दवाई का बाप है ये पौधा.. त्वचा, फोड़े-फुंसियों और पेट के रोग में कारगर, बेशकीमती है इसकी लकड़ी
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ग्रामीण मूल सिंह बताते है कि प्रदेश सरकार ने 1983 में रोहिड़े के पुष्प को राज्य पुष्प घोषित कर दिया था, लेकिन आज यह अपने अस्तित्व और वजूद की लड़ाई लड़ रहा है. सरकार द्वारा इसके संरक्षण के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई. स्थिरीकरण के लिए भी यह पेड़ बहुउपयोगी है.
नरेश पारीक/चूरू. राज्य पुष्प रोहिड़ा का पेड़ लगातार अनदेखी का शिकार हो रहा है. भीषण गर्मी और माइनस सर्दी में भी अपना वर्चस्व बनाए रखने वाले इस पेड़ की हर एक चीज बेशकीमती है. औषधीय गुणों से भरपूर रोहिड़ा के पेड़ की अनदेखी भविष्य में इसके वजूद पर भारी पड़ सकती है. सूखे में भी गुलजार रहने वाला यह पेड़ ना सिर्फ धोरों का श्रंगार है, बल्कि रेतीले धोरों के स्थिरीकरण के लिए भी यह पेड़ बहुउपयोगी है. दिसंबर से अप्रैल माह तक कई प्रकार के चटकीले फूलों से गुलजार होने वाला यह वृक्ष हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है.
ग्रामीण मूल सिंह बताते है कि प्रदेश सरकार ने 1983 में रोहिड़े के पुष्प को राज्य पुष्प घोषित कर दिया था, लेकिन आज यह अपने अस्तित्व और वजूद की लड़ाई लड़ रहा है. सरकार द्वारा इसके संरक्षण के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई. स्थिरीकरण के लिए भी यह पेड़ बहुउपयोगी है. बता दे कि रोहिड़े की कटाई और इसकी लकड़ी के परिवहन पर प्रतिबंध है, कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का वन विभाग के पास अधिकार है. वहीं, काश्तकार आज इसे लेने से मना कर रहा है और तर्क देता है कि इस पेड़ के नीचे फसल पैदा नहीं होती.
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औषधीय गुण से भरपूर
रोहिड़ा औषधीय उपयोग में भी महत्वपूर्ण है. त्वचा, फोड़े-फुंसियों, पेट के रोग, घाव, कान का रोग, आंख के रोग की दवा में भी रोहिड़ा का उपयोग होता है. मूत्र संबंधी रोगों की दवा में भी रोहिड़ा का उपयोग होता है. पेट संबंधी रोगों में यह विशेष गुणकारी है और लिव-52 औषधि में भी इसका उपयोग किया जाता है.
रोहिड़ा औषधीय उपयोग में भी महत्वपूर्ण है. त्वचा, फोड़े-फुंसियों, पेट के रोग, घाव, कान का रोग, आंख के रोग की दवा में भी रोहिड़ा का उपयोग होता है. मूत्र संबंधी रोगों की दवा में भी रोहिड़ा का उपयोग होता है. पेट संबंधी रोगों में यह विशेष गुणकारी है और लिव-52 औषधि में भी इसका उपयोग किया जाता है.
इसकी लकड़ी है बेशकीमती
रोहिड़े की लकड़ी बेशकीमती और बेहद मजबूत होती है. रोहिड़े की लकड़ी की उम्र 100 साल बताई जाती है. बताया जाता है कि 100 साल तक रोहिड़े से बना फनीर्चर खराब नहीं होता और इसकी लकड़ी में कीड़े नहीं लगते. रोहिड़े की कमी की एक मुख्य वजह इसकी लकड़ी की मजबूती भी है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. साज-सज्जा का सामान, फर्नीचर और घर के खिड़की और दरवाजे बनवाने के लिए भी रोहिड़े की अंधाधुंध कटाई हुई और आज भी हो रही है.
रोहिड़े की लकड़ी बेशकीमती और बेहद मजबूत होती है. रोहिड़े की लकड़ी की उम्र 100 साल बताई जाती है. बताया जाता है कि 100 साल तक रोहिड़े से बना फनीर्चर खराब नहीं होता और इसकी लकड़ी में कीड़े नहीं लगते. रोहिड़े की कमी की एक मुख्य वजह इसकी लकड़ी की मजबूती भी है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. साज-सज्जा का सामान, फर्नीचर और घर के खिड़की और दरवाजे बनवाने के लिए भी रोहिड़े की अंधाधुंध कटाई हुई और आज भी हो रही है.
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Mohd Majid
with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f...और पढ़ें
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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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