्रीन आर्किटेक्ट जरूरी है. (Image- Nilanjan Bhowal)
Green Home Benefits: बहुत सारे लोग घर बनाने का सपना देखते हैं. कई लोग अपने ड्रीम हाउस (Dream House) को बना भी लेते हैं लेकिन कुछ समय बाद उन्हें एहसास होता है कि उन्हें अपना मकान पर्यावरण के अनुकूल बनवाना चाहिए था. दरअसल, आज के समय में बहुत सारे लोग पर्यावरण संबंधित परेशानियों को देखने और उन्हें दूर करने की आवश्यकता को समझने लगे हैं. लोग अपना घर भी ऐसा ही बनवाना चाहते हैं, जिससे प्रकृति को नुकसान न पहुंचे. आपको बता दें कि इसके लिए वे थोड़ा अतिरिक्त खर्च करने में संकोच नहीं करते. अगर आप भी नेचर फ्रेंडली हैं और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए घर ऐसी ‘नींव’ पर खड़ा करना चाहते हैं जो उन्हें लॉन्ग टर्म बेनेफिट दे तो एनवायरमेंट फ्रेंडली घर (Environment Friendly Home) और ग्रीन आर्किटेक्ट (Green architect) के फायदे जान लें.
ग्रीन होम बनाते समय कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखा जाता है. न्यूज़18 से बातचीत करते हुए डिज़ाइन कंसोर्टियम के संस्थापक और प्रधान वास्तुकार व देश के जाने माने आर्किटेक्ट नीलांजन भोवाल (Nilanjan Bhowal) ने इससे जुड़ी जरूरी टिप्स शेयर की हैं. जानकारी के लिए बता दें कि भारत में ‘ऑर्गेनिटेक्चर’ (Organitecture) और ग्रीन एंड ज़ीरो एनर्जी बिल्डिंग्स (Green and Zero energy buildings) बनाने की पहल करने वाले नीलांजन भोवाल को 40 से ज्यादा नेशनल अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है.
ग्रीन होम बनवाने के लिए खास बातों का रखें ध्यान
संरचना कैसी हो?
एक्सपर्ट के मुताबिक घर बनाने के लिए एएसी ब्लॉक (आटोक्लेवड एरेटेड कंक्रीट) का उपयोग किया जाना चाहिए. आसान भाषा में कहा जाए तो बाहरी और आंतरिक दीवारों के लिए फ्लाई ऐश ईंटों (Fly ash bricks) का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. ये प्राकृतिक इन्सुलेटर (Natural Insulator) का काम करती हैं. इनकी खास बात यह है कि ये औद्योगिक कचरे (Industrial waste) से बनाई जाती हैं.
ओरिएंटेशन का रखें ख्याल
घर की लंबी दीवारें उत्तर-दक्षिण की ओर होनी चाहिए ताकि घर को प्राकृतिक रोशनी मिले और सीधी धूप न लगे. अगर ऐसा संभव नहीं है तो पूर्व और पश्चिम का सामना करने वाली खिड़कियां बनवाई जाएं. या तो डबल ग्लास वाली विंडो (Double glass window) हों या पर्याप्त रूप से खिड़कियों को ढंकने वाला एक छज्जा/ बालकनी बनाई जाए.
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खिड़कियां और दरवाजे कैसे हों?
‘ऑर्गेनिटेक्चर’ एक्सपर्ट के हिसाब से खिड़की को उत्तर की ओर रखा जाना चाहिए ताकि सूरज से अधिकतम प्रकाश और न्यूनतम चमक प्राप्त हो लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है, तो बालकनी के प्रक्षेपण को इस तरह से बनाकर पूर्व और पश्चिम दिशाओं में रखा जा सकता है ताकि यह खिड़की को प्रतिबिंबित करे और घर के अंदर डिफ्यूज्ड लाइट आ सके.
बारिश के पानी को संरक्षित करें
रेन वाटर (Rain water) को छत और बालकनी से एक टैंक में एकत्र किया जाना चाहिए. इसके अलावा बाथरूम और रसोई से वेस्ट वाटर (Waste water) को रासायनिक रूप से या व्यवस्थित तरीके से बागवानी और कार वॉश, धुलाई आदि के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.
होम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
जानकारी के मुताबिक ग्रीन होम में सीवेज को सीधे नगरपालिका की लाइनों में जारी नहीं किया जाता. इसके लिए घर पर एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewage Treatment Plant) स्थापित किया जाता है, जो उपचार का 1 स्तर होता है. इस उपचार के बाद पानी को नगर निगम के ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाता है, जहां इसका आगे ट्रीटमेंट होता है. इसके अलावा रसोई के कचरे का उपयोग प्राकृतिक खाद का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है. ऐसा करने का मकसद नदियों को गंदा होने से रोकना है. हांलाकि, अभी इसे छोटे घरों या फ्लैट्स के लिए बनाना संभव नहीं हो पाया है क्योंकि इसके लिए 8-10 फीट की जगह चाहिए होती है.
पुरानी निर्माण सामग्री का दोबारा उपयोग करना
ग्रीन घरों में पुराने घरों के पुराने चौक, ईंटों आदि का गैर-महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पुन: उपयोग किया जाता है.
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ऊर्जा का सही इस्तेमाल
भारत में अधिकांश ऊर्जा की खपत इमारतों को ठंडा रखने के लिए होती है. एनर्जी बचाने के लिए सोलर पैनल और सोलर हीटर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं इमारत की छत को ठंडा रखने के लिए फर्श बनाने के लिए वर्मीक्यूलाइट जैसे इन्सुलेशन का उपयोग किया जा सकता है. गौरतलब है कि चिंतनशील मोज़ेक टाइल वाले फर्श बहुत प्रभावी ढंग से गर्मी को कम करने में मदद करते हैं. साथ ही आप घर पर बायो वॉल (Bio wall) भी बनवा सकते हैं.
ग्रीन होम की देखभाल के लिए जरूरी टिप्स
-उपयोग में लाए जाने वाले सभी उपकरणों में 5 स्टार रेटिंग होनी चाहिए क्योंकि वे ऊर्जा का संरक्षण करते हैं.
-बिजली पैदा करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सोलर पैनलों को हर हफ्ते साफ किया जाना चाहिए.
– रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक की समय पर जांच होनी चाहिए. ये देखा जाए कि उसकी सभी परतें सही ढंग से रखी गई हैं और उस पर गंदगी तो नहीं जम गई.
– सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को भी नियमित जांच की जरूरत है. सेप्टिक टैंक को साफ किया जाना चाहिए और जिन रसायनों को जोड़ने की आवश्यकता है, उन्हें नियमित रूप से जोड़ा जाना चाहिए.
– छत पर सफेद टाइलों / मोज़ेक की नियमित सफाई हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाए.
– डबल ग्लेज़िंग अगर स्थापित किया गया है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए जांच की जानी चाहिए कि कोई रिसाव तो नहीं हो रहा.
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