स्पर्म को बेहद कम टेंपरेचर में लिक्विड नाइट्रोजन में फ्रीज करके स्टोर किया जाता है.
Sperm Freezing Benefits: रूस और यूक्रेन के बीच करीब एक साल से भीषण जंग चल रही है. दोनों देशों के हजारों सैनिकों की इस युद्ध में मौत हो चुकी है. इसी बीच रूसी सरकार ने अपने सैनिकों को स्पर्म फ्रीज (Sperm Freeze) कराने की फ्री सुविधा देने का फैसला किया है. रूस में बड़ी तादाद में लोग भी स्पर्म फ्रीज करवा रहे हैं. जानकारों के मुताबिक स्पर्म फ्रीज कराने के कई फायदे होते हैं और भारत समेत कई देशों में इसकी सुविधा उपलब्ध है. हालांकि अभी तक कम लोग ही इस प्रक्रिया के बारे में जानते हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर स्पर्म फ्रीज कराने की क्या प्रक्रिया है और लोग ऐसा क्यों करवाते हैं? इन सभी सवालों के जवाब एक्सपर्ट से जान लेते हैं.
अपोलो फर्टिलिटी (वाराणसी) की सीनियर कंसल्टेंट और आईवीएफ एंड इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. शिवाली त्रिपाठी के मुताबिक स्पर्म फ्रीजिंग वीर्य (Sperm) या टेस्टिकुलर टिश्यूज को बेहद कम तापमान पर फ्रीज करके स्टोर करने की एक प्रक्रिया होती है. इसे प्रोसेस को क्रायोप्रिजर्वेशन (cryopreservation) भी कहा जाता है. इस प्रोसेस में स्पर्म को जरूरी टेस्टिंग के बाद लिक्विड नाइट्रोजन में फ्रीज किया जाता है. फिर उसे स्टोर करके रख दिया जाता है. इस प्रोसेस के जरिए आप स्पर्म को कई महीनों तक आसानी से सुरक्षित रख सकते हैं. जब जरूरत हो तब उसे निकालकर गर्भाधान (conception) के लिए इस्तेमाल कर लिया जाता है. फ्रीज किए गए स्पर्म बेहद कम तापमान में 50-70% तक सुरक्षित बचे रहते हैं. कई बार यह उनकी मूल प्रकृति पर भी निर्भर करता है. अध्ययनों से पता चलता है कि फ्रीजिंग प्रोसेस का असर स्पर्म की व्यवहार्यता, गतिशीलता और मॉर्फोलॉजी पर भी पड़ता है.
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डॉ. शिवाली त्रिपाठी कहती हैं कि स्पर्म फ्रीजिंग का एकमात्र उद्देश्य भविष्य में गर्भाधान के लिए स्पर्म का उपयोग करना होता है. इस प्रोसेस से पुरुष अपनी प्रजनन क्षमता को सुनिश्चित कर सकते हैं. स्पर्म फ्रीज कराने के कई कारण होते हैं. कुछ कारणों की वजह से तमाम लोग देरी से पैरेंट्स बनना चाहते हैं, वे स्पर्म फ्रीज कराते हैं. जो पुरुष कैंसर के ट्रीटमेंट के लिए कीमोराडिएशन कराने जाते हैं, उससे पहले स्पर्म फ्रीज करवाते हैं, ताकि वे भविष्य में बिना किसी परेशानी के पिता बन सकें. कुछ कपल्स बच्चा न होने की कंडीशन में आईवीएफ/आईसीएसआई का विकल्प चुनते हैं, ऐसे में स्पर्म डोनेशन के जरिए उनका बच्चा होने का सपना पूरा हो जाता है. स्पर्म फ्रीज कराने के बाद डोनेट भी किया जा सकता है.
डॉक्टर की मानें तो भारत जैसे विशाल देश में स्पर्म बैंकिंग का स्कोप बहुत ज्यादा है, लेकिन अभी इस प्रक्रिया के बारे में जागरुकता काफी कम है. इसको लेकर एक बहुत बड़ा दायरा है और इस बारे में लोगों तक ज्यादा से ज्यादा जानकारी पहुंचाने की जरूरत है. स्पर्म डोनेशन को लेकर लोगों के दिमाग में कई सवाल होते हैं. डॉक्टर शिवाली कहती हैं कि केवल स्वस्थ व्यक्ति ही स्पर्म डोनेट कर सकता है. सभी इंफेक्शन की जांच के बाद ही लोग अपना स्पर्म डोनेट कर सकते हैं क्वारंटाइन की अवधि के बाद ही क्लिनिकल उपयोग के लिए स्पर्म के नमूने जारी किए जाते हैं और डोनेशन की अनुमति देने से पहले स्पर्म डोनर की मेडिकल, आनुवंशिक, संक्रामक और मनोवैज्ञानिक बीमारियों की जांच की जाती है.
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