सिंगर डियोन एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की शिकार हो गई हैं. (Image- Instagram/celinedion)
Stiff Person Syndrome symptom and treatment: फेमस सिंगर सेलीन डियोन, जिनकी आवाज में टाइटैनिक मूवी का ‘My heart goes on…’ गाना आज भी लोगों के दिलों में बसता है, वे एक गंभीर बीमारी का सामना कर रही हैं. सिंगर डियोन एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की शिकार हो गई हैं. इस बीमारी को ‘स्टिफ पर्सन सिंड्रोम’ के नाम से जाना जाता है. ये बीमारी लाखों लोगों में से किसी एक में पायी जाती है और इसी बीमारी की शिकार सिंगर डियोन हो गई हैं. डियोन 55 साल की हैं और वे कई दिनों से अपनी सेहत को लेकर चर्चा में रही हैं.
इस बीमारी की जानकारी सेलीन डायोन ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक इमोशनल वीडियो के माध्यम से दिया है. इस बीमारी की वजह से उन्हें अपना अगला शो भी कैंसिल करना पड़ा है. वीडियो के दौरान वे काफी इमोशनल दिख रही हैं और इस बीमारी की जानकारी देते हुए बताया है कि ये बीमारी उन्हें अंदर से खोखला कर रही है.
क्या है ये बीमारी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक के मुताबिक, स्टिफ पर्सन सिंड्रोम एक दुर्लभ, प्रगतिशील बीमारी है जिसमें धड़, बाह और पैरों की मांसपेशियां इतना सेंसिटिव हो जाते हैं कि किसी तरह का शोर, स्पर्श और इमोशनल डिसऑर्डर बर्दाश्त नहीं कर पाते. इस बीमारी में इंसान का दिमाग और रीढ़ की हड्डी बुरी तरह प्रभावित होती है और इंसान के शरीर की अकड़न इतनी बढ़ जाती है कि चलने फिरने तक में दिक्कत आती है. सिंगर ने अपनी स्थिति का जिक्र करते हुए बताया है कि कई बार हालत इतनी खराब हो जाती है कि उनके वोकल कॉर्ड्स भी काम नहीं कर पाते. ऐसे में वो चाहकर भी नहीं गा सकती हैं.
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क्या हैं लक्षण
-स्टिफ पर्सन सिंड्रोम के लक्षण की बात करें तो इसके मरीज धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकने लगते हैं और उन्हें हिलने डुलने या चलने फिरने में असहजता महसूस होती है.
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-ऐसे मरीज बार बार गिरते हैं क्योंकि उनके पास खुद को पकड़ने के लिए सामान्य सजगता भी नहीं होती, जिस वजह से वे गंभीर चोट के भी शिकार हो सकते हैं.
-ऐसे लोगों को घर के बाहर निकलने में डर महसूस होता है, क्योंकि सड़क पर शोर, कार के हॉर्न की आवाज उनकी लक्षण को ट्रिगर करने का काम करते हैं और यह ऐंठन और गिरने का कारण बन सकती है.
इस बीमारी की वजह
हालांकि वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि इस बीमारी की वजह क्या है. लेकिन शोधों से ये संकेत मिलता है कि यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में एक ऑटो इम्यून प्रतिक्रिया की वजह से हो सकता है. इसकी पहचान ब्लड टेस्ट के माध्यम से की जा सकती है.
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