फलों के जूस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी ज्यादा होता है, जिससे शुगर लेवल बढ़ सकता है.
Fruit Juice Increase Blood Sugar: डायबिटीज की बीमारी से परेशान लोगों के लिए खाने-पीने को लेकर बेहद सावधानी बरतनी चाहिए. जरा सी लापरवाही से ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ जाता है और शुगर के मरीजों की हालत बिगड़ने लगती है. शुगर लेवल अगर अनकंट्रोल हो जाए, तो हार्ट अटैक समेत कई जानलेवा परेशानियां पैदा कर सकता है. ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए. जानकारों की मानें तो डायबिटीज के पेशेंट्स को शुगरी ड्रिंक्स और मीठे जूस पीने से बचना चाहिए. लिक्विड स्वीटनर शरीर में जाकर ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा देते हैं. यहां तक कि फलों का जूस भी अवॉइड करने की सलाह दी जाती है. क्या फलों का जूस पीना भी शुगर के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है? चलिए जान लेते हैं.
ग्लोबल डायबिटीज कम्युनिटी की एक वेबसाइट के मुताबिक फलों के जूस में काफी मात्रा में शुगर होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को बहुत जल्दी बढ़ा देता है. यही कारण है कि डायबिटीज के मरीज आमतौर पर फलों का जूस पीने से बचते हैं. फलों का जूस पीने के बजाय फल खाना ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है. एक हालिया रिसर्च में पता चला है कि फलों के जूस के नियमित सेवन से टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है. फलों के जूस में विटामिन सी और कैल्शियम के अलावा कैलोरी और फ्रक्टोज की मात्रा ज्यादा होती है. इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत ज्यादा होता है, जबकि फाइबर काफी कम होता है.
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फलों का जूस ब्लड शुगर पर ऐसे डालता है असर
फलों के जूस में शुगर का लेवल ब्लड शुगर के स्तर में अचानक वृद्धि का कारण बन सकता है, जिससे हाइपरग्लाइसेमिया का खतरा बढ़ जाता है. डायबिटीज के जो मरीज हाइपोग्लाइसीमिया यानी कम शुगर लेवल की समस्या से जूझ रहे हैं, उनके लिए फलों का जूस फायदेमंद हो सकता है. हालांकि ऐसा डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए. फलों के जूस में शुगर के रूप में उच्च मात्रा में फ्रक्टोज होता है. रिसर्च से पता चलता है कि फ्रक्टोज वाली चीजों का ज्यादा सेवन करने से लिवर ओवरलोड हो सकता है, जिससे नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर डिजीज और टाइप 2 डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
सब्जियों का जूस हो सकता है फायदेमंद
शुगर के मरीजों के लिए नॉन स्टार्च वाली सब्जियों जैसे- पालक, एस्पेरेगस, खीरा, ब्रोकली आदि का जूस पीना फायदेमंद हो सकता है. अगर आप फलों के जूस का विकल्प तलाश रहे हैं, तो सब्जियों का जूस अच्छा ऑप्शन हो सकता है. नॉन-स्टार्च वाली सब्जियों में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और फलों के जूस की तुलना में कम कार्बोहाइड्रेट होते हैं. इन सब्जियों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है. जूस वाली सब्जियां एक स्वस्थ आहार में अहम भूमिका निभा सकती हैं. आप इन्हें अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.
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