डेंगू एक गंभीर बीमारी है, जिसका आयुर्वेद में उपचार पूरी तरह से संभव है.
Ayurvedic Treatment for Dengue Fever: आज (16 मई) ‘राष्ट्रीय डेंगू दिवस’ है. डेंगू के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की अनुशंसा पर आज के दिन भारत में ‘नेशनल डेंगू डे’ मनाया जाता है. डेंगू के प्रसार का मौसम शुरू होने से पहले देश में रोग नियंत्रण के लिए निवारक उपायों और तैयारियों को तेज कर दिया जाता है. मलेरिया की तरह ही डेंगू भी एक तरह का बुखार होता है, जो मच्छर के काटने से होता है. इन मच्छरों को एडीज इजिप्टी के नाम से जाना जाता है. यह चार प्रकार का होता है, टाइप-1, टाइप-2, टाइप-3, टाइप-4. बोलचाल की भाषा में इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं. यह मच्छर रात की अपेक्षा दिन में अधिक प्रभावी होते हैं, जिसके काटने से शरीर व जोड़ों में अधिक दर्द होता है.
नेशनल प्रेसिडेंट, इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (आयुष) और मेडिकल सुपरिटेंडेंट, आयुर्वेदिक पंचकर्मा हॉस्पिटल (प्रशांत विहार, उत्तरी दिल्ली नगर निगम) के डॉ. आर. पी. पाराशर कहते हैं कि डेंगू के इलाज में आयुर्वेदिक दवाएं कारगर हैं, जिनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. बुखार के सभी रोगी पहले दिन से ही कालमेघ, भुंई आंवला, पपीते के पत्तों के रस, गिलोय का काढ़ा और हरसिंगार के पत्तों के काढ़े का प्रयोग करें, ताकि डेंगू का संक्रमण गंभीर स्थिति में न पहुंचे.
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डेंगू का आयुर्वेदिक इलाज
डेंगू में पिएं हरसिंगार का काढ़ा
डॉ. आर. पी. पाराशर कहते हैं कि बुखार आने पर पहले दिन से ही इन दवाओं का प्रयोग करने से न तो प्लेटलेट्स की संख्या ज्यादा घटेगी और न ही शरीर में ब्लीडिंग होगी. ये दवाएं हर तरह के बुखार में लाभकारी हैं और यदि डेंगू का संक्रमण न भी हो, तो इन दवाओं के प्रयोग से कोई नुकसान नहीं होगा. काढ़ा बनाने के लिए हरसिंगार के 20 से 25 पत्ते आधा लीटर पानी में उबालें और पानी आधा रह जाने पर छानकर रख लें. यह काढ़ा बीस मिली लीटर (चार चम्मच ) की मात्रा में हर 2 घंटे के बाद रोगी को पिलाएं. काढे में हरसिंगार के पत्तों के साथ काली मिर्च, तुलसी और गिलोय को भी मिला सकते हैं. देश-विदेश में हुए विभिन्न अनुसंधानों में यह सिद्ध हो चुका है कि पपीते के पत्तों के रस, गिलोय, भुंई आंवला और कालमेघ में एंटीवायरल गुण हैं और ये दवाएं वायरस को खत्म करती हैं, लेकिन शरीर को किसी भी तरह की हानि नहीं पहुंचाती हैं, लेकिन दवाओं का प्रयोग चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए.
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डेंगू एक गंभीर बीमारी
आशा आयुर्वेदिक सेंटर (राजौरी गार्डन, नई दिल्ली) की सीनियर आयुर्वेद कंसल्टेंट डॉ. चंचल शर्मा कहती हैं कि डेंगू एक गंभीर बीमारी है, जिसका आयुर्वेद में उपचार पूरी तरह से संभव है. आयुर्वेद में सभी बुखारों को नियंत्रित कर उसे ठीक करने की क्षमता है. आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा के अंतर्गत आने वाले कर्म जैसे विरेचन (शुद्धिकरण), वमन (चिकित्सीय उल्टी) , बस्ती कर्म (एनिमा), नास्य कर्म और रक्तमोक्षण की सलाह नहीं दी जाती है, बल्कि इसके लिए विशेष प्रकार की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धदि का प्रयोग किया जाता है.
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आयुर्वेदिक लंघन चिकित्सा- लंघन के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को व्रत रखने की सलाह दी जाती है. इसके बाद विशेष औषधियों के साथ कम या फिर हल्का भोजन दिया जाता है. आयुर्वेद में व्यक्ति के प्रकृति के अनुसार, लंघन का चयन किया जाता है.
दीपन और पाचन- डेंगू के मरीज शरीर से बहुत कमजोर हो जाते हैं, इसलिए आयुर्वेद में उनकी पाचन क्षमता तथा पाचन अग्नि में वृद्धि करने के लिए दीपन व पाचन से संबंधित औषधियां दी जाती हैं.
मृदु स्वेदन- आयुर्वेदिक चिकित्सा के द्वारा शरीर में पसीना लाने की पद्धति है.
डेंगू के मरीज के लिए आयुर्वेदिक औषधियां
-पपीते की पत्तियां का सेवन
-गुडूची औषधि
-गेहूं ज्वार
-रसोनम
-तुलसी नीम
-त्रिभुवनकीर्तिरस
संजीवनी वटी
-सुदर्शन चूर्ण
-वासावलेह
-सूतशेखर
-वसंत कुसुमाकर
-लाक्षा गोदंती चूर्ण
इन सभी आयुर्वेदिक उपचारों को आयुर्वेदिक चिकित्सक की निगरानी में ही लेना चाहिए. बिना चिकित्सक के परार्मश के किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन नही करना चाहिए.
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