जामुन एक ऐसा फल है, जिसको देखकर मुंह में पानी आ जाता है. इस पर नमक छिड़ककर खाया जाए तो इसका खट्टा-मीठा-नमकीन स्वाद जुबान और मन को प्रसन्न कर देता है. जामुन भारत में पाए जाने वाला हजारों साल पुराना फल है. गुणों से भरपूर है यह फल. शरीर के लिए जामुन का फल लाभकारी तो है ही, इसके पत्ते, छाल तक उपयोगी हैं. मधुमेह के रोग को कंट्रोल करने के लिए जामुन रामबाण माना जाता है.
जब घर में कोई धार्मिक, वैवाहिक या मुंडन आदि का कार्य होगा तो पंडितजी एक प्राचीन श्लोक से कथा की शुरुआत करेंगे ‘जम्बू द्वीपे भारतखंडे आर्याव्रत देशांतर्गते…अमुक….’ इस लेख के संदर्भ में हम आपको इसका अर्थ यह बताएंगे कि भारतवर्ष जंबूद्वीप में स्थित है, जिसमें जंबू (जामुन) के वृक्ष की अधिकता है. इसके कारण ही इस द्वीप का नाम जम्बू द्वीप रखा गया. हम बताना चाहते हैं कि वेद-पुराणों में बार-बार जंबूद्वीप का नाम आता है. इससे स्पष्ट है कि जामुन का पेड़ और फल भारत में हजारों साल से स्थित है. असल में भारत के अगल-बगल में जितने भी देश हैं, वहां जामुन पाया जाता है.
विशेष बात यह है कि अन्य देशों में जामुन का फल बहुत बाद में पहुंचा. ऐसी जानकारी है कि वर्ष 1911 में यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट औफ एग्रीकल्चर ने इसका परिचय अमेरिका के फ्लोरिडा शहर से करवाया. बाद में यह सूरीनाम, गुयाना और ट्रिनीडाड व टोबैगो में भी उगाया जाने लगा. ब्राजील में जामुन तब पहुंचा जब भारत पुर्तगालियों का उपनिवेश था.
वर्ष 1889 में लेखक जेएच मैडेन की लिखी पुस्तक ‘The Useful Native Plants of Australia’ में जामुन की जानकारी दी गई है और बताया गया है कि यह भारत मूल का फल है और उसे वहां के निवासी खूब खाते हैं.
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जामुन खाने में तो स्वादिष्ट है ही, इसमें औषधीय गुण भी जबर्दस्त हैं. सबसे बड़ी विशेषता तो यही है कि इसकी गुठली का चूर्ण मधुमेह बीमारी को बेहतर तरीके से कंट्रोल करता है. प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में औषधीय योग ‘पुष्यानुग-चूर्ण’ में जामुन की गुठली मिलाए जाने का विधान है. इसके अलावा पाचनशक्ति मजबूत करने में जामुन लाभकारी होता है. यकृत (लिवर) से जुड़ी बीमारियों के बचाव में जामुन की उपयोगिता है. इसके अलावा यह कफ-वात नाशक भी है.
‘चरकसंहिता’ में जामुन के पूरे पौधे के उपयोग बताया गया है. जामुन की छाल, पत्ते, फल, गुठलियां और जड़ आदि सभी आयुर्वेदिक औषधियां बनाने में काम आते हैं. आयुर्वेदाचार्य व योगगुरु आचार्य श्री बालकृष्ण के अनुसार जामुन की पत्तियों के रस को चेहरे पर लगाने से मुंहासों से लाभ मिलता है. जामुन की छाल एक अच्छी रक्तशोधक होती है, जो खून को साफ कर त्वचा के रोगो को दूर किया जा सकता है. जामुन के पेड़ से मिली लकड़ी काफी मजबूत के अलावा पानी प्रतिरोधक होती है, इसलिए रेल के स्लीपर्स और कुएं में मोटर लगाने में इसकी लकड़ी का प्रयोग किया जाता है.
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