ट्यूलिप के पौधे के तने से इस अणु का निकाला जाता है.
Sudden death from heart attack: कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव, सिंगर केके और एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत के बाद लोगों में इस बात को लेकर काफी चिंता है कि कम उम्र में ही यह बीमारी लोगों को अपना शिकार क्यों बना रही है. दरअसल, दिल से सबंधित बीमारियों के कारण भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोग इसकी चपेट में आने लगे है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में हर साल सबसे ज्यादा लोग दिल से संबंधित बीमारियों के कारण ही असमय मौत के मुंह में चले जाते हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक प्रत्येक साल 1.79 करोड़ लोगों की मौत कार्डियो वैस्कुलर डिजीज से होने लगी है. और इनमें सबसे ज्यादा अचानक आए हार्ट अटैक से मरने वाले लोग शामिल हैं. इतने लोगों की मौत से डॉक्टर भी परेशान, हैरान हैं. आमतौर पर हार्ट अटैक से पहले शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखता, इसलिए डॉक्टर भी तत्काल कुछ करने में असमर्थ हो जाते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने इस बीमारी से बचाने के लिए एक नायाब तरीका खोजा है.
अचानाक होने वाली मौत से बचाया जा सकता है
साइटेकडेली के मुताबिक कम उम्र में अचानक मौत का सबसे प्रमुख कारण एआरवीसी है. यानी एरिथमोजेनिक राइट वेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी -ARVC. यह हार्ट की दीवाल में होने वाला सिंड्रोम है. इसे मायोकार्डिएमम कहा जाता है. इसमें हार्ट बीट बहुत बढ़ जाता है और सडेन कार्डिएक अरेस्ट के कारण अचानक मौत भी हो जाती है. कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल के अपने एक अध्ययन में सडेन कार्डिएक अरेस्ट के होने की प्रक्रिया के बारे में नई चीजों का पता लगाया है. प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर एलिसिया लुंडबी के अनुसार उनकी टीम ने सिर्फ इसकी प्रक्रिया के बारे में ही पता नहीं लगाया है बल्कि इसके उपचार का तरीका भी खोजा है जो लाखों लोगों को अचानक होने वाली मौत से बचा सकता है. प्रोफेसर एलिसिया लुंडबी ने कहा, “हमने एआरवीसी बीमारी के बारे में पहले से अज्ञात चीजों की पहचान की है. यह जानकारी पूरी तरह से नई है जिसके बारे में पहले कोई नहीं जानता था.”
एक अणु जो बीमारी को धीमा कर सकता है
पहले जो हमारे पास जानकारी थी, उसके मुताबिक हार्ट की कोशिकाओं के अंदर एक अज्ञात प्रक्रिया में खराबी के कारण हृदय की मांसपेशियों में संकुचन होता था. खराब प्रक्रिया का सेट चेन रिएक्शन में बदल जाता था जिससे कोशिकाएं मरने लगती थीं. कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी में बायोमेडिकल साइंसेज विभाग की एलिसिया लुंडबी कहती हैं, “हमें एक नई अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई है जिसके आधार पर, हमने एक अणु की पहचान की जो ARVC की प्रगति को धीमा करने में सक्षम हो सकता है.”
ट्यूलिप से होगा करामाती इलाज
शोधकर्ता प्रोफेसर एलिसिया लुंडबी की टीम ने देखा कि सिर्टुइन-3 (sirtuin-3) नाम का अणु हार्ट की दीवाल की कोशिकाओं को संकुचन से बचा सकता है. उन्होंने बताया कि जब तक यह अणु सक्रिय रहता है तब तक हार्ट की दीवाल में कोई संकुचन नहीं होता जिसके कारण हार्ट की दीवाल की कोशिकाएं मरती नहीं है और इस कारण एआरवीसी नहीं होता. इसके बाद शोधकर्ताओं की टीम ने इस अणु को जड़ी-बूटियों में तलाशना शुरू किया. कड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने इस तत्व को होनोकियॉल में तलाश लिया. होनोकियोल प्राकृतिक उत्पाद है जिसे ट्यूलिप के पेड़ की छाल और पत्तियों से निकाला जाता है. दिलचस्प बात यह है कि एशियाई देशों में इसका इस्तेमाल सदियों से दर्द निवारक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. शोधकर्ताओं ने चूहों के मॉडल पर इसका सफल प्रयोग किया है. जल्द ही इसका इंसानों पर भी ट्रायल किया जाएगा.
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