येलो फीवर गंभीर हो जाए, तो नाक, आंख और मुंह से खून आ सकता है. Image / canva
Yellow Fever: पित्त ज्वर को येलो फीवर के नाम से भी जाना जाता है. यह संक्रमित मच्छरों से फैलने वाला एक गंभीर वायरल रोग है. बारिश का मौसम शुरू होते ही, मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है और इसी के साथ बढ़ जाता है संक्रमण व सर्दी-बुखार का खतरा.
पित्त ज्वर कई बार इतना गंभीर हो जाता है कि उल्टियों के साथ खून आने लगता है और सांस लेने में तकलीफ होती है. ये स्थिति बुखार से पीड़ित व्यक्ति के लिए काफी घातक हो सकती है. क्या है इस बीमारी के लक्षण आइए जानते हैं.
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पित्त ज्वर और इसके लक्षण
हेल्थलाइन के अनुसार, पित्त ज्वर हमारे आरएनए में फैलता है. पित्त ज्वर सूक्ष्म रोग विषाणु स्टैगोमिया मच्छर के काटने या संक्रमण से मनुष्य के शरीर में फैलता है. समय रहते अगर इसकी पहचान कर ली जाए, तो पीड़ित की जान बचाई जा सकती है. पित्त ज्वर को पीलिया का शुरुआती स्टेज भी कहा जाता है. इसके लक्षणों की बात करें तो, इसकी शुरुआत साधारण बुखार से शुरुआत होती है, फिर उल्टी, बदन दर्द से होते हुए खून की उल्टियों तक मामला गंभीर हो सकता है. इसलिए बुखार के शुरूआती लक्षण को भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.
पित्त ज्वर के दो फेज हो सकते हैं.
एक्यूट फेज़
एक्यूट फेज के लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, मितली-उल्टी या दोनों, भूख में कमी, चक्कर आना, चेहरे जीभ और आंखों का लाल हो जाना, रोशनी में आंखें ना खोल पाना, मांसपेशियों में दर्द, पीठ और घुटनों में तेज दर्द होना आदि अनुभव हो सकता है.
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टॉक्सिक फेज़
टॉक्सिक फेज काफी खतरनाक स्थिति होती है, एक्यूट फेज के लक्षण कुछ दिनों में गायब हो सकते हैं. जिसके बाद वह टॉक्सिक फेज बढ़ने लगता है. इस फेज के दौरान पहले फेज के लक्षण वापस आ जाते हैं और साथ ही अन्य नए लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं. इसके लक्षणों में आंखों और त्वचा का पीला पड़ जाना, पेट दर्द और बार-बार उल्टी होना, कई बार खून की उल्टियां होना, पेशाब में दिक्कत होना, नाक, मुंह और आंखों से खून बहना, हार्टबीट कम हो जाना, लीवर और गुर्दे फेल हो जाना, मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं, चीजों के होने का भ्रम होना आदि देखा जाता है. ज्वर का यह दूसरा पड़ाव काफी घातक साबित हो सकता है.
पित्त ज्वर होने पर क्या करें?
पित्त ज्वर मुख्य रूप से एक मच्छर “एडीज इजिप्टी” के काटने से फैलता है जो संक्रमित होता है. एडीज मच्छर सुबह से शाम तक काटते हैं. पित्त ज्वर से बचाव के लिए ज़रूरी है शुरुआत में इसकी पहचान होना. पित्त ज्वर के रोगियों में से करीब 50 प्रतिशत लोग इसके संक्रमण से मर जाते हैं. हालांकि इससे बचने के लिए येलो फीवर वैक्सीन की मदद ली जा सकती है. किसी भी सुझाव को आंख बंद कर मानने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें. बुखार के संक्रमण में आने से बचने के लिए अपने आस पास सफाई रखें, पानी जमा न होने दें, अगर खेत के आस पास घर है तो सोने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें. और इन दिनों में डॉक्टर के संपर्क में रहें.
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Tags: Awareness, Health, Life style, Lifestyle
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