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बच्‍चे के साथ स्‍नेह और परवरिश का रिश्‍ता कैसे बदल जाता है यौन अपराध में?

कोई क्‍यों करता है बच्‍चों के साथ यौन अपराध?

कोई क्‍यों करता है बच्‍चों के साथ यौन अपराध?

ऐसे लोग अकसर समूह में काम करते हैं. जिन लोगों का सेक्‍सुअल इंटरेस्‍ट बच्‍चों में होता है, वे अपने आसपास भी ऐसे ही लोगों ...अधिक पढ़ें

    (हमने एक नई सीरीज शुरू की है. इस सीरीज का मकसद बाल यौन अपराधी यानी पीडोफाइल के मनोविज्ञान के विभिन्‍न पहलुओं की पड़ताल करना है. आज आप इस सीरीज की चौथी किश्त पढ़ रहे हैं. लंदन स्थित प्रतिष्ठित मनोचिकित्‍सक डॉ. द्रोण शर्मा इस सीरीज में पीडोफाइल के मनोविज्ञान के विभिन्‍न पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे. आठ भागों में चलने वाली यह सीरीज आप रोज दोपहर news18hindi पर पढ़ सकेंगे. अगर आपके मन में कोई सवाल है तो आप इस पते पर हमें भेज सकते हैं – ask.life@nw18.com.) 

    बच्‍चों के साथ इंसान का रिश्‍ता स्‍नेह, दुलार और पालन-पोषण का होता है, लेकिन जिन लोगों में यह प्राकृतिक संबंध यौन विकृति का रूप ले लेता है, उनके मनोविज्ञान की जड़ें कई बार उनकी परवरिश में भी होती हैं.

    जो इंसान इस तरह का काम कर रहा है, उसकी नरचरिंग की या पालन-पोषण की परिभाषा क्‍या है? उसकी प्‍यार की परिभाषा क्‍या है? उसकी परवरिश की परिभाषा क्‍या है? अकसर देखा गया है कि जिन लोगों में इस तरह की प्रवृत्ति होती है, यानी जिनका बच्‍चों के प्रति यौन झुकाव होता है, उनके खुद के बचपन के अनुभव अच्‍छे नहीं होते. मुमकिन है, उन्‍होंने अपने परिवार में, आसपास यह देखा हो कि बच्‍चों के साथ बड़े ऐसा करते हैं और ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है. एक मनोविज्ञान यह भी हो सकता है कि एक पीडोफाइल यौन एक्टिविटी को भी नरचरिंग के ही हिस्‍से के रूप में देखे या दोनों में कोई भेद न कर पाए. अगर उसका अनुभव इस तरह का है तो वह दोबारा उसी अनुभव को दोहराता है. या तो उसके साथ ऐसा हुआ होता है या फिर अपने आसपास के लोगों से उसने यह सीखा है.

    लेकिन यहां एक बात और समझनी जरूरी है. जब हम पीडोफाइल की बात करते हैं तो जरूरी नहीं कि हर पीडोफाइल के बचपन का अनुभव बुरा हो या वह स्‍वयं ऐसे यौन हमलों का शिकार हुआ हो या उसका रेप हुआ हो. मैं यह कह रहा हूं कि उसके आसपास का माहौल ऐसा है और उसे परवरिश मिली है, जिससे उसमें यह समझ पैदा हुई है कि इस तरह की एक्टिविटी जायज है.

    ऐसे लोग अकसर समूह में काम करते हैं. जिन लोगों का सेक्‍सुअल इंटरेस्‍ट बच्‍चों में होता है, वे अपने आसपास भी ऐसे ही लोगों को ढूंढते हैं, जो उनके जैसी सोच रखते हों और उन्‍हीं की तरह बात करते हों. जैसे कि कठुआ केस में भी देखने को मिला. एक शख्‍स ने दूर दूसरे शहर में बैठे एक दूसरे शख्‍स को फोन किया कि आ जाओ और वह आ भी गया. ऐसे कितने लोग होंगे, जो इस तरह का फोन कॉल रिसीव करेंगे और उस पर प्रतिक्रिया भी करेंगे. इसलिए पीडोफाइल अकसर समूह में रहते हैं. ऐसे ही लोगों के साथ, जिनका सेक्‍सुअल इंटरेस्‍ट बच्‍चों में होता है. वे एक-दूसरे के सपोर्ट सिस्‍टम की तरह काम करते हैं और एक-दूसरे को बढ़ावा भी देते हैं. कोई भी व्‍यक्ति जब अकेला होता है तो उसे अपने काम पर शक भी हो सकता है, लेकिन वही काम जब वह समूह में करता है और देखता है कि और लोग भी उसके साथ मिले हैं तो इससे उसे एक तरह की ताकत मिलती है.

    अगर आपके चारों ओर का माहौल ऐसा है कि आपके दोस्‍त भी वैसे हैं, आपका सामाजिक दायरा उसी तरह के लोगों का है, आप पीडोफाइल पोर्न देखते हैं तो इस सबका सम्मिलित प्रभाव ये होता है कि आपका सही और गलत का विवेक खत्‍म हो जाता है. फिर आप जो कर रहे हैं, वह सही ही हो जाता है. और अगर ऐसे में उस व्‍यक्ति के मन से कानून का डर भी खत्‍म हो जाए तो हर तरह का विरोध ही खत्‍म हो जाता है. सामाजिक और कानूनी, आंतरिक और बाहरी किसी किस्‍म का नियम और प्रतिबंध नहीं रहता.

    पहला भाग - पीडोफाइल होने का क्‍या अर्थ है?

    दूसरा भाग - एक पीडोफाइल या बाल यौन अपराधी का मनोविज्ञान क्या होता है?

    तीसरा भाग - बच्‍चों के साथ यौन अपराध की घटनाएं कैसे घटती हैं ?

    Tags: Child sexual abuse

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