कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट का फेफड़ो पर क्या है असर जानें (Image: Shutterstock)
Tips to prevent from pneumonia in winter: निमोनिया (Pneumonia) सांस से संबंधित गंभीर बीमारी है जो बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के कारण होती है. निमोनिया में फेफड़ों में इन्फेक्शन (Infection in Lungs) होता है. 2019 में करीब 25 लाख लोगों की मौत निमोनिया के कारण हुई है. इनमें 6.72 लाख बच्चे भी शामिल हैं. कई रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि कोविड से ठीक होने के बाद लोग निमोनिया से ग्रसित हो रहे हैं. कोविड निमोनिया के कारण मौत का आंकड़ा और भी बढ़ने लगा है. सर्दी के मौसम में निमोनिया का असर ज्यादा होने लगता है. सर्दी (Winter) में नमी ज्यादा होने के कारण बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण ज्यादा होने लगता है.
क्या है निमोनिया
निमोनिया फेफड़े के संक्रमण की एक बीमारी है. इसमें लंग्स में असाधारण तौर पर सूजन आ जाती है. ज्यादा गंभीर संक्रमण होने पर लंग्स में पानी भर जाता है. आमतौर पर यह बैक्टीरिया या वायरस संक्रमण के कारण होता है जो साधारण इन्फ्लूएंजा की तरह ही होते है लेकिन हाल के दिनों में देखा गया है कि यह कोविड वायरस के कारण भी होने लगा है. एचटी की खबर के मुताबिक इससे लंग्स को भारी क्षति पहुंचती है.
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निमोनिया होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं
निमोनिया के मरीजों में आमतौर पर देखा जाता है कि ठंड या बिना ठंड के बहुत तेज बुखार आता है.
अगर व्यक्ति को खांसी के साथ पीले रंग का बलगम आ रहा है. साथ ही तेज बुखार (Fever) आ रहा है और लंबी सांस लेने में व्यक्ति को काफी दर्द महसूस होता है तो निमोनिया है.
कुछ मरीजों की छाती में दर्द भी होता है. कभी-कभी खांसी के साथ खून भी निकल आता है.
भूख नहीं लगती है.
लक्षण दिखने पर क्या करना चाहिए
साधारण निमोनिया की एक्सरे या सीटी स्कैन से पहचान की जा सकती है. इसके बाद इलाज से निमोनिया ठीक हो जाता है. इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
निमोनिया न हो इसके लिए क्या करें
ठंड के मौसम में बाहर निकलें तो सावधानी से निकलें. फिर चाहे उस वक्त मौसम कुछ गर्म ही क्यों न हो. सितंबर से नवंबर तक कभी गर्मी कभी ठंड की वजह से लोग लापरवाही करते हैं और निमोनिया की चपेट में आ जाते हैं.
कोविड की वैक्सीन के साथ ही बैक्टीरिया के लिए भी वैक्सीन लगवानी चाहिए. कई बार देखा गया कि बैक्टीरियल वैक्सीन लगाने से बीमारी की गंभीरता कम हो जाती है.
स्मोकिंग और ड्रिंकिंग वाले लोगों को निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए स्मोकिंग, ड्रिंकिंग को छोड़ना होगा.
डायबेटिक मरीजों को ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है.
पोषक तत्वों से भरपूर भोजन को डाइट में शामिल करना होगा.
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