फेफड़े शरीर का एक अहम हिस्सा हैं, जो रक्त वाहिनियों (Blood Vessels) को रक्त पहुंचाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग फेफड़े (Lungs) के स्वास्थ के प्रति जागरूक नहीं रहते हैं. फेफड़े में किसी भी तरह की दिक्कत आने से सांस संबंधी समस्या (Respiratory Problems) पैदा होने का जोखिम रहता है. हालांकि कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप की वजह से लोग फेफड़ों के स्वास्थ्य को लेकर सजग होना शुरू हो गए हैं.
फेफड़ों से जुड़ी एक और बीमारी है जिसके बारे में लोगों को जानना जरूरी है और वह है न्यूमोथोरैक्स (Pneumothorax). संकुचित फेफड़ों को न्यूमोथोरैक्स कहते हैं और यह स्थिति तब आती है जब फेफड़ों और छाती की दीवार के बीच में हवा पास होती है. इससे फेफड़ों पर हवा बाहर की तरफ से दबाव बनाती है, जिससे यह सिकुड़ जाते हैं. अधिकांश मामलों में फेफड़ों में इसका केवल एक हिस्सा सिकुड़ता है. न्यूमोथोरैक्स की स्थिति में सीने में तेज दर्द और सांस की तकलीफ बनती है. इसके अन्य लक्षणों में दिल की धड़कन तेज होना, ऊतकों तक ऑक्सीजन की कम आपूर्ति के कारण त्वचा नीली पड़ना और थकान शामिल है.
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myUpchar के अनुसार न्यूमोथोरैक्स की समस्या सीने में चोट, फेफड़े से जुड़ी कुछ चिकित्सा प्रक्रियाओं या फेफड़ों की बीमारी से होने वाली क्षति के कारण हो सकता है. कई बार बिना स्पष्ट कारण के भी ऐसा हो सकता है. कुछ मामलों में यह अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन अगर न्यूमोथौरैक्स की समस्या गंभीर हो, तो मेडिकल प्रोसीजर की मदद लेनी पड़ सकती है.
जब कोई व्यक्ति सांस लेता या छोड़ता है तो फेफड़े छाती की आंतरिक परतों में बढ़ते सिकुड़ते हैं. इस प्रक्रिया में फेफड़ों में वैक्यूम बनता है. न्यूमोथोरैक्स की स्थिति में चोट या फेफड़ों से जुड़ी किसी बीमारी की वजह से फेफड़ों के ऊतकों में एक छेद या क्षति हो जाती है. इससे फेफड़े के अंदर की हवा पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाती है और फेफड़ों का संतुलन बिगड़ जाता है. यही वजह है कि फेफड़े फूलने की जगह अधिक सिकुड़ने लगते हैं.
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इस तरह की समस्या का जोखिम उन लोगों में ज्यादा है जो धूम्रपान करते हैं, पतले, लंबे और 10 से 30 साल की बीच की उम्र के हैं. यही नहीं कुछ खेल जैसे फुटबॉल या हॉकी के खिलाड़ियों में भी इस समस्या का खतरा हो सकता है. यह बीमारी ज्यादातर पुरुषों में होती है. इसके निदान के लिए डॉक्टर फेफड़ों के रोग या संबंधित चोट के बारे में सवाल पूछते हैं. इस प्रक्रिया को मेडिकल हिस्ट्री पता करना कहते हैं. इसके अलावा निदान के लिए आर्टेरियल ब्लड गैस टेस्ट भी होता है, जिसमें खून में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा को नापा जाता है. ऑक्सीजन का निम्न स्तर और कार्बन डाईऑक्साइड का उच्च स्तर न्यूमोथोरैक्स की ओर इशारा करता है. डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट की भी मदद ले सकते हैं, जिसमें न्यूमोथोरैक्स की पुष्टि के लिए सीटी स्कैन, ईसीजी या एक्स-रे किया जाता है. myUpchar के अनुसार श्वसन संबंंधी व्यायाम करने से फेफड़ों को मजबूत किया जा सकता है.
अधिक जानकारी के लिए हमारा आर्टिकल, फेफड़ों के रोग पढ़ें।
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