Craving for Junk Food and Exercise: कहते हैं कि एक्सरसाइज का असर केवल आपके शरीर पर ही नहीं होता है, बल्कि आपकी मेंटल हेल्थ पर भी होता है, लेकिन अब एक ताजा स्टडी से पता चला है कि नियमित एक्सरसाइज आपकी जंक फूड लेने की लालस भी कम करती है. इस स्टडी के दौरान रिसर्चर्स ने पाया कि 30-दिन की डाइट पर जिन चूहों ने भरपूर एक्सरसाइज की, उन्होंने अपने पसंदीदा हाई फैट खाने को नहीं खाने के संकेत दिए. स्टडी में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि जो लोग नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं, वे जंक फूड की लालसा का विरोध कर सकते हैं. वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी और व्योमिंग स्टेट यूनिवर्सिटी के फिजियोलॉजी और न्यूरोसाइंस के रिसर्चर ट्रैविस ब्राउन और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए इस अध्ययन का निष्कर्ष ‘ओबेसिटी’ नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
इस स्टडी को तृष्णा प्रतिरोध जिसे ‘इन्क्यूबेशन ऑफ क्रेविंग’ के रूप में जानते हैं, उसके अनुरूप डिजाइन किया गया. मतलब, डिजार्यड सब्स्टेंस को जितनी देर तक नकारा जाता है, उसके लिए सिग्नलों को अनदेखा करना, उतना ही कठिन होता है. इसके निष्कर्ष बताते हैं कि चूहे एक्सरसाइज के जरिए कितनी मेहनत से उन चीजों के प्रति अपनी इच्छा को नियंत्रित कर सके.
क्या कहते हैं जानकार
ट्रैविस ब्राउन का कहना है, हालांकि इस संबंध में अभी और स्टडी की जरूरत है, लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि एक्सरसाइज से कुछ खास पदार्थों की तृष्णा या लालसा (craving) को कम किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि ये वाकई ब्रेन के जरिए डाइट को कंट्रोल करने का एक अहम हिस्सा है. इसके जरिए लोग इतना तो कह ही सकते हैं कि हां, ये चीजे मुझे अच्छी लगती है, लेकिन मैं खाऊंगा नहीं. इसके आधार पर ये कहा जा सकता है कि एक्सरसाइझ ना सिर्फ शरीर का वजन घटाने के लिए फायदेमंद है बल्कि ये हमें हेल्थ को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों की लालसा को कम करने में मानसिक तौर पर तैयार करती है.
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ऐसे हुई स्टडी
ब्राउन और उनके कलीग्स ने ने 28 चूहों को एक ट्रेनिंग से गुजारा, जिसमें एक लीवर को दबाने से लाइट और आवाज के साथ हाई-फैट वाली एक गोली निकलती थी. ट्रेनिंग पीरियड के बाद इसकी पड़ताल की गई कि चूहे लाइट और आवाज के लिए कितनी बार लीवर दबाते हैं? इसके बाद रिसर्चर्स ने चूहों को दो ग्रुप्स में बांटा. एक ग्रुप के चूहों को अत्यधिक तेज आवाज वाले ट्रेडमिल रनिंग से गुजारा गया और दूसरे ग्रुप के चूहों को सिर्फ सामान्य कामकाज करने दिया गया और कोई अन्य एक्सरसाइज की एक्टिविटी नहीं कराई गई.
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दोनों ही ग्रुप्स के चूहों को 30 दिन तक हाई फैट वाले खाने से दूर रखा गया. इसके बाद उन चूहों को फिर से उस लीवर वाले प्रयोग से गुजारा गया. लेकिन इस बार लीवर दबाने से सिर्फ लाइट और आवाज निकलती थी, फैट वाली गोली नहीं. देखा गया कि जिन चूहों ने एक्सरसाइज की अतिरिक्त गतिविधि नहीं की, उन्होंने लीवर को उन चूहों की तुलना में ज्यादा दबाया, जिन्होंने खूब व्यायाम किया था. ये प्रयोग दर्शाता है कि एक्सरसाइज से उनमें फैट वाले खाद्य पदार्थों को लेकर लालसा कम हुई.
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