डाउन सिंड्रोम से हर साल लाखों बच्चे प्रभावित होते हैं.
All About Down Syndrome: दुनियाभर में करोड़ों लोग ऐसी बीमारियों और डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं, जिनके बारे में तमाम लोग नहीं जानते हैं. इन बीमारियों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए समय-समय पर खास दिन मनाए जाते हैं. हर साल 21 मार्च को वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे (World Down Syndrome Day) मनाया जाता है. डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक डिसऑर्डर होता है, जो बच्चों को जन्म से ही प्रभावित करता है और पूरी जिंदगी उन्हें किसी न किसी अक्षमता के साथ जूझना पड़ता है. इस डिसऑर्डर से जूझने वाले लोगों को अन्य सभी की तरह सम्मान और अधिकार नहीं मिल पाते. आज आपको बताएंगे कि डाउन सिंड्रोम क्या होता है और इसके क्या लक्षण होते हैं. साथ ही यह भी बताएंगे कि इस डिसऑर्डर का क्या इलाज है.
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) की रिपोर्ट के मुताबिक डाउन सिंड्रोम ऐसी कंडीशन होती है, जिसमें व्यक्ति के शरीर में एक एक्स्ट्रा क्रोमोसोम होता है. क्रोमोसोम जीन्स के छोटे पैकेज होते हैं. क्रोमोसोम यह निर्धारित करते हैं कि गर्भावस्था के दौरान और जन्म के बाद बच्चे का शरीर कैसे बनेगा और कैसे कार्य करेगा. आमतौर पर एक बच्चा 46 क्रोमोसोम के साथ पैदा होता है. डाउन सिंड्रोम वाले शिशुओं में इनमें से किसी एक क्रोमोसोम की अतिरिक्त कॉपी होती है, जिसे ट्राइसॉमी कहा जाता है. यह एक्सट्रा क्रोमोसोम बच्चे के शरीर और मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है. यह शिशु के लिए मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की चुनौतियों का कारण बन सकता है.
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डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोग भले ही नॉर्मल लोगों की तरह दिखते हैं, लेकिन हर किसी की क्षमताएं अलग होती हैं. डाउन सिंड्रोम वाले लोगों का आईक्यू लेवल सामान्य और मीडियम लेवल से कम रेंज का होता है. इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में बोलने में धीमे होते हैं. यह सबसे कॉमन क्रोमोसोमल कंडीशन है और हर साल लाखों की तादाद में बच्चे इससे प्रभावित होते हैं. यूएसए में हर साल करीब 6000 बच्चे इस कंडीशन के साथ पैदा होते हैं. भारत में भी इसके हजारों केस सामने आते हैं. इस डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों का शारीरिक और मानिसक विकास धीमा होता है और इसकी वजह से उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
– चेहरे की फ्लैट बनावट
– बादाम जैसी आंखें
– छोटी गर्दन
– छोटे कान
– छोटे हाथ-पैर
– कम हाइट
– कमजोर मसल्स
– मुंह से बाहर निकलती जीभ
– बोलने में दिक्कत
– याद करने में परेशानी
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डाउन सिंड्रोम जिंदगीभर चलने वाली कंडीशन होती है. इसे किसी भी ट्रीटमेंट से पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है. शुरुआत में इस परेशानी का पता लगाया जाए, तो डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को उनकी शारीरिक और बौद्धिक क्षमताओं में सुधार करने में मदद मिलती है. डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को स्कूल में अतिरिक्त सहायता या ध्यान देने की भी आवश्यकता हो सकती है. डाउन सिंड्रोम से बचने का का कोई तरीका नहीं है. यदि आपको डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे के होने का उच्च जोखिम है या आपके पास पहले से ही डाउन सिंड्रोम वाला एक बच्चा है, तो महिलाएं गर्भवती होने से पहले एक आनुवंशिक परामर्शदाता से सलाह ले सकती हैं.
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