हैवी वजन उठाने वाले पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल 24 प्रतिशत ज्यादा था. Image: Canva
How to Increase Sperm Count: आज आधुनिक लाइफस्टाइल के कारण अधिकांश लोगों का स्पर्म काउंट बहुत कम होने लगा है. साथ ही स्पर्म की गुणवत्ता भी कमजोर होने लगी है. अगर शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी होने लगे तो पिता बनने की संभावना धूमिल होने लगती है. इसके लिए शिथिल दिनचर्या जिम्मेदार हो सकता है. एक रिसर्च में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि शिथिल जीवन यानी जो लोग आराम पसंद काम करते हैं, उन लोगों की तुलना में भारी वजन उठाने वाले व्यक्तियों का स्पर्म काउंट शानदार होता है. अध्ययन के मुताबिक जो लोग कम शारीरिक मेहनत वाले काम करते हैं, उनमें स्पर्म काउंट कम होता है. अध्ययन में दावा किया गया है कि ज्यादा वजन उठाने वाले लोगों में स्पर्म काउंट सिंपल जॉब करने वालों की तुलना में 44 प्रतिशत ज्यादा होता है.
हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है. अध्ययन में कहा गया कि फिजिकली डिमांडिंग जॉब जिसमें हैवी वजन उठाने की जरूरत होती है, उसमें काम करने वाले कर्मचारियों में स्पर्म काउंट ऑफिस में बैठकर काम करने वाले लोगों की तुलना में 44 प्रतिशत ज्यादा है.
टेस्टोस्टेरॉन का लेवल 24 प्रतिशत ज्यादा
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इनफर्टिलिटी का इलाज करा रहे 370 लोगों की हेल्थ और उनके कामकाज पर गहराई से विश्लेषण किया. इन सभी मरीजों से कई सवाल पूछे गए और उन्हें एक सर्वे में भाग लेने के लिए कहा गया. अध्ययन के नतीजों में पाया गया कि जो लोग अपने जॉब में हैवी चीजों को उठाते थे या इधर-उधर करते थे, उनके स्पर्म की सांद्रता हैवी चीजों को न उठाने वाले मर्दों की तुलना में 46 प्रतिशत ज्यादा थी जबकि ऐसे लोगों में स्पर्म काउंट भी 44 प्रतिशत ज्यादा था. अध्ययन में यह भी पाया गया कि जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते थे, उनमें केवल दिन में काम करने वालों की तुलना में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल 24 प्रतिशत ज्यादा था. हलांकि रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में केवल दिन में काम करने वाले लोगों की तुलना में एस्ट्रोजन की सांद्रता 45 प्रतिशत ज्यादा थी.
फिजिकल काम मर्दानगी में सुधार करता है
प्रमुख शोधकर्ता लिडिया मिंग्यूज ने बताया कि हमारा यह अध्ययन बायोलॉजी की क्लास में पढाए जाने वाले इस तथ्य से अलग है जिसमें कहा जाता है कि मेल और फीमेल हार्मोन महिला और पुरुष दोनों में होते हैं लेकिन अलग-अलग मात्रा में. जब हमने इन लोगों पर अध्ययन किया तो हमने यह परिकल्पना की कि टेस्टोस्टेरॉन जब ज्यादा होता है तब यह एस्ट्रोजन में परिवर्तित हो जाता है. दोनों हार्मोन को शरीर में संतुलित रखने का यह ज्ञात तरीका है. यह अध्ययन पिछले अध्ययन के नतीजों से बिल्कुल अलग है जिसमें कहा गया था कि भारी श्रम करने वाले लोगों में स्पर्म कंन्संट्रेशन और स्पर्म काउंट कम होता है जबकि शिफ्ट की सीमेन की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन से यह साबित हुआ है कि फिजिकली डिमांडिंग जॉब पुरुषों में टेस्टीकुलर फंक्शन को कई संकेतकों के आधार पर सुधार करता है.
.
Tags: Health, Health tips, Lifestyle