harmful side effect of excessive exercise : सिक्स पैक जैसी बॉडी दिखाना आज के युवाओं का पैशन बन गया है. अधिकांश शहरी युवा अपने बॉडी एपियरेंस को लेकर ज्यादा अलर्ट हो गए हैं. इसके लिए वे घंटों जिम में पसीना बहाते हैं और बॉडी बनाने के लिए बेतरतीब सप्लीमेंट तक लेने से गुरेज नहीं करते. कुछ लोगों को जिम का ऐसा चस्का लग जाता है कि एक दिन भी बिना जिम गए वह रह नहीं पाते. उन्हें बेचैनी होने लगती है. आमतौर पर यह माना जाता है कि जिम में पसीना बहाने से सेहत अच्छी रहती है लेकिन ज्यादा देर तक जिम में पसीना बहाना भी नुकसानदायक हो सकता है. सेंट स्टीफन अस्पताल, दिल्ली में फिजियोथेरेपी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ जैकब कुरियन (Dr Jacob Kurien) ने बताया कि जिम में एक नियत समय से ज्यादा देर तक एक्सरसाइज करना सेहत के लिए कई तरह से नुकसानदेह हो सकता है. इससे ड्राइविंग करने में भी परेशानी हो सकती है.
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ड्राइविंग में ध्यान केंद्रित करना हो जाता है मुश्किल
डॉ जैकब कुरियन ने कहा, ज्यादा देर तक एक्सरसाइज करने से ब्लड प्रेशर अधिक हो जाता है और खून में शुगर की मात्रा गिरने लगती है. इससे हाइपोग्लीसिमया (hypoglycemia) हो सकता है. इस स्थिति में ब्रेन की काम करने की क्षमता कम होने लगती है. यानी ब्रेन की जो पहले से शक्ति होती है, वह कम हो जाती है. इसका नतीजा यह होता है कि ज्यादा देर तक जिम करने वाले लोग किसी दूसरी चीज पर एकाग्र (concentrate) नहीं हो पाते हैं. अगर हाइपोग्लीसिमया हो जाए तो ड्राइविंग में भी परेशानी हो सकती है, क्योंकि हमारे दिमाग को एकाग्र होने में समय लगता है.
मसल्स में कैल्शियम जमा होना
ज्यादा जिमिंग का सबसे बुरा परिणाम मांसपेशियों (muscle) पर पड़ता है. इससे वियर एंड टियर (wear and tear) की समस्या हो सकती है. यानी मांसपेशियों में टूट-फूट हो सकती है. एक्सेस एक्सरसाइज के कारण मसल्स पेन और मसल्स स्ट्रेन आम बात है. दरअसल, हड्डी (Bone) और मांसपेशियां एक-दूसरे से जुड़ीं होती हैं. हड्डी के ऊपर कवरिंग होती है. जब एक्सेस एक्सरसाइज की जाती है, तब सबसे ज्यादा जोर मांसपेशियों पर पड़ता है. मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव के कारण हड्डियों में जो कवरिंग होती है, वह फट जाती है. कवरिंग के फटते ही हड्डियों में मौजूद कैल्सियम का मांसपेशियों में जमाव (deposition) शुरू होने लगता है. इससे मांसपेशियों के अंदर ही हड्डी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. इसे मायोसाइटिस ओसिफिकेंस (Myositis Ossificans) कहते हैं.
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