हर वर्ष सितंबर महीने को वर्ल्ड अल्जाइर्स मंथ और 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर्स डे के रूप में मनाया जाता है. वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे 2020 की थीम रखी गई है ‘लेट्स टॉक अबाउट डिमेंशिया’ यानि चलो डिमेंशिया के बारे में बात करते हैं. यह इसलिए जरूरी है क्योंकि इस वक्त डिमेंशिया दुनिया के सामने बड़ी स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है. डिमेंशिया एक न्यूरोडीजेनरेटिव सिंड्रोम है जो क्रोनिक और प्रोग्रेसिव प्रकृति का है. यह व्यक्ति के विचारों, व्यवहार, बोलचाल, याददाश्त और नियमित रूप से किए जाने वाले कार्यों को करने में संज्ञानात्मक हानि का कारण बनता है. यह अल्जाइमर रोग के साथ ही कई तरह की दिमागी बीमारियों से जुड़ी बीमारी है. वैस्कुलर डिमेंशिया, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया, कोर्साकॉफ्स सिंड्रोम और एल्कोहल रिलेटेड डिमेंशिया इसके उदाहरण हैं.
डिमेंशिया को क्यों गंभीरता से लें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनियाभर में करीब पांच करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. चिंताजनक बात तो यह है कि इस आंकड़े के 2050 तक तीन गुना बढ़ जाने का अनुमान है. आमतौर पर डिमेंशिया उम्र से जुड़ा रोग है और मुख्यतौर पर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग इसके शिकार होते हैं. लेकिन यंग ऑनसेट या अर्ली ऑनसेट डिमेंशिया भी चिंता का विषय है, 65 वर्ष से काफी कम उम्र के लोगों को भी प्रभावित करता है.
जिस किसी भी व्यक्ति को डिमेंशिया होता है यह उसके जीवन पर काफी खतरनाक असर डालता है. डिमेंशिया सिर्फ उस व्यक्ति को प्रभावित नहीं करता जो इससे पीड़ित है, बल्कि उसके परिवारजनों व देखभाल करने वालों पर भी गहरा असर डालता है. WHO के अनुसार दुनियाभर के ज्यादातर देशों में डिमेंशिया के संबंध में काफी कम जानकारी और जागरूकता है, यह बीमारी के पहचान और उचित उपचार में बड़ा बाधक है. बीमारी से जुड़ी शर्म की भावना इसे और भी चिंताजनक बना देती है.
डिमेंशिया के शुरुआती चेतावनी संकेत
डिमेंशिया के शुरुआती संकेत और लक्षणों की सही जागरुकता के चलते किसी व्यक्ति में इस बीमारी की शुरुआती जांच और इलाज में मदद मिल सकती है. बता दें कि डिमेंशिया का अभी तक कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन उचित निदान और देखभाल के साथ अधिक उम्र में बीमारी को बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सकता है. डिमेंशिया के इन शुरुआती लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदान न करें...
- मेमोरी लॉस : यह डिमेंशिया का सबसे आम लक्षण है और अल्जाइमर बीमारी से भी जुड़ा है. उम्र के साथ होने वाली याददाश्त की कमी और डिमेंशिया की वजह से होने वाले मेमोरी लॉस में अंतर कर पाना काफी मुश्किल है. इसलिए जरूरी है कि जब भी आपको ऐसे लक्षण दिखें तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं.
- कनफ्यूजन : अर्ली ऑनसेट डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति को योजना बनाने और समस्याओं को सुलझाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. निर्णय लेने, सोचने और याद रखने की क्षमता बिगड़ने की वजह से कंफ्यूजन यानि भ्रम की स्थिति रहती है.
- सामान्य कार्यों में कठिनाई पेश आना : यह परिवर्तन संभवत: आपको सबसे पहले नजर आए. यदि कोई व्यक्ति कई तरह के और मुश्किल कार्यों को करता आया हो और अचानक उसे उन्हीं कार्यों में दिक्कत होने लगे तो यह डिमेंशिया का लक्षण हो सकता है.
- मूड चेंज : हालांकि, जल्दी-जल्दी मूड बदलना डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं से जुड़ा हो सकता है, लेकिन यह डिमेंशिया का भी शुरुआती लक्षण हो सकता है. डिप्रेशन और मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर भी अर्ली ऑनसेट डिमेंशिया के लक्षण हो सकते हैं.
- उदासीनता : उदासीनता, सुस्ती और उन सब आदतों या कार्यों में रुची खो देना, जिन्हें करने में पहले व्यक्ति बहुत आनंद का अनुभव करता था, यह भी डिमेंशिया के लक्षण हो सकते हैं. इस तरह से रुचि खो देने पर व्यक्ति भावना शून्य भी हो सकता है.
- दृश्य और स्थानिक समझ में कठिनाई : आंखों के सामने नजर आ रही जानकारी को समझने में दिक्कत, दूरी का आंकलन न लगा पाना और स्पैटियल ओरियंटेशन खो देना भी डिमेंशिया ऑनसेट के लक्षण हैं. जैसे-जैसे डिमेंशिया की बीमारी आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे निर्देशों को समझना, चरणबद्ध निर्देशों को समझना और भी मुश्किल होता जाएगा.अधिक जानकारी के लिए हमारा आर्टिकल, डिमेंशिया क्या है, प्रकार, चरण, लक्षण, कारण, बचाव, इलाज, परहेज और दवा पढ़ें. न्यूज18 पर स्वास्थ्य संबंधी लेख myUpchar.com द्वारा लिखे जाते हैं. सत्यापित स्वास्थ्य संबंधी खबरों के लिए myUpchar देश का सबसे पहला और बड़ा स्त्रोत है. myUpchar में शोधकर्ता और पत्रकार, डॉक्टरों के साथ मिलकर आपके लिए स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियां लेकर आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 21, 2020, 11:28 IST