Mohini Ekadashi 2019: इसलिये मनाई जाती है मोहिनी एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि!

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समुद्र मंथन के दौरान जब अमृतकलश निकला तो देवताओं और असुरों में अमृत के बंटवारे को लेकर छीनाझपटी मच गई.
- News18Hindi
- Last Updated: May 15, 2019, 7:18 AM IST
Mohini Ekadashi 2019: हिंदू धर्म में एकादशी का काफी धार्मिक महत्व है. वैशाख शुक्ल की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी मनाई जाती हो. आज 15 मई बुधवार को एकादशी मनाई जा रही है. मान्यता है कि इस दिन जो भक्त पवित्र मन से व्रत रखते हैं वो सांसारिक मोह-माया और बंधनों से ऊपर उठ जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करते हैं. आइए जानते हैं क्या है इस बार मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और किस समय व्रत का पारण करना होगा.
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मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त:
मोहिनी एकादशी 14 मई 2019 को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू हो जाएगी. 15 मई 2019 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर एकादशी का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाएगा.मोहिनी एकादशी के दिन जो भक्त उपवास रखेंगे वो 16 मई को द्वादशी समाप्त होने के समय सुबह 5 बजकर 34 मिनट से लेकर 8 बजकर 15 मिनट के शुभ मुहूर्त पर व्रत का पारण कर सकते हैं.
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मोहिनी एकादशी कथा:
विष्णु पुराण में इस बात का जिक्र है कि समुद्र मंथन के दौरान जब अमृतकलश निकला तो देवताओं और असुरों में अमृत के बंटवारे को लेकर छीनाझपटी मच गई. असुर देवताओं को अमृत नहीं देना चाहते थे जिस वजह से भगवान विष्णु ने एक बहुत रूपवती स्त्री मोहिनी का रूप धारण किया और असुरों को रिझा कर उनसे अमृतकलश लेकर देवताओं को अमृत बांट दिया. इसके बाद से सारे देवता अमर हो गए. यह घटनाक्रम वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हुआ इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहा गया.
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मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त:
मोहिनी एकादशी 14 मई 2019 को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू हो जाएगी. 15 मई 2019 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर एकादशी का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाएगा.मोहिनी एकादशी के दिन जो भक्त उपवास रखेंगे वो 16 मई को द्वादशी समाप्त होने के समय सुबह 5 बजकर 34 मिनट से लेकर 8 बजकर 15 मिनट के शुभ मुहूर्त पर व्रत का पारण कर सकते हैं.
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मोहिनी एकादशी कथा:
विष्णु पुराण में इस बात का जिक्र है कि समुद्र मंथन के दौरान जब अमृतकलश निकला तो देवताओं और असुरों में अमृत के बंटवारे को लेकर छीनाझपटी मच गई. असुर देवताओं को अमृत नहीं देना चाहते थे जिस वजह से भगवान विष्णु ने एक बहुत रूपवती स्त्री मोहिनी का रूप धारण किया और असुरों को रिझा कर उनसे अमृतकलश लेकर देवताओं को अमृत बांट दिया. इसके बाद से सारे देवता अमर हो गए. यह घटनाक्रम वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हुआ इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहा गया.
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