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मिशेलिन शेफ विकास खन्ना: आज हैं दुनिया भर में मशहूर, कभी सही से चल नहीं पाते थे, चौंका देगा उनका सफर

विकास खन्ना दुनिया भर में मशहूर शेफ हैं

विकास खन्ना दुनिया भर में मशहूर शेफ हैं

Vikas Khanna Chef, Writer, Philanthropist: विकास खन्ना का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं. क्लब्ड फीट (Clubbed Feet) ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

दुनिया के चुनिंदा मिशेलिन शेफ में से एक हैं
अमृतसर में बचपन बीता, बाद में न्यूयॉर्क पहुंचे
दुबई- न्यूयॉर्क में इनके बड़े रेस्त्रां हैं

Michelin Chef Vikas Khanna: जो ठीक से जमीन पर कदम भी नहीं जमा पता था, जिसे स्कूल में बुली किया जाता था, जिसकी शारीरिक कंडिशन का कोई पक्का-पुख्ता इलाज नहीं था, कौन जानता था वह बालक एक दिन दुनियाभर में नाम कमाएगा. इतना नाम कमाएगा कि न सिर्फ उसकी गली, उसका मोहल्ला, उसका शहर बल्कि उसका पूरा देश उस पर नाज़ करेगा. अगर आपको हेडलाइन पढ़कर लग रहा हो कि क्या हम विकास खन्ना, मशहूर शेफ, की बात कर रहे हैं तो बता दें कि हां, बिल्कुल, हम विकास खन्ना की बात कर रहे हैं जिनका जीवन “हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा” की असल मिसाल हैं. बेहद सौम्य, सरल, सहज विकास खन्ना का सफर संघर्ष की ही नहीं, उनके मजबूत जज्बे की भी कहानी है.

आइए आज उनके बारे में जानें कुछ ऐसी बातें जो आपको निश्चित तौर पर अंधेरे में उजास का अहसास देंगी:

1- विकास खन्ना सुप्रसिद्ध शेफ (World Famous Chef) हैं, न्यूयॉर्क और दुबई में इनके अपने रेस्त्रां हैं, कुकबुक राइटर हैं, फिल्म मेकर हैं. और तो और, मशहूर कुकरी शो मास्टरशेफ इंडिया (Master Chef India) के वह लगातार कई सीजन से जज भी हैं. फिलहाल तो वह न्यूयॉर्क में ही रह रहे हैं लेकिन अमृतसर की गलियों में पैदा हुए, परवरिश हुई और वहीं से उन्होंने अपने जीवन की दिशा तय की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब साल 2021 में यूनाइटेड नेशन्स की महासभा में स्पीच देने के लिए न्यूयॉर्क गए थे, तब विकास खन्ना ने उनके लिए गुजरात और महाराष्ट्र की स्पेशल डिश भी तैयार की थी. 2010 में पूर्व यूएस प्रेजिडेंट बराक ओबामा के लिए वह सात्विक खाना तैयार कर चुके हैं. (पढ़ें- मसाले के साथ औषधि भी है चक्र फूल, दिमाग को रखता है दुरुस्त)

2- 13 साल की उम्र तक विकास खन्ना अपने पैरों पर ठीक से चल नहीं पाते थे. उनके क्लब्ड फीट (तिरछे) थे. चूंकि वह सामान्य बच्चों के साथ सामान्य बच्चों की तरिहां खेल-कूद नहीं पाते थे इसलिए स्कूलिंग के बाद वह अपना समय दादी को किचन में खाना बनाते हुए देख कर बिताते. जैसा कि एक इंटरव्यू में वह बताते हैं कि वहां उन्हें बहुत सुकून मिलता, उन्हें लगता यहां वह सबके बराबर हो सकते थे.

