Harivansh Rai Bachchan Birthday: जो बीत गई सो बात गई, जयंती पर पढ़ें 'बच्चन' की कविता

हरिवंश राय बच्चन के जन्मदिन पर पढ़ें उनकी प्रसिद्ध कविता
Harivansh Rai Bachchan Birthday: जीवन में मधु का प्याला था तुमने तन मन दे डाला था, वह टूट गया तो टूट गया...
- News18Hindi
- Last Updated: November 27, 2020, 7:31 AM IST
हरिवंश राय बच्चन जन्मदिन (Harivansh Rai Bachchan Birthday): आज 27 नवंबर को कवि हरिवंश राय बच्चन का जन्मदिन है. उनका जन्म सन 1907 में इलाहाबाद में हुआ. उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में टीचिंग भी की. बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन हरिवंश राय बच्चन के बेटे हैं. हरिवंश राय बच्चन काफी मशहूर कवि भी हैं. मधुशाला उनकी काफी मशहूर कविता है. इसके अलावा भी उन्होंने कई कविताएं लिखी हैं जो जीवन, विरह, उम्मीद और प्रेम जैसी कई भावनाओं को दर्शाती है. आइए कविता कोष के सौजन्य से पढ़ते हैं कवि हरिवंश राय की कविता 'जो बीत गई सो बात गई...
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा थावह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा थावह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई