Sound Sleep duration: रोजाना 8 घंटे सोना जरूरी है. डॉक्टरों की मानें तो नींद में बड़बड़ाना भी अच्छा होता है.
8 hour daily Sleep benefits: जैसे-जैसे लाइफस्टाइल बदल रही है नींद का पैटर्न (Sleep Pattern) भी बदल रहा है. गैजेट्स, देर रात तक ऑफिस वर्क, लेट नाइट लाइफ (Late night Life) के चलते लोग कम घंटे सोकर भी काम चला रहे हैं. कई बार लोगों को लगता है कि ज्यादा घंटे सोकर वे अपना समय बर्बाद कर रहे हैं, इतने समय में कोई जरूरी काम निपटाया जा सकता है लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो पर्याप्त नींद (Sleep) लेना भी खाना खाने और पानी पीने जितना जरूरी है. आए दिन 8 घंटे से कम नींद लेना (Short Sleep), रात में बार-बार जागना, देर रात तक जागे रहना और फिर सोना शरीर और ब्रेन दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है.
दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एम एस कंवर कहते हैं कि व्यस्क हों या बुजुर्ग सभी के लिए 8 घंटे की नींद जरूरी है. हां स्लीप का पैटर्न बदल सकता है क्योंकि बुजुर्गों में गहरी नींद युवाओं के मुकाबले कम होती है. वहीं छोटे बच्चे रोजाना 8 घंटे से ज्यादा नींद लेते हैं क्योंकि उनके शरीर के हर अंग का विकास हो रहा होता है और उन्हें ज्यादा नींद लेने की जरूरत होती है. नींद के पैटर्न को इस तरह समझा जा सकता है.
डॉ. कंवर कहते हैं कि नींद की 3 स्टेज होती हैं. एन1, एन2 और एन3 स्टेज. इनमें एन1 स्टेज की नींद सबसे शुरुआती और हल्की होती है. इसमें थोड़ी सी आहट में ही व्यक्ति उठ जाता है. दूसरी स्टेज होती है एन2 की. इसमें व्यक्ति गहरी नींद में होता है और विचार शून्य होता चला जाता है. एन-3 की स्टेज सबसे गहरी और अच्छी नींद की होती है जिसमें कई बार व्यक्ति बड़बड़ाने भी लगता है. इसी स्टेज में सपने आते हैं और कई बार वे याद भी नहीं रहते हैं. हालांकि नींद की ये तीसरी स्टेज पहली दोनों स्टेज से कम समय की होती है लेकिन यही ब्रेन और शरीर को सबसे ज्यादा आराम देती है.
डॉ. कंवर कहते हैं कि अगर आप नींद में बड़बड़ाते (Sleep Talking) हैं तो यह संकेत है कि उस वक्त आप नींद की सबसे बेस्ट एनथ्री स्टेज में हैं. यह नींद की आखिरी और तीसरी स्टेज है. गहरी नींद की इस स्टेज में पहुंचते ही व्यक्ति का कनेक्शन बाहरी संसार या वातावरण से छूट चुका होता है. इस दौरान शरीर में ऊर्जा इकठ्ठी हो रही होती है. मेमोरी से खराब और लांग टर्म में हुई घटनाएं मिट रही होती हैं. आमतौर पर 8 घंटे की पर्याप्त नींद में यह देखने को मिलता है.
. डॉ. कहते हैं कि गहरी नींद यानि एनथ्री स्टेज की नींद शरीर के लिए बहुत जरूरी है. आम भाषा में कहें तो दिनभर काम करने या दौड़भाग के दौरान शरीर के अंदर जो भी टूट-फूट होती है, सोते समय शरीर में उन मांसपेशियों या कोशिकाओं की मरम्मत होती है.
. 8 घंटे की गहरी नींद (Deep Sleep) के बाद शरीर रोगों से लड़ने के लिए तैयार होता है और इम्यूनिटी मजबूत होती है. इस नींद के बाद जब व्यक्ति उठता है तो एकदम तरोताजा और एनर्जी से भरपूर महसूस करता है.
. दिमाग में दिनभर जो भी बातें या विचार भरे होते हैं, नींद में शरीर और मस्तिष्क के आराम में पहुंचने के बाद ये अधिकांश कचरा खुद से डिलीट हो जाता है और दिमाग शांत हो जाता है. पर्याप्त नींद लेने के बाद सोचने-समझने की क्षमता और याददाश्त भी बढ़ती है. मानसिक परेशानियां जैसे स्ट्रेस आदि भी कम होते हैं. कहते हैं कि शरीर का ग्रोथ हार्मोन भी सोने के दौरान ही ज्यादा तीव्र गति से बढ़ता है.
. नींद के दौरान ब्रीदिंग, ब्लड प्रेशर, धड़कन, शरीर का तापमान सामान्य स्तर पर आ जाता है. दिनभर जो अंग सक्रिय रहते हैं वे इस वक्त शांत होते हैं जबकि ब्रेन और शरीर को शक्ति देने वाली इंटर्नल प्रक्रिया तेज हो जाती है.
डॉ. कंवर कहते हैं कि व्यस्क हों या बुजुर्ग, सभी के लिए रोजाना 8 घंटे की पर्याप्त नींद (Sleep) लेना जरूरी है. कुछ लोग 7 घंटे सोकर भी कहते हैं कि वे सुबह एकदम फ्रेश उठते हैं और उन्हें दिनभर कोई सुस्ती, थकान या परेशानी नहीं होती. ऐसा इसलिए होता है कि वे इन 7 घंटों में ही अपनी एन थ्री स्टेज (N3 stage of Sleep) की पर्याप्त नींद ले चुके होते हैं. हालांकि 7 घंटे से कम सोने से तत्काल तो नहीं लेकिन लंबी अवधि में शरीर और ब्रेन (Brain) पर खराब प्रभाव पड़ सकता है.
कुछ लोग शिकायत करते हैं कि वे रोजाना 8 घंटे सोते हैं लेकिन फिर भी दिनभर थकान महसूस करते हैं और उबासियां लेते हैं. डॉ. कंवर कहते हैं कि ऐसा होना संभव है. इसका मतलब ये नहीं है कि आपको 8 के बजाय 10 घंटे सोने की जरूरत है बल्कि इसका मतलब ये है कि आपकी 8 घंटे की नींद में बाधाएं ज्यादा हैं. संभव है आप रात को बार-बार पानी पीने, टॉयलेट जाने या छोटे बच्चे के चक्कर में उठते हों और नींद में वापस जाने में कुछ समय लगता हो. ऐसे में 8 घंटे की नींद भी अधूरी हो सकती है. ऐसी स्थिति में कोशिश कीजिए कि नींद को खराब करने वाली इन आदतों को कम करें और दिन में जब नींद आ रही हो तब सो लें.
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