तिल हानिकारक नहीं होता है, जबकि मेलेनोमा कैंसर (Cancer) होता है और उसके इलाज की जरूरत पड़ती है, (फोटो-pexels.com)
Do not take lightly the mole of the Skin : स्किन पर होने वाले तिल को लेकर हमारे मन में कई तरह की भ्रांतियां होती हैं. लेकिन इसे लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. क्योंकि तिल और मेलेनोमा (Melanoma) एक ही तरह के सेल्स मेलानोसाइट्स (Melanocytes) से बनते हैं और ये प्रकृति (Nature) में एक जैसे ही होते हैं, एक और बात, ये दोनों ही स्किन ट्यूमर (Skin tumor) हैं. लेकिन तिल हानिकारक नहीं होता है, जबकि मेलेनोमा कैंसर (Cancer) होता है और उसके इलाज की जरूरत पड़ती है, वरना वह घातक हो सकता है. नेचर सेल बायोलॉजी (Nature Cell Biology) में प्रकाशित स्टडी में, अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ उटाह (The University of Utah) के रिसर्चर राबर्ट जडसन टोरेस (Robert Judson Torres) ने बताया है कि सामान्य तिल किस तरह से मेलेनोमा (Melanoma) में बदल सकते हैं. मेलानोसाइट्स (Melanocytes) सेल्स सूर्य किरणों के साइडइफैक्ट से सुरक्षा के लिए स्किन को रंग प्रदान करती हैं. मेलानोसाइट्स के डीएनए सीक्वेंस में होने वाले खास बदलाव को बीआरएएफ जीन म्यूटेशन (BRAF gene mutation) कहते हैं और यह 75 प्रतिशत तिल में पाया जाता है.
राबर्ट जडसन टोरेस (Robert Judson Torres) के मुताबिक यही बदलाव करीब 50 प्रतिशत मेलेनोमा (Melanoma) और आंत व फेफड़े के सामान्य कैंसर में भी पाए जाते हैं. अब तक यह माना जाता रहा है कि मेलानोसाइट्स में दो प्रकार के म्यूटेशन होते हैं, जिससे सेल्स का विभाजन (Division) कंट्रोल और अनकंट्रोल होता है. यही तिल और मेलेनोमा (कैंसर के एक प्रकार) में फर्क करता है.
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कैसे होती है शुरुआत
अब पाया गया है कि मेलानोसाइट्स के मेलेनोमा में परिवर्तित होने के लिए किसी अतिरिक्त म्यूटेशन की जरूरत नहीं होती है, बल्कि वह त्वचा के वातावरण के सिग्नल प्राप्त करता है, जो उन्हें निर्देश देते हैं. मेलानोसाइट्स के जीन विभिन्न वातावरण में अलग-अलग अभिव्यक्त होते हैं. मतलब, मेलेनोमा की शुरुआत एनवायरमेंटल सिग्नलों (environmental signals) से होती है.
कहीं कोई तिल या मस्सा चिंता का कारण तो नहीं है?
गैर-कैंसर वाले तिल आमतौर पर एक समान और आकार में सममित (symmetry) होते हैं, जबकि मेलेनोमा (melanoma) यानी कैंसर के मस्से या तिल में आकार अक्सर विषम/असममिति (Asymmetry) होता है. मेलेनोमा (Melanoma) में तिल या मस्से की अक्सर जो सीमाएं होती हैं, वो अच्छी तरह से परिभाषित नहीं होती हैं या आकार में अनियमित होती हैं, जबकि गैर-कैंसर वाले तिल या मस्सों में आमतौर पर चिकने, अच्छी तरह से परिभाषित किनारे होते हैं. मतलब उनकी सीमाएं निर्धारित होती है.
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रंग की बात करें
जब शरीर पर कोई जख्म या घाव होता है तो अक्सर स्किन में एक से अधिक रंग या छाया दिखाई देती हैं. यह असमान हो सकता है. स्किन कैंसर के मस्से या तिलों को काले, भूरे, लाल और गुलाबी रंग के विभिन्न रंगों को देखा जा सकता है. अपने शरीर पर उन तिलों की भी तलाश करें जो दूसरों की तुलना में गहरे रंग के हों, वहीं जो तिल सौम्य होते हैं वे आम तौर पर एक रंग के होते हैं.
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