किडनी का मुख्य काम शरीर में बने वेस्ट मैटेरियल को छानकर बाहर निकालना है.
Symptoms of Kidney Disease: किडनी (Kidney) हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. अगर दोनों किडनी काम करना बंद कर दें तो इंसान 24 घंटे भी जीवित नहीं रह सकता है. इसलिए किडनी को सुरक्षित रखना हमारी हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है. दरअसल, हम जब खाना खाते हैं तो खाने के साथ हमारे शरीर में कई तरह जहरीले रसायन भी जाते हैं. दूसरी ओर पोषक तत्वों के अवशोषण के दौरान भी कई तरह के वेस्ट मैटेरियल बनते हैं. ये टॉक्सिन खून में जमा हो जाते हैं. किडनी खून को फिल्टर या छानने का काम करती है. इस फिल्टरेशन के माध्यम से खून में मौजूद टॉक्सिन को छान लिया जाता है शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है.
इस तरह किडनी छन्नी का काम करती है. यह खून में मौजूद सभी तरह के टॉक्सिन को छान लेती है और पेशाब के रास्ते इसे बाहर निकाल देती है. इसलिए अगर किडनी पूरी तरह से काम कर दें शरीर के विभिन्न हिस्सों में वेस्ट मैटेरियल जमा होने लगेगा जो शरीर को धीरे-धीरे जहर से भर देगा और जीवन को जोखिम में डाल देगा.
किडनी का क्या है काम
सहयाद्री अस्पताल, पुणे में कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ सचिन पाटिल ने बताया कि जिस तरह से वाहन चलने के बाद प्रदूषण छोड़ता है उसी तरह शरीर में भी वेस्ट मैटेरियल बनता है. किडनी इस वेस्ट मैटेरियल को बाहर निकाल देती है. इसके अलावा किडनी शरीर में तरल पदार्थों को संतुलित रखती है. किडनी शरीर में बने अतिरिक्त सोडियम, फॉस्फोरस, पानी, नमक, पोटैशियम आदि चीजों को पेशाब के रास्ते बाहर निकाल देती है. आपके शरीर में जितना खून है, वह सभी एक दिन में कम से कम 40 बार किडनी से होकर गुजरता है. हमारे शरीर में हार्ट से जितना खून निकलता है उसका 20 प्रतिशत हिस्सा किडनी में पहुंचता है और इसे 24 घंटे फिल्टर करती रहती है. इस प्रक्रिया के दौरान वेस्ट मैटेरियल निकलता है. किडनी सोडियम, कैल्शियम, मिनिरल्स, पानी, फॉस्टोफोरस, पोटैशियम, हीमोग्लोबिन आदि को बैलेंस करती है. यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है. अगर किडनी के फंक्शन में रुकावट होती है तो इंसान का जीवन जोखिम में पहुंच जाता है.
किडनी खराब होने के संकेत
1. पेशाब में गड़बड़ी-किडनी सभी तरह के वेस्ट मैटेरियल को पेशाब के रास्ते ही बाहर निकालता है. इसलिए किडनी खराब होने का पहला संकेत पेशाब में ही दिखाई देता है. अगर किडनी खराब हो तो पेशाब की की सामान्य मात्रा में परिवर्तन होने लगता है. यानी या तो कम होता है या पहले से बहुत ज्यादा होता है. इसी तरह पेशाब का रंग भी बदल लगता है. पेशाब में स्मैल आने लगता है. किडनी पर लोड ज्यादा आने पर पेशाब में प्रोटीन ज्यादा आने लगता है, इस कारण पेशाब में झाग आने लगता है.
2. पैरों में सूजन- किडनी खराब होने पर हीमोग्लोपबिन का बैलेंस बिगड़ जाता है. इससे पैरों में सूजन होने लगती है. यह सूजन चेहरे पर आंखों के नीचे भी दिखने लगती है. इस स्थिति में अगर लंबे समय तक कहीं बैठ जाएं तो पैरों में सूजन होनी तय है. इससे थकान भी हो सकती है.
3. भूख कम लगना-अगर किडनी वेस्ट प्रोडक्ट को निकालना कम कर देगी तो ये वेस्ट प्रोडक्ट शरीर के अंदरुनी हिस्सों में जमा होने लगेगा. अगर ये वेस्ट मैटेरियल पेट में जमा होने लगे तो जी मितलाने लगता है, उल्टी होने लगती है, भूख कम लगती, वजन कम हो जाता है. पेट में दर्द भी करने लगता है.
4. एकाग्रता में कमी- इसी तरह यदि दिमाग में वेस्ट मैटेरियल जमा होने लगे तो एकाग्रता में कमी होने लगती है. कभी-कभी अचानक बेहोशी भी हो सकती है.
5. सांस फूलने लगेगा-अगर लंग्स में वेस्ट मैटेरियल जमा होने लगे तो फेफड़े में सूजन होने लगेगी और सांस फूलने लगेगा. सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
6. स्किन में रेशेज- अगर वेस्ट मैटेरियल स्किन के नीचे जमा होने लगे तो स्किन में रैशेज, इरीटेशन खुजली, होने लगती है.
7. इम्यूनिटी कमजोर-किडनी में परेशानी होने से इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है. इससे इंफेक्शन लगने का जोखिम बहुत बढ़ जाता है.
किडनी प्रोब्लम होने पर क्या करें
डॉ सचिन पाटिल बताते हैं कि अगर ये लक्षण एक सप्ताह से ज्यादा दिखें तो सबसे पहले नेफ्रोलॉजी डॉक्टर से मिलें. हीमोग्लोबिन, किरेटेनिन, यूरिया, सोडियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, पेशाब आदि की जांच की जाती है. सोनोगाफी से किडनी का साइज, किडनी में इंफेक्शन, स्टोन आदि के बारे में पता लगाया जाता है. अगर किडनी से संबंधित कोई बीमारी है तो डॉक्टर इसकी दवा देते हैं. हालांकि किडनी की बीमारी नहीं हो इसके लिए बचाव ज्यादा जरूरी है. इसके लिए आधुनिक लाइफ्साटइल को बदलना होगा. रोजना एक्सरसाइज करें. पेन किलर न लें, शुगर, बीपी प्रोब्लम हो तो इसका इलाज करें. सीजनल हरी सब्जी का सेवन ज्यादा करें. मेडिटेशन, योगा, ब्रिदिंग एक्सरसाज को अपने लाइफस्टाइल में शामिल करें.
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