International Women's Day 2021: महिलाओं को इन 6 बीमारियों से बचना चाहिए, जा सकती है जान

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट अटैक से मौत की संभावना ज्यादा होती है. Image Credit : Pexels/ Puwadon Sang-ngern
International Women's Day 2021: कई बार महिलाओं को अपने अर्ली एज में ही गंभीर बीमारियों के सिंप्टम दिख जाते हैं लेकिन वे उसे इग्नोर कर देती हैं. यही गलती आगे चलकर उनकी जान तक ले सकती है.
- News18Hindi
- Last Updated: March 7, 2021, 10:26 AM IST
International Women's Day 2021: महिलाओं के शरीर (Women Body) में उम्र के साथ बदलाव आते ही रहते हैं. ऐसे में खुद के शरीर में हो रहे लगातार बदलावों को पहचानना आसान नहीं होता. कई बार महिलाओं को किसी गंभीर बीमारी (Disease) के लक्षण अपने अर्ली एज में दिखते तो हैं लेकिन वे उसे यह सोच कर इग्नोर कर देती हैं कि यह शायद बढ़ती उम्र की वजह से हो रहा बदलाव है. दरअसल यहीं पर वह गलती कर बैठतीं हैं जो आगे चलकर उनकी जान जाने की वजह तक बन जाती है.
ऐसे में परिवार की भी यह जिम्मेदारी होती है कि वह घर की महिलाओं की सेहत पर नजर रखें और किसी भी तरह की परेशानी दिखने पर डॉक्टर की सलाह लें. आपको शायद यकीन ना हो कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट अटैक से मौत की संभावना ज्यादा होती है. डिप्रेशन से लेकर यौन संचारित बीमारियों की चपेट में भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं आसानी से आ जाती हैं. इंटरनेशनल वुमन्स डे पर आइए आपको बताते हैं कि किन बीमारियों के लक्षण दिखने पर महिलाओं को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
1.दिल की बीमारी
वेबएमडी की एक रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक से जितना प्रभावित पुरुष होते हैं महिलाओं को भी इससे समान खतरा होता है. महिलाओं की मौत का 29% कारण हार्ट अटैक होता है. यहां तक कि कई महिलाएं तो दिल से जुड़ी बीमारियों से सिर्फ़ इसलिए जूझ रही हैं क्योंकि उन्हें पता है कि यह बीमारी ठीक नहीं होगी. विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर वे सही समय पर इलाज कराएं तो इन बीमारियों से उन्हें बचाया जा सकता है.इसे भी पढ़ें : International Women's Day 2021: वीमेंस डे को यादगार बनाएंगे आपके ये शानदार तोहफे
2.ब्रेस्ट कैंसर
महिलाओं मे ब्रेस्ट कैंसर सबसे कॉमन कैंसर के रूप में फैल रहा है. लंग कैंसर के बाद ब्रेस्ट कैंसर ही है जिससे महिलाओं की मौत सबसे ज्यादा हो रही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि महिलाओं में कैंसर का डर होने की वजह से वे स्क्रीनिंग के लिए डॉक्टर के पास नही जातीं. वेबएमडी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर यह कहते हैं कि अगर महिलाएं सही समय पर ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग करा लें तो इससे कई महिलाओं को अर्ली स्टेज में ही बचाया जा सकता है.
3.डिप्रेशन
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन की शिकायत ज्यादा होती है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल 12,000,000 महिलाएं डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं जबकि डिप्रेशन में जाने वाले पुरुषों की संख्या 6,000,000 है. विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को डिप्रेशन से बचाने में परिवार और दोस्तों की अहम भूमिका हो सकती है.
4.स्त्री रोग संबंधी
महिलाएं अपने जीवन में पीरियड, प्रेगनेंसी, प्रसव, रजोनिवृत्ति का अनुभव करती हैं. इसके अलावा, ब्लीडिंग और वाइट डिस्चार्ज से भी हर महिला गुजरती है. ये सभी महिलाओं के जीवन का अहम हिस्सा होते हैं जिसमें कई बार कई तरह की समस्याएं भी होती हैं. कई बार योनि से जुड़ी इन समस्याओं को इग्नोर करने से रिप्रोडक्टिव ट्रेक्ट कैंसर की संभावना हो जाती है और वह इंफर्टिलिटी और किडनी फेलियर जैसी गंभीर स्थितियों की वजह बन जाती है. ऐसे में महिलाओं में इसके प्रति जागरुकता बढ़ाना जरूरी है.
5.प्रेग्नेंसी के समय की समस्या
प्रेग्नेंसी हर औरत के लिए एक बहुत अच्छा अनुभव है लेकिन यह अनुभव अस्थमा, मधुमेह या अवसाद से ग्रस्त मां और बच्चे दोनों को हानि पहुंच सकता है. इस समय अगर महिला के शरीर में खून की कमी हो जाती है तो वह भी उसके लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है. इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान अगर बच्चा गर्भाशय में न आकर फैलोपियन ट्यूब में चला जाए तो यह भी कई महिलाओं की मौत की वजह बन सकता है . ऐसे में परिवार की भी यह जिम्मेदारी होती है कि वह उसका खास ख्याल रखे.
