आज बिहार बोर्ड के 10वीं क्लास के रिजल्ट (Bihar Board 10th Results) की घोषणा हो गई है. हालांकि हर बच्चा अपने स्तर के मुताबिक अच्छे नंबर लाने के लिए कड़ी मेहनत करता है. कई बार बच्चों पर रिजल्ट का तनाव इतना अधिक होता है कि उसके बिगड़ने या फेल होने पर वह सुसाइड (Suicide) जैसे खतरनाक कदम उठा लेते हैं. ऐसे में माता-पिता (Parents) को समझना होगा कि आपके बच्चे की जिंदगी रिजल्ट के नंबरों से बहुत बड़ी है. तो ऐसे में बच्चों के साथ खड़े रहें. ध्यान रहे आपका साथ उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाएगा. विशेषज्ञों का भी मानना है कि छात्रों का तनाव उनके माता-पिता ही काउंसिलिंग कर दूर कर सकते है. इस बारे में हमने यर्थाथ हॉस्पिटल (Yatharth Hospital) की कंसलटेंट मनोचिकित्सक
डॉ. आशिमा रंजन (Dr. Ashima Ranjan) और नई दिशाएं हेल्पलाइन (Nayi Dishayein Helpline) फाउंडेशन के वाइस चेयरपर्सन
अंबादत्त भट्ट (Ambadatt Bhatt) से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या बताया.
पैरेंट्स बच्चों का हमेशा हौसला बढ़ाते रहें
डॉ. आशिमा रंजन ने बताया कि पैरेंट्स को बहुत पहले से ही बच्चों के साथ सपोर्टिव नेचर में नजर आना चाहिए. वह बच्चों को समझाते रहे हैं कि हर बार सफलता हाथ लगे ऐसा जरूरी नहीं. कभी कभी हार से भी सामना करना पड़ता है. पैरेंट्स ही बच्चों को समझा सकते हैं कि जीतने से पहले कई चीजों को समझना जरूरी होता है. पढ़ाई को लेकर पैरेंट्स बच्चों का हमेशा ही हौसला बढ़ाते रहें ताकि वह किसी बात से डरे नहीं और सभी चीजों को आसानी से समझ सकें. मां-बाप को बच्चों के साथ बहुत ही अच्छे से पेश आना चाहिए ताकि बच्चे भी पैरेंट्स के साथ अपनी हर बात शेयर कर सकें और उन्हें अपनी परेशानी बता सकें.
बड़ों की तुलना में बच्चे डिप्रेशन का शिकार जल्दी होते हैं
उन्होंने बताया कि बच्चे बड़ी जल्दी ही परेशान हो जाते हैं. चाहे वह उनकी पढ़ाई का मामला हो या फिर किसी और चीज का. बड़ों की तुलना में बच्चे डिप्रेशन का शिकार भी जल्दी होते हैं क्योंकि वह आसानी से अपनी बात किसी को बता नहीं पाते हैं. ऐसे में बोर्ड का रिजल्ट उन्हें परेशान कर सकता है. पैरेंट्स को इस मामले में धैर्य धरने की जरूरत होती है. उन्होंने बताया कि रिजल्ट को लेकर कई बच्चे तो इतने डिप्रेस्ड हो जाते हैं कि वह सुसाइड तक करने की कोशिश करते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को ही उन्हें समझाना चाहिए. उनका साथ देना चाहिए. उनके मन से रिजल्ट या पढ़ाई को लेकर सारी नेगेटिविटी दूर करनी चाहिए.
ये रिजल्ट ही उनका अंतिम रिजल्ट नहीं है
वहीं नई दिशाएं हेल्पलाइन फाउंडेशन के वाइस चेयरपर्सन अंबादत्त भट्ट ने बताया कि रिजल्ट के बाद उन लोगों के पास कई पैरेंट्स का फोन आता है जो अपने बच्चे के खराब रिजल्ट से परेशान होते हैं और बताते हैं कि उनका बच्चा रिजल्ट की वजह से डिप्रेस्ड हो गया है. वहीं उन लोगों की तरफ से बच्चों को समझाया जाता है कि ये रिजल्ट ही उनका अंतिम रिजल्ट नहीं है. इसके आगे भी बहुत कुछ सीखना है. इस बार उन्हें अपनी पढ़ाई को लेकर ज्यादा मेहनत करनी होगी.

नई दिशाएं हेल्पलाइन फाउंडेशन के वाइस चेयरपर्सन अंबादत्त भट्ट.
पैरेंट्स को समझना चाहिए कि उनका बच्चा क्या चाहता है
नई दिशाएं हेल्पलाइन की तरफ से बच्चों के अंदर पॉजिटिविटी को लेकर काउंसिलिंग की जाती है. उन्हें बताया जाता है कि कैसे वह पढ़ाई में अपना मन लगाएं. पढ़ाई के साथ साथ वह अपने शौक या किसी विशेष खेल में भी रूची दिखा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए पैरेंट्स को भी बहुत सपोर्टिव होना पड़ता है. उन्हें भी बच्चों का साथ देना पड़ता है. पैरेंट्स को शुरुआतएं से ही बच्चों को पढ़ाई के मामले में कई चीजें समझानी चाहिए. इसके अलावा पैरेंट्स को समझना चाहिए कि उनका बच्चा क्या चाहता है, कैसे पढ़ना चाहता है. उसे क्या पसंद है. ये सारी बातें सिर्फ पैरेंट्स ही समझ सकते हैं. बच्चों को मोटिवेट करें न कि उन्हें डराएं-धमकाएं. बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की कोशिश करनी चाहिए न कि उनकी पढ़ाई की तुलना दूसरे बच्चों से करनी चाहिए. ऐसा करने पर उनके अंदर नेगेटिविटी बढ़ने लगती है.
खराब रिजल्ट आने पर माता-पिता करें ये काम-
रिजल्ट बिगड़ने पर बच्चों पर गुस्सा करने या उनकी तुलना किसी और से करने की बजाय उनका मार्गदर्शन करें.
बच्चों को समझाए कि वो हिम्मत न हारे और न ही मायूस हो.
बच्चे के परिणाम या मार्क्स के मुताबिक उनके कॅालेज का चयन करने में मदद करें.
एक परीक्षा परिणाम न ही किसी की बौद्धिकता को दर्शाता है और न किसी का भविष्य बनाता है इसलिए माता-पिता अपने बच्चे का मार्गदर्शन करें.
बच्चों का हर कदम पर साथ दें और उन्हें आगे के लिए तैयार करें.
बच्चों की समय-समय पर काउंसलिंग करते रहें.
बच्चों से दोस्ताना व्यवहार बनाएं रखें.
पहले फेल और फिर कामयाब होने वाली महान हस्तियों के उदाहरण बच्चों के सामने रखें.
बच्चे का व्यवहार बदलने पर मनोचिकित्सक और काउंसिलर्स से संपर्क करें.
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FIRST PUBLISHED : May 26, 2020, 10:53 IST