3- विकास बताते हैं, एक बार किसी जानकार ने उनकी मां को कहा, इसके पैर कटवाकर नकली पैर लगवाना अच्छा रहेगा, इससे वह बहुत तेजी से बड़ा हो जाएगा. वह बताते हैं कि यह उनके लिए बहुत बड़ा पल था, उन्होंने देखा कि कैसे उनकी मां उनके लिए हरसंभव कोशिश करती थीं कि वह किसी भी तरह से बस दूसरे बच्चों की तरिहां चल पाए. जब मैं निराश सा होता तो वह कहतीं- तू चलने के लिए नहीं उड़ने के लिए पैदा हुआ है. बचपन के इस दौर में जब बच्चे नटखट और दौड़ते फिरते हैं, उन्हें लकड़ी के भारी भरकम जूते पहनने पड़े जो अपने आप में बेहद तकलीफदेह होते हैं.

4- विकास खन्ना बचपन से अम़तसर के स्वर्ण मंदिर जाते रहे. यहां साझी किचन थी, यहां लंगर लगता था और लोगों को स्नेह और सेवा के साथ भोजन करवाया जाता. उन्होंने यहां पर यह महसूस किया कि यह भोजन करवाना, बनाना.. यह उन्हें कहीं न कहीं बेहद सुकून देता है. न्यूयॉर्क में संघर्ष के दिनों में वह बेंच और स्टेशनों पर सोते. बाद में जब विकास खन्ना के जीवन ने उनके प्रयासों के चलते पलटी मारी, उन्होंने  न्यूयॉर्क में लंगर लगाना शुरू किया. कोरोना महामारी के दौर में भुखमरी के शिकार लोगों को खाना खिलवाया.

5- उनसे कहा गया कि 10वीं के बाद तुमको भी अपने भाई की तरह इंजीनियरिंग करनी है. लेकिन विकास ने कहा कि नहीं बनना है मुझे इंजीनियर, मुझे खाना बनाना है. इसके काफी समय बाद, विकास के भाई जब उन्हें अमेरिका ले गए तब उन्होंने होटल में बर्तन धोने का काम भी किया. वह ठंड में रातों को बेंच पर सोए. आर्थिंक तंगी जबरदस्त थी लेकिन विकास ने खुद को हताश नहीं होने दिया. (पढ़ें- देसी घी की लिट्टी, मसालेदार चोखा खाने के लिए पहुंचें ‘बिहार का मशहूर लिट्टी-चोखा’)

6- विकास एक जगह बोलते हैं कि आप सारा दिन शिकायतें नहीं कर सकते. गरीबी आपको बहुत कुछ सिखा जाता है. वह आपको मल्टीटास्क करना सिखाती है. जो है उसका सही से इस्तेमाल करना सिखाती है. विकास खन्ना के आज न्यूयॉर्क, दुबई में रेस्त्रां हैं. वे कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किए जा चुके हैं, विभिन्न पुस्तक लिख चुके हैं और कई प्रकार की सामाजिक सेवाओं (लंगर आदि) से जुड़े हुए हैं.

7- विकास खन्ना की कहानी को उन्हीं की जुबानी सुनना चाहते हैं तो एनजीसी पर एक डॉक्युमेंट्री देख सकते हैं, जिसका नाम है- बरिड सीड (Buried Seeds). बरिड सीड का मतलब है- दफनाया हुआ बीज. ग्रीक के किसी कवि की पंक्ति है- “They Tried to Bury Us, They Didn’t Know We Were Seeds” ऐसा लगता है विकास खन्ना पर बनी इस डॉक्युमेंट्री का नाम इसी लाइन से लिया गया है. इस शानदार लाइन का हिन्दी में अर्थ है- वह हमें जिन्दा दफनाने चले थे, वे नहीं जानते थे हम बीज हैं… और जैसा कि हम जानते हैं, बीज को मिट्टी में गाड़ देने से उसकी मौत नहीं होती बल्कि वह पेड़ बनकर धरती पर सालोंसाल लहराता है. विकास खन्ना की जुबानी उनकी कहानी इंटरनेट पर विभिन्न वीडियोज़ के जरिए सुनी और देखी जा सकती है. प्रेरणा और प्यार, जहां भी मिलें, बटोर लेने चाहिए, क्या पता कब किसकी जरूरत पड़ जाए.

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