एक नई रिसर्च में कहा गया है कि जिन लोगों को नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज है उनके निकटतम संबंधियों को लिवर की बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है.
Non-Alchohalic fatty liver disease: लिवर शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है. पेट और आंतों से निकलने वाला सारा खून लीवर से होकर गुजरता है. लिवर खून को शुद्ध करने के साथ ही पोषक तत्वों को खून के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचाता है और सभी तरह के रसायनों का मेटाबोलिज्म करता है. इतना महत्वपूर्ण अंग होने के कारण लिवर टूट-फूट होने पर खुद ही मरम्मत कर लेता है. लेकिन कभी-कभी कई कारणों से लिवर में फैटी लिवर डिजीज हो जाता है. यह दो तरह के होते हैं. इसमें नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD)उन लोगों को होता है जो या तो शराब पीते ही नहीं है, या बहुत कम पीते हैं. नॉन-अल्कोहलहिक फैटी लिवर डिजीज बहुत खराब बीमारी है जिसके गंभीर हो जाने पर सिरोसिस, लिवर कैंसर और लिवर फेल्योर तक हो सकता है. अब एक नई रिसर्च में दावा किया गया कि जिन्हें नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज है, उनके परिवार में निकटतम संबंधियों यानी फर्स्ट डिग्री रिलेटिव को भी यह बीमारी हो सकती है.
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भाई-बहन, माता-पिता को ज्यादा जोखिम
डेवडिस्कोर्स वेबसाइट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस व्यक्ति को नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज है और वह फाइब्रोसिस जैसे एडवांस स्टेज में है, तो उनके फर्स्ट डिग्री संबंधियों को यह बीमारी होने का जोखिम 15 प्रतिशत बढ़ जाता है. इस रिसर्च के बाद एनएएफएलडी से पीड़ित लोगों के घर में भाई-बहन और बच्चे को पहले से इस बीमारी को लेकर सतर्क हो जाना चाहिए. यदि किसी के भाई, बहन, माता-पिता को फैटी लिवर डिजीज एडवांस स्टेज में है तो उन्हें तुरंत इस बीमारी से संबंधित सभी परीक्षण कराना चाहिए ताकि एडवांस स्टेज में आने से पहले इलाज किया जा सके. यह अध्ययन क्लिनिकल इंवेस्टिगेशन में प्रकाशित हुआ है.
साइलेंट किलर है फैटी लिवर डिजीज
सन डियागो स्कूल ऑफ मेडिसीन में डिविजन ऑफ गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी के प्रोफेसर रोहित लूंबा ने बताया कि अभी तक किसी को यह नहीं पता था कि जिसको फैटी लिवर डिजीज है, उनके फर्स्ट डिग्री रिलेटिव यानी भाई, बहन और बच्चे को भी इस बीमारी का खतरा है. उन्होंने बताया, “लिवर डिजीज साइलेंट किलर की तरह काम करता है. एडवांस स्टेज आने तक अधिकांश मरीजों को यह पता ही नहीं होता कि उसे फैटी लिवर डिजीज है. यही कारण है कि तब तक सिरोसिस हो जाता है. क्योंकि इसके कोई स्पष्ट लक्षण पहले से दिखाई नहीं देते.” लूंबा ने बताया कि इस रिसर्च का लक्ष्य उन रोगियों की पहचान करना है जिनको पहले से एडवांस स्टेज वाले लिवर की समस्या है और जिसे भविष्य में सिरोसिस होने का खतरा है. दरअसल, इस मेटाबोलिक डिजीज में पहले से लक्षण नहीं दिखते क्योंकि इसके पीछे पर्यावरणीय और आनुवांशिक कारण होता है. ताजा अध्ययन में पाया गया कि फैटी लिवर डिजीज के एडवांस स्टेज यानी फाइब्रोसिस की समस्या उन लोगों में ज्यादा है जिनके फर्स्ट डिग्री संबंधियों को यह बीमारी थी.
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