6.ऑटोइम्यून डिजीज
महिलाओं में ऑटो इम्यून डिजीज का पता जितनी जल्दी चल जाए उतना अच्छा है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑटोइम्यून रोगों के शिकार होने की दर 2:1 है. इस बीमारी के लक्षण हैं तुरंत थकावट होना, हल्का बुखार, दर्द, त्वचा में जलन आदि. ऑटोइम्यून विकार में लुपस, जोग्रेन सिंड्रोम, अर्थराइटिस, वस्कुलिटिस और एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस आदि शामिल हैं. इसके अलावा टाइप 2 डायबिटीज़, सोरायसिस, मल्टीपल स्केरोसिस, बोवल सिंड्रोम आदि भी इसमें आते हैं. (Disclaim er: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
ऐसे में परिवार की भी यह जिम्मेदारी होती है कि वह घर की महिलाओं की सेहत पर नजर रखें और किसी भी तरह की परेशानी दिखने पर डॉक्टर की सलाह लें. आपको शायद यकीन ना हो कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट अटैक से मौत की संभावना ज्यादा होती है. डिप्रेशन से लेकर यौन संचारित बीमारियों की चपेट में भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं आसानी से आ जाती हैं. इंटरनेशनल वुमन्स डे पर आइए आपको बताते हैं कि किन बीमारियों के लक्षण दिखने पर महिलाओं को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
1.दिल की बीमारी
2.ब्रेस्ट कैंसर
महिलाओं मे ब्रेस्ट कैंसर सबसे कॉमन कैंसर के रूप में फैल रहा है. लंग कैंसर के बाद ब्रेस्ट कैंसर ही है जिससे महिलाओं की मौत सबसे ज्यादा हो रही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि महिलाओं में कैंसर का डर होने की वजह से वे स्क्रीनिंग के लिए डॉक्टर के पास नही जातीं. वेबएमडी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर यह कहते हैं कि अगर महिलाएं सही समय पर ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग करा लें तो इससे कई महिलाओं को अर्ली स्टेज में ही बचाया जा सकता है.
3.डिप्रेशन
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन की शिकायत ज्यादा होती है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल 12,000,000 महिलाएं डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं जबकि डिप्रेशन में जाने वाले पुरुषों की संख्या 6,000,000 है. विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को डिप्रेशन से बचाने में परिवार और दोस्तों की अहम भूमिका हो सकती है.
4.स्त्री रोग संबंधी
महिलाएं अपने जीवन में पीरियड, प्रेगनेंसी, प्रसव, रजोनिवृत्ति का अनुभव करती हैं. इसके अलावा, ब्लीडिंग और वाइट डिस्चार्ज से भी हर महिला गुजरती है. ये सभी महिलाओं के जीवन का अहम हिस्सा होते हैं जिसमें कई बार कई तरह की समस्याएं भी होती हैं. कई बार योनि से जुड़ी इन समस्याओं को इग्नोर करने से रिप्रोडक्टिव ट्रेक्ट कैंसर की संभावना हो जाती है और वह इंफर्टिलिटी और किडनी फेलियर जैसी गंभीर स्थितियों की वजह बन जाती है. ऐसे में महिलाओं में इसके प्रति जागरुकता बढ़ाना जरूरी है.
5.प्रेग्नेंसी के समय की समस्या
प्रेग्नेंसी हर औरत के लिए एक बहुत अच्छा अनुभव है लेकिन यह अनुभव अस्थमा, मधुमेह या अवसाद से ग्रस्त मां और बच्चे दोनों को हानि पहुंच सकता है. इस समय अगर महिला के शरीर में खून की कमी हो जाती है तो वह भी उसके लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है. इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान अगर बच्चा गर्भाशय में न आकर फैलोपियन ट्यूब में चला जाए तो यह भी कई महिलाओं की मौत की वजह बन सकता है . ऐसे में परिवार की भी यह जिम्मेदारी होती है कि वह उसका खास ख्याल रखे.
6.ऑटोइम्यून डिजीज
महिलाओं में ऑटो इम्यून डिजीज का पता जितनी जल्दी चल जाए उतना अच्छा है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑटोइम्यून रोगों के शिकार होने की दर 2:1 है. इस बीमारी के लक्षण हैं तुरंत थकावट होना, हल्का बुखार, दर्द, त्वचा में जलन आदि. ऑटोइम्यून विकार में लुपस, जोग्रेन सिंड्रोम, अर्थराइटिस, वस्कुलिटिस और एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस आदि शामिल हैं. इसके अलावा टाइप 2 डायबिटीज़, सोरायसिस, मल्टीपल स्केरोसिस, बोवल सिंड्रोम आदि भी इसमें आते हैं. (Disclaim er: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)