Sehat ki Baat: कोविड महामारी की दस्तक के बाद कार्डियेक अरेस्ट के मामलों में अचानक तेजी से इजाफा हुआ है. बीते कुछ समय में इस बीमारी ने खासतौर पर नौजवानों को अपना शिकार बनाया है. हालात यहां तक पहुंच गए कि वर्तमान समय में दिल की बीमारी से जूझ रहे मरीजों में 30 फीसदी मरीज ऐसे है, जिनकी उम्र 40 साल से कम है. वर्ल्ड स्ट्रोक डे (World Stroke Day) पर दिल और दिल की बदलती धडकनों को लेकर हमने आर्टेमिस हॉस्पिटल में डॉयरेक्टर कार्डियोलॉजी डॉ. मनजिंदर संधू से खास बातचीत की. पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश…
हार्ट स्ट्रोक के मामले बढ़ते मामलों की यह है वजह
डॉ. मनजिंदर संधू के अनुसार, दुनिया में सर्वाधिक हार्ट डिसीज प्रोन पेशेंट हमारे देश में पाए जाते हैं. हमारे जेनेटिक्स और बैड कोलेस्ट्रॉल जेनेटिक्स और बैड कोलेस्ट्रॉल इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है. हाई स्ट्रेस लेबल, डाइबिटीज, गांव से शहरों की ओर लोगों का तेजी से पलायन और बदलती जीवन शैली भी दिल की बीमारी को गंभीर करने में अहम भूमिका निभा रही हैं. इसके अलावा, विदेशी कंपनियों में काम करने वाले नौजवानों का बॉडी क्लाक सिस्टम पूरी तरह से बदल गया है. रैपिड अर्बनाइजेशन सहित इन तमाम कारणों की वजह से हमारे देश में हार्ट डिसीज और भी बढ़ गई है.
युवाओं के दिलों पर बुजुर्गों की बीमारी की दस्तक
डॉ. मनजिंदर संधू के अनुसार, 10 से 15 साल पहले हम दिल की बीमारी ज्यादातर बुजुर्ग या 45 की उम्र पार कर चुके लोगों में देखते थे. लेकिन, अब हालात यह है कि हार्ट अटैक के 25 से 30 फीसदी मरीज ऐसे हैं, जिनकी उम्र या तो 40 से 45 के बीच है या फिर 40 से कम है. दरअसल, काम के चलते नौजवानों में होने वाले स्ट्रेस ने उनके हमारे हार्ट कार्डियो वैस्कुलर सिस्टम का बुरी तरह से प्रभावित किया है. इसके अलावा, रेस्ट्रां का खाना, फास्टफूड, सिगरेट और शराब की आदत नौजवानों की लाइफ स्टाइल को पूरी तरह से अनहेल्दी कर दिया है. नौजवानों के पास फिजिकल एक्सरसाइज का वक्त नहीं है. यही सब वजहों के चलते युवाओं में हार्ट अटैक या कार्डियेक अरेस्ट के केस तेजी से बढ़ रहे हैं.
जिम या स्पोर्ट्स के दौरान अचानक कार्डियेक अरेस्ट
डॉ. मनजिंदर संधू के अनुसार, जिन युवाओं को अपनी अनहेल्दी लाइफ स्टाइल का अहसास हो गया है, उनके अंदर खुद को हेल्दी करने की उत्सुकता है. इसी उत्सुकता में वे कुछ गलतियां कर बैठते है. दरअसल, यंगस्टर्स वेट लूज करने के मकसद से जिम करना शुरू कर देते हैं और चाहते हैं कि उनको रिजल्ट एक या दो हफ्ते में मिल जाए. इसी वजह से वह बिना प्रशिक्षण के बहुत अधिक जिंमिंग करने लगते हैं. इसी अकस्टम्ड एक्सरसाइज की वजह से उनके हार्ट की नशों में मौजूद छोटे-छोटे ब्लॉकेज रेप्चर कर जाते हैं. नतीजा, हार्ट अटैक या कार्डियेक अरेस्ट के रूप में आता है, जिसमें जान जाने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है.
डॉ. मनजिंदर संधू से पूरी बातचीत सुनने के लिए क्लिक कीजिए…. नौजवानों में हार्ट अटैक के ये हैं 5 ट्रिगर्स
हार्ट अटैक से बचने के लिए कैसा हो खानपान
डॉ. मनजिंदर संधू के अनुसार, हमें अपनी डाइट के अंदर फ्रेश फ्रूट और वेजिटेबल्स का कंपोनेंट बढ़ाना चाहिए. हमारे कल्चर में काब्रोहाइड्रेड बेस्ड फूड ज्यादा है, जिसमें चपाती, पराठा, आटा, मैदा आदि आते है. हमें कार्बोहाइड्रेड बेस्ड डाइट कम करना चाहिए. इसका मतलब यह नहीं है कि हम कार्बोहाइड्रेड को अपनी डाइट से निकाल दें, जैसे कई लोग डाइटिंग के दौरान अपने खाने की कार्बोहाड्रेड वैल्यू जीरो कर देते हैं. हमारे खाने में हेल्दियर स्टफ जैसे कि फाइबर-फ्रूट्स और सब्जियों की मात्रा अधिक होनी चाहिए. नॉनवेज खाने वाले लोग नॉनवेज खाए, लेकिन हार्ट डिसीज से बचने के लिए रेड मीट से परहेज करें.
हेल्थ चेकअप में सबकुछ ठीक होने के बाद भी हार्ट अटैक
डॉ. मनजिंदर संधू के अनुसार, ये लोग समझते नहीं हैं. दरअसल, हेल्थ चेकअप का यह मतलब नहीं कि आपको कुछ नहीं होगा. ये तो मेडिकल साइंस की जितनी नॉलेज है, उसके मुताबिक हम टेस्ट करते हैं, मोटे तौर पर चीजें देखने के लिए. इन टेस्ट की मदद से कई बार अनडिटेक्टेड सुगर, कोलेस्ट्रॉल, फास्ट्रेट, थाइराइड या कैंसर जैसी बीमारियों समय पर पा चल जाती है. जिसका समय से इलाज शुरू हो जाता है. जहां तक हार्ट अटैक का मामला है, इसको प्रिडिक्ट करना, बड़ा मुश्किल है. दरअसल, रूटीन हेल्थ चेकअप के दौरान 20-30 प्रतिशत वाले ब्लॉकेज को पकड़ना संभव नहीं है. 70 फीसदी केसेस में इन्हीं ब्लॉकेज के रेप्चर होने की वजह से हार्ट अटैक होते है.
हार्ट अटैक, कार्डियेक अरेस्ट, हार्ट फेल में क्या है अंतर और अचानक घर में ऐसी स्थित उत्पन्न हो जाती है तो बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं … इस सवालों के जवाब जानने के लिए और आर्टेमिस हॉस्पिटल में डॉयरेक्टर कार्डियोलॉजी डॉ. मनजिंदर संधू से पूरी बातचीत सुनने के लिए क्लिक कीजिए…. World Stroke Day Special Podcast: नौजवानों में हार्ट अटैक के ये हैं 5 ट्रिगर्स
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