अब युवाओं को भी शिकार बना रहा बाउल कैंसर ! 5 कारण जानकर पकड़ लेंगे माथा, तुरंत शुरू करें बचाव
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Bowel Cancer in Young People: बाउल कैंसर के मामले युवाओं में तेजी से बढ़ रहे हैं. चिंता की बात यह है कि बाउल कैंसर की सबसे बड़ी वजह एनवायरनमेंटल और लाइफस्टाइल फैक्टर्स हैं. कुछ आदतों को बदलने से रिस्क कम हो सकता है.
यंग एडल्ट में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.Bowel Cancer Causes in Young Adults: कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर बैठ जाता है. यह सबसे ज्यादा घातक बीमारी मानी जाती है और इसका सही समय पर इलाज न हो, तो मरीज जान गंवा देता है. कैंसर कई तरह के होते हैं, जिनमें से एक बाउल कैंसर (Bowel Cancer) है, जो बेहद खतरनाक होता है. साल 2022 में बाउल कैंसर के 19 लाख नए केस मिले, जबकि 9 लाख लोगों की मौत हो गई. चिंता की बात है कि बाउल कैंसर अब युवाओं को शिकार बना रहा है.
पिछले दो दशक में बाउल कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है और इनमें बड़ी संख्या में युवा भी शामिल हैं. एक जमाने में माना जाता था कि कैंसर केवल बुजुर्गों को होता है, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक पिछले 20 साल में 55 साल से कम उम्र के लोगों में बाउल कैंसर के मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में खराब लाइफस्टाइल, गलत खानपान, बैक्टीरियल टॉक्सिन और तनाव शामिल हैं.
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक बाउल कैंसर को मेडिकल की भाषा में कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) कहा जाता है. यह बड़ी आंत और मलाशय को प्रभावित करने वाला एक कैंसर है. यह आमतौर पर आंत की अंदरूनी परत में छोटी गांठ या पॉलिप्स के रूप में शुरू होता है, जो समय के साथ कैंसर में बदल जाता है. जब इन पॉलिप्स की समय पर जांच और इलाज नहीं किया जाता, तो ये कोशिकाएं अनकंट्रोल तरीके से बढ़ने लगती हैं और आस-पास के टिश्यूज को नुकसान पहुंचाने लगती हैं. यह कैंसर धीरे-धीरे डेवलप होता है और शुरुआत में इसके कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं. जब यह बढ़ जाता है, तब बार-बार दस्त या कब्ज, मल में खून आना, पेट में दर्द, गैस, कमजोरी, थकान और अचानक वजन कम होने जैसे लक्षण दिखते हैं.
कई रिसर्च में पता चला है कि 90% तक कोलन और कोलोरेक्टल कैंसर लाइफस्टाइल और एनवायरनमेंटल फैक्टर्स से होते हैं. आसान भाषा में समझें, तो इन कैंसर को रोका जा सकता है. बाउल कैंसर दुनिया के सबसे कॉमन कैंसर में से एक है और इससे बचाव किया जा सकता है. बाउल कैंसर ही नहीं, बल्कि ब्रेस्ट, फेफड़े, अंडाशय और अग्न्याशय के कैंसर भी युवाओं में तेजी से बढ़ रहे हैं. ‘द लैंसेट ऑन्कोलॉजी’ में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार वेस्टर्न देशों में युवाओं में कोलोरेक्टल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, जबकि बुजुर्गों में इस कैंसर के मामले स्टेबल हैं या इनमें गिरावट हो रही है.
नेचर जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार कुछ प्रकार के ई. कोलाई बैक्टीरिया द्वारा पैदा किया जाने वाला टॉक्सिन कोलिबैक्टिन युवाओं में बाउल कैंसर के बढ़ते मामलों का एक संभावित कारण हो सकता है. रिसर्च बताती है कि 40 वर्ष से कम उम्र के मरीजों में 70 वर्ष से ज्यादा के मरीजों की तुलना में कोलिबैक्टिन से जुड़े म्यूटेशन 3 से 5 गुना ज्यादा थे. इसके अलावा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स जैसे- पैकेज्ड स्नैक्स, शुगरी ड्रिंक्स और अनहेल्दी ऑयल का सेवन वेस्टर्न डाइट का हिस्सा बन गया है. इस चीजों से आंतों में सूजन पैदा हो जाती है और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. USF हेल्थ और टैम्पा जनरल हॉस्पिटल कैंसर इंस्टीट्यूट की एक रिसर्च में पता चला है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड शरीर की नेचुरल हीलिंग प्रोसेस को बाधित कर सकते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि ज्यादा स्ट्रेस और एंजायटी भी युवाओं में कैंसर के बढ़ते मामलों का एक प्रमुख कारण है. लंबे समय तक तनाव शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर करता है, आंतों की माइक्रोबायोटा को बदलता है और सूजन को बढ़ावा देता है. इससे ट्यूमर डेलवप होने का खतरा बढ़ जाता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार क्रॉनिक स्ट्रेस इम्यून रिस्पॉन्स को प्रभावित करता है और कैंसर की ग्रोथ को बढ़ा सकता है. स्ट्रेस और एंजायटी को हर हाल में कंट्रोल करना चाहिए, ताकि कैंसर का रिस्क कम हो सके.
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अमित उपाध्याय
अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. ...और पढ़ें
अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. ... और पढ़ें
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