Shayari: शायरी (Urdu Shayari) की दुनिया में हर विषय पर क़लम उठाई गई है. फिर चाहें मुहब्बत (Love) का फ़साना हो या इससे जुदा कोई और जज़्बात (Emotion). शायरी में बहुत ही ख़ूबसूरती के साथ और ख़ूबसूरत अंदाज़ में दिल की बात कही गई है. जिस तरह दर्द, ख़ुशी, मायूसी और इकरार, इंकार को शायरों ने अपने कलाम में जगह दी है, इसी तरह 'बेक़रारी' का भी इसमें बार-बार जिक्र आया है. यही वजह है कि शायरों ने बड़े ही दिलकश अल्फ़ाज़ में अपने जज़्बात को पेश किया है या यह कहें कि दिल की बेक़रारी को शब्द दिए हैं. आज हम शायरों के ऐसे ही बेशक़ीमती कलाम से चंद अशआर आपके लिए 'रेख़्ता' के साभार से लेकर हाजिर हुए हैं. आज की इस कड़ी में पेश हैं 'बेक़रारी' पर शायरों के ख़ूबसूरत कलाम के चंद रंग. आप भी इसका लुत्फ़ उठाइए.
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएंगे
अभी कुछ बेक़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
क़तील शिफ़ाई
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूं मैं
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूं मैं
जिगर मुरादाबादी
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तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बेताबी-ए-दिल
इतना आसान तेरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका
कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूं
हफ़ीज़ जालंधरी
न कर 'सौदा' तू शिकवा हम से दिल की बेक़रारी का
मोहब्बत किस को देती है मियां आराम दुनिया में
मोहम्मद रफ़ी सौदा
जो चराग़ सारे बुझा चुके उन्हें इंतिज़ार कहां रहा
ये सुकूं का दौर-ए-शदीद है कोई बेक़रार कहां रहा
अदा जाफ़री
तड़प तड़प के तमन्ना में करवटें बदलीं
न पाया दिल ने हमारे क़रार सारी रात
इम्दाद इमाम असर
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जाने दे सब्र ओ क़रार ओ होश को
तू कहां ऐ बेक़रारी जाएगी
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
बेक़रारी थी सब उम्मीद-ए-मुलाक़ात के साथ
अब वो अगली सी दराज़ी शब-ए-हिज्रां में नहीं
अल्ताफ़ हुसैन हालीundefined
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Tags: Famous gazal, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : October 26, 2020, 07:09 IST