जंतर-मंतर की ये छोटी दुकान अपने जायके का छोड़ती है बड़ा असर, आप भी जरा चखिए...

पुराने वक्त को याद करते हुए कुट्टी कहते हैं कि जब उन्होंने दुकान शुरू की थी तो दो रुपए में वड़ा और तीन रुपए में डोसा बेचते थे. अब इनका रेट 40 और 60 रुपए हो गया है.
करीब 34 सालों से केशवन कुट्टी जंतर मंतर (Jantar-Mantar) पर दक्षिण भारतीय खानों (South Indian Food) की खुशबू बिखेर रहे हैं. धरना करने वालों की भीड़ कम हो या ज्यादा, कुट्टी की छोटी सी दुकान पर लोगों की लंबी लाइनें हमेशा लगी रहती हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: January 21, 2021, 8:40 AM IST
वैसे तो जंतर-मंतर (Jantar-Mantar) का नाम आते ही जेहन में धरना-प्रदर्शन की तस्वीरें कौंधने लगती हैं. हो भी क्यों न टीवी और अखबारों में जंतर-मंतर का नाम हर धरना-प्रदर्शन से जुड़ा ही रहता है. लेकिन, जंतर-मंतर एक और चीज के लिए बहुत मशहूर है. दिल्ली (Delhi) वालों को शायद पता भी हो, वह है यहां मिलने वाला साउथ इंडियन फूड (South Indian Food). स्वाद और पैसे दोनों में लाजवाब. दिल्ली के बीचों-बीच एकदम किफायती दाम में लजीज खाना. करीब 34 सालों से केशवन कुट्टी जंतर मंतर पर दक्षिण भारतीय खानों की खुशबू बिखेर रहे हैं. धरना करने वालों की भीड़ कम हो या ज्यादा, कुट्टी की छोटी सी दुकान पर लोगों की लंबी लाइनें हमेशा लगी रहती हैं.
लोग ऑफिसों से निकल कर भी इनके यहां आते हैं और परिवार से साथ भी. दुकान छोटी सी है ऐसे में हाथ में थाली लेकर फुटपाथ पर खड़े होकर ही इनके खाने का स्वाद लिया जा सकता है. इनके पास गरमा-गरम वड़ा, इडली, पेपर डोसा के साथ ही उत्तपम आदि भी उपलब्ध होते हैं. साथ ही आपको यहां राजनीतिज्ञ, स्टूडेंट्स और ब्यूरोक्रेट्स भी खाना खाते दिख जाएंगे. कुट्टी बताते हैं कि वे सारे मसाले खुद ही तैयार करते हैं. साथ ही पुराने वक्त को याद करते हुए कुट्टी कहते हैं कि जब उन्होंने दुकान शुरू की थी तो दो रुपए में वड़ा और तीन रुपए में डोसा बेचते थे. अब इनका रेट 40 और 60 रुपए हो गया है.
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इनकी यह दुकान सुबह 9:30 बजे से रात 9:30 बजे तक चलती है. लेकिन, आप जब भी जाइए थोड़ा वक्त लेकर क्योंकि लाइन यहां हमेशा ही आपको लंबी मिलेगी. कुट्टी के अनुसार स्वाद के साथ सफाई का ध्यान वे हमेशा रखते हैं. संजीव कुमार, कस्तूरबागांधी मार्ग पर स्थित एक प्राइवेट ऑफिस में काम करते हैं और प्रतिदिन सुबह का नाश्ता यहीं करते हैं. ऐसे कई लोग इस छोटी सी दुकान के मुरीद हैं. वैसे तो इस इलाके में साउथ इंडियन खानों के कई ठिकाने हैं लेकिन कुट्टी की दुकान की बात ही कुछ और है.इसे भी पढ़ेंः दिल जीत लेगा ये ‘तिल’, जरा इस्तेमाल करके तो देखो …
लोगों का कहना है कि उन्हें इंतजार जरूर करना होता है लेकिन जब थाली आती है आनंद आ जाता है. पार्सल करा कर ले जाने वाले लोग भी यहां खूब आते हैं. तो अगर आप दिल्ली में हैं और अच्छा सा कुछ खाना चाहते हैं वह भी किफायती तो यह अड्डा आपके लिए खास साबित हो सकता है. तो अगली बार जब आप जंतर-मंतर का नाम सुनेंगे तो मुझे यकीन है कि आपके जेहन में साउथ इंडियन फूड का जायका भी आ ही जाएगा.
लोग ऑफिसों से निकल कर भी इनके यहां आते हैं और परिवार से साथ भी. दुकान छोटी सी है ऐसे में हाथ में थाली लेकर फुटपाथ पर खड़े होकर ही इनके खाने का स्वाद लिया जा सकता है. इनके पास गरमा-गरम वड़ा, इडली, पेपर डोसा के साथ ही उत्तपम आदि भी उपलब्ध होते हैं. साथ ही आपको यहां राजनीतिज्ञ, स्टूडेंट्स और ब्यूरोक्रेट्स भी खाना खाते दिख जाएंगे. कुट्टी बताते हैं कि वे सारे मसाले खुद ही तैयार करते हैं. साथ ही पुराने वक्त को याद करते हुए कुट्टी कहते हैं कि जब उन्होंने दुकान शुरू की थी तो दो रुपए में वड़ा और तीन रुपए में डोसा बेचते थे. अब इनका रेट 40 और 60 रुपए हो गया है.
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इनकी यह दुकान सुबह 9:30 बजे से रात 9:30 बजे तक चलती है. लेकिन, आप जब भी जाइए थोड़ा वक्त लेकर क्योंकि लाइन यहां हमेशा ही आपको लंबी मिलेगी. कुट्टी के अनुसार स्वाद के साथ सफाई का ध्यान वे हमेशा रखते हैं. संजीव कुमार, कस्तूरबागांधी मार्ग पर स्थित एक प्राइवेट ऑफिस में काम करते हैं और प्रतिदिन सुबह का नाश्ता यहीं करते हैं. ऐसे कई लोग इस छोटी सी दुकान के मुरीद हैं. वैसे तो इस इलाके में साउथ इंडियन खानों के कई ठिकाने हैं लेकिन कुट्टी की दुकान की बात ही कुछ और है.इसे भी पढ़ेंः दिल जीत लेगा ये ‘तिल’, जरा इस्तेमाल करके तो देखो …
लोगों का कहना है कि उन्हें इंतजार जरूर करना होता है लेकिन जब थाली आती है आनंद आ जाता है. पार्सल करा कर ले जाने वाले लोग भी यहां खूब आते हैं. तो अगर आप दिल्ली में हैं और अच्छा सा कुछ खाना चाहते हैं वह भी किफायती तो यह अड्डा आपके लिए खास साबित हो सकता है. तो अगली बार जब आप जंतर-मंतर का नाम सुनेंगे तो मुझे यकीन है कि आपके जेहन में साउथ इंडियन फूड का जायका भी आ ही जाएगा.