Kaifi Azmi Birth Anniversary: दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं, पढ़ें कैफ़ी आज़मी की शायरी

कैफ़ी आज़मी के जन्मदिन पर पढ़ें उनकी शायरी
कैफ़ी आज़मी जन्मदिन (Kaifi Azmi Birth Anniversary): . तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो ...
- News18Hindi
- Last Updated: January 14, 2021, 11:51 AM IST
कैफ़ी आज़मी जन्मदिन (Kaifi Azmi Birth Anniversary): कैफ़ी आज़मी (Kaifi Azmi) का नाम हिन्दुस्तान के मशहूर शायरों में शुमार किया जाता है. आज उनका जन्मदिन है. कैफ़ी आज़मी का 14 जनवरी 1919 को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के एक छोटे से गांव मिजवां में हुआ था. कैफ़ी साहब का मूल नाम अख्तर हुसैन रिज़वी था. कैफी आजमी के पिता उन्हें एक मौलाना के रूप में देखना चाहते थे, लेकिन कैफी आजमी को उससे कोई सरोकार नहीं था और वह मजदूर वर्ग के लिए कुछ करना चाहते थे. कैफी आजमी सिर्फ अपनी नज़्मों तक ही प्रगतिशील नहीं बल्कि अपनी ज़िंदगी में भी उतना ही प्रोग्रेसिव रहे. नज्मों के लिखने वाले शायर ने अमीरी-गरीबी के अंतर को मिटाने की बात की, पुरुषों और महिलाओं को सामान दर्जा देने की बात की. आज कैफ़ी आज़मी के जन्मदिन पर हम आपके लिए रेख्ता के साभार से लेकर आए हैं कैफ़ी आज़मी की कुछ ग़जलें, नज़्म और शायरी...
1. तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो
आँखों में नमी हँसी लबों परक्या हाल है क्या दिखा रहे हो
बन जाएँगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो .
2. झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं
वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतिज़ार है कि नहीं
तिरी उमीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये ए'तिबार है कि नहीं .
1. तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो
आँखों में नमी हँसी लबों परक्या हाल है क्या दिखा रहे हो
बन जाएँगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो .
2. झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं
वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतिज़ार है कि नहीं
तिरी उमीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये ए'तिबार है कि नहीं .