डॉक्टरों की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. Image: Shutterstock
Antibiotic use in Fever: आमतौर पर एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने या बैक्टीरियल इंफेक्शन को रोकने के लिए किया जाता है लेकिन अधिकांश लोग एंटीबायोटिक का इस्तेमाल वायरल फीवर, खांसी आदि में भी करने लगते हैं. इससे एंटीबायोटिक्स का बहुत बुरा परिणाम शरीर में देखने को मिल सकता है. मेडिकल एजेंसियां लगातार एंटीबायोटिक के इस्तेमाल को लेकर चेताते रहती हैं लेकिन लोग फिर भी एंटीबायोटिक की गोली अपने मन से ले लेते हैं. इस कारण जब एंटीबायोटिक की सही में जरूरत होती है तब यह बेअसर होने लगती है. इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए भारतीय चिकित्सा एंव अनुसंधान परिषद (ICMR) ने नई गाइडलाइंस जारी की है. नई गाइडलाइंस के मुताबिक साधारण बुखार में डॉक्टरों को किसी भी हाल में एंटीबायोटिक की दवा नहीं लिखने को कहा गया है.
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नेशनल एक्शन प्लान का संशोधित रूप
एचटी की खबर के मुताबिक आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने बताया कि नई गाइडलाइन “ट्रीटमेंट गाइडलाइंस फॉर एंटीमाइक्रोबियल यूज इन कॉमन सिंड्रोम” 2017 में बनाए गए नेशनल एक्शन प्लान फॉर एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का संशोधित रूप है. इसका दूसरा सशोधित रूप 2019 में रिलीज किया गया था जिसमें बोन और ज्वाइंट इंफेक्शन, स्किन और सॉफ्ट टिशू और सेंट्रल नर्वस सिस्टम इंफेक्शन के बारे में गाइडलाइंस बनाई गई थी. अब इसका नया रूप सामने आया है. वर्तमान गाइडलाइन का मकसद एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के मानकों को और पुख्ता करना है. दरअसल, एंटीबायोटिक्स का सही इस्तेमाल बैक्टीरियल इंफेक्शन में होता है लेकिन अन्य तरह के इंफेक्शन में इसका इस्तेमाल करने से शरीर के गुड बैक्टीरिया मरने लगते हैं, इस कारण बीमारी वाले बैक्टीरिया ढीढ हो जाते हैं जो बाद में एंटीबायोटिक्स से भी नहीं मरते.
आईसीएमआर ने दी चेतावनी
आईसीएमआर के डाटा के मुताबिक प्रत्येक साल करीब 20 लाख इंफेक्शन के मामले सामने आते हैं, इनमें से 23,000 मौतें हो जाती है. आईसीएमआर के प्रवक्ता ने बताया कि नेशनल एक्शन प्लान-एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस को वैश्विक एक्शन प्लान के तहत बनाना मकसद है ताकि देश की जरूरतों को प्राथमिकता में रखी जा सके. वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि कोविड-19 को देखते हुए एंटीमाइक्रोबियल दवाइयों का इस्तेमाल बहुत बढ़ा है. इस परिप्रेक्ष्य में इस गाइडलाइन को बनाना और भी महत्वपूर्ण है. आईसीएमआर ने चेतावनी देते हुए कहा है कि कोविड-19 के बाद से कई महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाइयां बेअसर होने लगी है. इसलिए एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बिना जरूरत किसी भी हाल में न हो. आईसीएमआर की एक स्टडी में यह भी कहा गया है कि 2021 में आईसीयू में न्यूमोनिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली कार्बापेनेम्स (carbapenems) दवा के प्रतिरोध यानी बेअसर होने के मामले बढ़ गए हैं जो इस बीमारी के इलाज को सीमित कर दिया है. इन सब परिस्थितियों को देखते हुए एंटीबायोटिक के इस्तेमाल को लेकर गाइडलाइन बनाना बहुत जरूरी थी.
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