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क्या सच में सफेद चावल खाने से प्रीमेच्योर हार्ट अटैक होता है! जानें क्या है सच्चाई

आजकल 40-50 की उम्र में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. Photo-Shutterstock

आजकल 40-50 की उम्र में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. Photo-Shutterstock

White Rise increased PCAD: एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रिफाइंड अनाज का अधिक मात्रा में सेवन करने से हार्ट डि ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

अध्ययन में कहा गया है कि रिफाइंड ग्रेन का ज्यादा सेवन प्री मेच्योर कोरोनरी आर्टरी डिजीज के जोखिम को बढ़ा रहा है
अध्ययन में कहा गया है कि रिफाइंड ग्रेंस की वजह से कोरोनरी आर्टरी पतली हो रही है.

Premature heart attack: आजकल हार्ट अटैक को लेकर लोगों में बहुत ज्यादा चिंता होने लगी है. कई सेलीब्रेटियों की कम उम्र में हार्ट अटैक से हुई मौत की खबर ने इस चिंता को और बढ़ा दी है. हालांकि यह सच है कि दुनिया भर में हार्ट अटैक के कारण कम उम्र में लोगों की मौत के मामले बढ़ रहे हैं. डॉक्टर इसके लिए गलत खान-पान और गलत लाइफस्टाइल को जिम्मेदार मान रहे हैं. ऐसे में एक हालिया अध्ययन ने भी इस बात को और पुख्ता किया है. दरअसल, एक अध्ययन में कहा गया है कि रिफाइंड ग्रेन या अनाज का ज्यादा सेवन प्री मेच्योर कोरोनरी आर्टरी डिजीज (PCAD) के जोखिम को बढ़ा रहा है. यह अध्ययन इरानियन लोगों पर अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के शोधकर्ताओं ने किया है.

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एबीपी के मुताबिक अध्ययन में कहा गया है कि रिफाइंड ग्रेंस की वजह से 55 साल से कम उम्र के पुरुषों और 65 साल से कम उम्र की महिलाओं में कोरोनरी आर्टरी पतली हो रही है. यानी हार्ट तक खून को पहुंचाने वाली धमनियां पतली होने लगी है जिसके कारण प्रीमेच्योर कोरोनरी आर्टरी डिजीज हो रहा है. इस अध्ययन को अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (एसीसी) और अमीरात कार्डिएक सोसाइटी के कांग्रेस में 7 अक्टूबर को दुबई में पेश किया जाएगा.

साबुत अनाज का सेवन हार्ट डिजीज का जोखिम कम
एसीसी ने अपने अध्ययन में पाया है कि विभिन्न प्रकार के अनाज से कोरोनरी आर्टरी डिजीज को जोखिम है. अध्ययन में रिफाइंड और साबुत अनाज के असर पर अध्ययन किया गया था. हालांकि अध्ययन में आश्चर्य़जनक रूप से यह भी पाया गया कि साबुत अनाज का सेवन हार्ट डिजीज के जोखिम को कई गुना कम कर देता है. पीसीएडी ऐसी बीमारी है जिसमें शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखता है लेकिन धीरे-धीरे छाती में दर्द होने लगता है. ऐसा तब होता है जब धमनियों में वसा के जमा होने के कारण वह पतली होने लगती है. इसे स्टेनोसिस कहा जाता है. इसमें आर्टरी की दीवाल में चिपकी वसा फटने लगती है. हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और स्मोकिंग करने वाले लोगों में प्री-मेच्योर हार्ट अटैक का खतरा सबसे ज्यादा होता है.

क्या होता है रिफाइंड अनाज
अध्ययन के प्रमुख लेखक इस्फ़हान यूनवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस से मोहम्मद अमीन खजावी गास्करेई ने अपने बयान में कहा है कि कई कारणों की वजह से लोग साबुत अनाज की तुलना में रिफाइंड अनाज को ज्यादा पसंद करते हैं. उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति, आय, नौकरी, शिक्षा, संस्कृति, उम्र और कई अन्य कारक इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. रिफाइंड अनाज के अलावा ज्यादा मात्रा में शुगर, तेल का सेवन समान रूप से अनहेल्दी होता है. साबुत अनाज घर या आसपास की छोटी मशीन में तैयार किया जाता है जबकि रिफाइंड अनाज वह होता है जो बड़े-बड़े मिल में ले जाया जाता है और वहां इस अनाज की लाइफ को बढ़ाने के लिए उसमें केमिकल मिलाए जाते हैं और उसे देखने में अच्छा बनाया जाता है. इस प्रक्रिया में अनाज में मौजूद पोषक तत्वों का ह्रास हो जाता है.

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