इसके होने पर शरीर के जोड़ों में सूजन की समस्या आने लगती है.
Arthritis symptoms and Treatment: उम्र बढ़ने के साथ ही हमारे शरीर में भी बदलाव आने शुरु हो जाते हैं. हमारा शरीर कई बार प्राकृतिक तौर पर कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो जाता है तो कई बार हमारी खराब जीवन शैली का इस पर गहरा प्रभाव पड़ता है. गठिया भी एक ऐसी ही सामान्य बीमारी है जो उम्र बढ़ने के साथ कई लोगों में नजर आती है. यह एक सामान्य आर्थोपेडिक स्थिति है. गठिया के रोग में जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, लालिमा और सूजन की समस्या होती है.
गठिया एक ऐसी शारीरिक बीमारी जिसके 100 से अधिक प्रकार हैं. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार गठिया जिसे हम गाउट के नाम से भी जानते हैं यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है. इसके ज्यादातर मामले उम्र बढ़ने से जुड़े होते हैं. गठिया का कोई कारगर इलाज नहीं है इसलिए इससे बचने के लिए हमें कई तरह से अपने खानपान और जीवनशैली में ध्यान देने की जरूरत है. गठिया किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. इसके दो सबसे आम रूप हैं जिसके मामले ज्यादातर हमें देखने को मिलते हैं…
ऑस्टियोआर्थराइटिस: यह गठिया का सबसे विशिष्ट प्रकार है. इसमें घुटने, कूल्हे और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करती है जो शरीर के वजन का समर्थन करते हैं। इसकी एक बड़ी वजह है हड्डियों का बढ़ना जिससे जोड़ ठीक प्रकार से काम नहीं कर पाते. ज्यादातर लोग इसका अनुभव तब करते हैं जब उनकी उम्र अधिक होने लगती है. कई बार यह यह चोट के कारण युवा लोगों में भी हो सकता है.
रुमेटीइड गठिया: यह जोड़ों के अस्तर को प्रभावित करता है साथ ही यह एक ऑटोइम्यून सूजन की बीमारी है. इसके होने पर शरीर के सभी जोड़ों में सूजन की समस्या आने लगती है. यह हृदय और फेफड़ों सहित कई अंगों को भी प्रभावित कर सकता है.
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गठिया के अन्य प्रकार
गाउट: गाउट की समस्या आमतौर पर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर होती है. यूरिक एसिड बढ़ने से शरीर में यूरिक एसिड क्रिस्टल जमा होने लगते हैं और पैर के अंगूठे, अंगुली और दूसरे जोड़ों में सूजन के साथ साथ दर्द होने लगता है.
ल्यूपस: यह एक बेहद पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी है. इससे ग्रसित होने पर जोड़ों में काफी सूजन आ जाती है जिससे चलने में दिकक्त होने लगती है.
स्क्लेरोडर्मा: ल्यूपस की तरह यह भी एक ऑटोइम्यून बीमारी हैं इसमें शरीर की त्वजा काफी मोटी और सख्त होने लगती है.
रीढ़ के जोड़ों में सूजन: इस रोग में रीढ़ की हड्डी और जोड़ आपस में जुड़ने लगते हैं. इसके साथ ही इसमें शरीर के दूसरे जोड़ों में भी सूजन आ जाती है. यह हाथों और पैरों के साथ-साथ कंधों, कूल्हों और पसलियों के छोटे जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है.
संक्रामक गठिया: गठिया का यह प्रकार बैक्टीरिया, वायरल या फंगल संक्रमण के कारण होता है. सूजन, दर्द और बुखार जैसे लक्षण इसमें अचानक ही तेज हो जाते हैं. हालांकि इसमें एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाओं के साथ जल्द ही आराम मिल जाता है.
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प्रारंभिक लक्षण और संकेत
गठिया एक गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर की गति सीमित हो जाती है. उम्र बढ़ने के साथ साथ इस बीमारी के होने की संभावना भी बढ़ जाती है. अगर इसका शुरुआती स्टेज में इलाज न किया गया तो यह शरीर को चलने से ही रोक सकती है. आइए जानते हैं कि आखिर गठिया के रोग को कैसे पहचाना जा सकता है.
सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:
ध्यान रखने योग्य सावधानियां
गठिया की समस्या कई वजहों से हो सकती है लेकिन कुछ कारण ऐसे हैं जो आपके नियंत्रण से पूरी तरह से हो सकती हैं. जैंसे अगर आप एक महिला हैं तो आपके गठिया एक बड़ी समस्या हो सकती है. अगर आपका कोई पारिवारिक इतिहास है तो आपके लिए इसका इलाज कर पाना असंभव है. हालांकि, आप गठिया के विकास के जोखिम को कम करने या इसकी शुरुआत में देरी करने के लिए सावधानी बरत सकते हैं.
वजन नियंत्रण : अधिव वजन कई तरह की बीमारियों को जन्म दे देता है. इसी में एक है गठिया. अधिक वजन होने से जोड़ों में तनाव पड़ता है. जैसे कूल्हे या फिर घुटने. इसलिए जरूरी है कि आप अपने वजन पर विशेष ध्यान दें. आपके द्वारा प्राप्त प्रत्येक किलो आपके घुटनों पर लगभग चार किलो तनाव जोड़ता है और आपके कूल्हों पर छह गुना दबाव डालता है.
ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखें: ब्लड शुगर अच्छे स्वास्थ्य के लिए काफी घातक है. इसलिए अगर गठिया के रोग से बचाव करना है तो आपको ब्लड शुगर पर भी कंट्रोल करना हो. ब्लड शुगर बढ़ने से तनाव बढ़ सकता है.
व्यायाम: सभी हेल्थ एक्सपर्ट अच्छी हेल्थ के लिए व्यायाम करने की सलाह देते हैं. यदि आप हर दिन 30 मिनट व्यायाम करते हैं तो इससे आपके शरीर के जोड़ ठीक प्रकार से काम करेंगे और यह आपके कूल्हे और मांसपेशियों को मजबूत करेंगे.
धूम्रपान छोड़ दें: धूम्रपान सिर्फ गठिया को ही नहीं बल्कि कई अन्य गंभीर बीमारियों को भी जन्म देता है. इससे हमारे फेफड़े को काफी नुकसान पहुंचता है. धूम्रपान से जोड़ों की रक्षा करने वाले ऊतकों में दवाब पड़ने की संभावना अधिक हो जाती है जिससे गठिया का दर्द बढ़ सकता है.
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