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अब टीबी की पहचान हुई आसान, नई टेस्टिंग तकनीक से मिलेगा क्विक रिजल्‍ट, मल्‍टीड्रग रजिस्‍टेंट का भी चलेगा पता

बीडी मैक्‍स एमडीआर टीबी टेस्‍ट के बारे में जानकारी देते हुए डॉ अशोक रतन और डॉ. सोहिनी सेन गुप्‍ता.

बीडी मैक्‍स एमडीआर टीबी टेस्‍ट के बारे में जानकारी देते हुए डॉ अशोक रतन और डॉ. सोहिनी सेन गुप्‍ता.

Tuberculosis Treatment: मल्‍टीड्रग रेसिस्‍टेंट ट्यूबरकुलोसिस (एमडीआर-टीबी) के इलाज में बीडी मैक्‍स एमडीआर टीबी टेस्‍ट न ...अधिक पढ़ें

Tuberculosis Test: मल्‍टीड्रग रेसिस्‍टेंट ट्यूबरकुलोसिस (एमडीआर-टीबी) की पहचान के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा. अब, बीडी मैक्‍स एमडीआर टीबी टेस्‍ट नाम की नई टेस्टिंग तकनीक की मदद से टीबी को प्राथमिक स्‍तर पर ही पहचाना जा सकेगा. इस टेस्टिंग तकनीक के जरिए उन बैक्‍टीरिया की पहचान की जा सकेगी, जो ट्यूबरकुलोसिस का कारण बनते हैं. इतना ही नहीं, इस टेस्टिंग तकनीक के जरिए आइसोनियाजिड और रिफैम्पिसिन नामक दवाओं से होने वाली ड्रग रेजिस्‍टेंस का भी पता लगाया जा सकेगा.

एम्‍स के पूर्व प्रोफेसर और रेडक्लिफ लैब्‍स की मेडिकल कमेटी के प्रेसीडेंट डॉ. अशोक रतन के अनुसार, बीडी मैक्‍स एमडीआर टीबी टेस्‍ट टीबी को पता लगाने में काफी इंस्‍टेंट, प्रभावी और सटीक है. यह टेस्‍ट भारत में टीबी के बैक्‍टीरिया की पहचान की पूरी प्रक्रिया को काफी आसान बना देगा. फिलहाल, एंटीमाइक्रोबाॉयल रजिस्‍टेंस की वजह से टीबी की पहचान करना मुश्किल हो जाता है. नई टेस्टिंग तकनीक न केवल इस मुश्किल को आसान करेगी, बल्कि टीबी के इलाज को प्रभावी बनाने में गेम चेंजर की भूमिका अदा करेगा.

क्‍यों बढ़ता है दवाओं के रेजिस्‍टेंस का जोखिम 
डॉ. सोहिनी सेनगुप्‍ता के अनुसार, टीबी का इलाज काफी लंबा चलता है. आंशिक आराम मिलने के बाद कुछ मरीज अपना इलाज बीच में ही बंद कर देते हैं. ऐसा में, टीबी के बैक्‍टीरिया नकेवल फिर से सक्रिय हो जाते हैं, बल्कि टीबी के संक्रमण अधिक तेजी से बढ़ाने लगते हैं. ऐसी स्थिति में दवाओं के रेजिस्‍टेंस का जोखिम भी बना रहता है. उन्‍होंने बताया कि नए टेस्‍ट ऑर टूल्‍स की मदद से अब हम टीबी की जल्‍द पहचान कर बेहतर इलाज संभव होगा. मरीज बीडी मैक्‍स एमडीआर टीबी टेस्‍ट का सैंपल घर पर दे सकते हैं और इसकी टेस्‍ट की रिपोर्ट उसी दिन आ जाती है.   

ट्यूबरकुलोसिस के चार शुरूआती लक्षण
डॉ. अशोक रतन के अनुसार, टीबी शरीर के किसी भी हिस्‍से को प्रभावित कर सकता है, लेकिन आमतौर पर पल्‍मोनरी टीबी रोग ही देखने को मिलता है. पल्‍मोनरी टीबी रोग तेजी से सांस नली में फैलता है, जिससे मरीज को तेज खांसी आती है. इसके अन्‍य लक्षणों में हल्‍का बुखार रहना, रात को पसीना आना और वजन कम होना शामिल है. यदि किसी मरीज में लगातार दो सप्‍ताह तक यह सभी लक्षण दिख रहे हैं तो संभव है कि वह पल्‍मोनरी टीबी से पीडि़त हो. ऐसे मरीज को समय रहते अपने डॉक्‍टर की सलाह पर अपना इलाज शुरू कर देना चाहिए.

टीबी के हॉट स्‍पाॅट का पता लगाता एआई सॉफ्टवेयर
डॉ. अशोक रतन ने बताया कि डिजिटल चेस्‍ट एक्‍सरे से फेफड़ों में टीबी के हॉट स्‍पॉट का पलाने के लिए हाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से लोगों बेहद आसानी से ट्यूबरकुलोसिस और उसके इलाज से जुड़ी जानकारियां हासिल कर सकते हैं. उन्‍होंने बताया कि आने वाले समय में बड़े स्‍तर पर टीबी के मामलों को पता लगाने में एआई सॉफ्टवेयर और बीडी मैक्‍स एमडीआर टीबी टेस्‍ट नई तकनीक की मदद मिल सकेगी.

Tags: Health tips, Sehat ki baat, TB, World Tuberculosis Day

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