रमा शंकर यादव विद्रोही की कविताएं (Rama Shankar Yadav Vidrohi Poem): रमाशंकर यादव 'विद्रोही' का आज जन्मदिन है. रमाशंकर यादव 'विद्रोही' की कविताएं काफी ओजपूर्ण और करारी चोट करने वाली होती हैं. रमाशंकर यादव 'विद्रोही' ने अपनी कविताओं में समाज का खाका बेहद बेहतर तरीके से उकेरा है. उन्होंने समाज में स्त्री-पुरुष भेद और संबंधों पर भी कविताएं लिखी हैं. उन्होंने जेएनयू को अपनी कर्मस्थली बताया है. इसलिए आज हम आपके लिए कविता कोष के साभार से लेकर आए हैं रमा शंकर यादव विद्रोही की कविताएं...
1. तुम्हारे मान लेने से
पत्थर भगवान हो जाता है,
लेकिन तुम्हारे मान लेने से
पत्थर पैसा नहीं हो जाता.
तुम्हारा भगवान पत्ते की गाय है,
जिससे तुम खेल तो सकते हो,
लेकिन दूध नहीं पा सकते.
Also Read:
बे-क़रारी है कि सौ बार लिए फिरती है, पढ़ें शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ की शायरी
2. तुम मुझसे
हाले-दिल न पूछो ऐ दोस्त!
तुम मुझसे सीधे-सीधे तबियत की बात कहो.
और तबियत तो इस समय ये कह रही है कि
मौत के मुंह में लाठी ढकेल दूं,
या चींटी के मुह में आंटा गेर दूं.
और आप- आपका मुंह,
क्या चाहता है आली जनाब!
जाहिर है कि आप भूखे नहीं हैं,
आपको लाठी ही चाहिए,
तो क्या
आप मेरी कविता को सोंटा समझते है?
मेरी कविता वस्तुतः
लाठी ही है,
इसे लो और भांजो!
मगर ठहरो!
ये वो लाठी नहीं है जो
हर तरफ भंज जाती है,
ये सिर्फ उस तरफ भंजती है
जिधर मैं इसे प्रेरित करता हूं.
मसलन तुम इसे बड़ों के खिलाफ भांजोगे,
भंज जाएगी.
छोटों के खिलाफ भांजोगे,
न,
नहीं भंजेगी.
तुम इसे भगवान के खिलाफ भांजोगे,
भंज जाएगी.
लेकिन तुम इसे इंसान के खिलाफ भांजोगे,
न,
नहीं भंजेगी.
कविता और लाठी में यही अंतर है.
3. मैं देख रहा हूँ कि जुल्म के सारे सबूतों को मिटाया जा रहा है
चंदन चर्चित मस्तक को उठाए हुए पुरोहित और तमगों से लैस
सीना फुलाए हुए सिपाही महाराज की जय बोल रहे हैं.
वे महाराज जो मर चुके हैं
महारानियाँ जो अपने सती होने का इंतजाम कर रही हैं
और जब महारानियाँ नहीं रहेंगी तो नौकरियाँ क्या करेंगी?
इसलिए वे भी तैयारियाँ कर रही हैं.
मुझे महारानियों से ज़्यादा चिंता नौकरानियों की होती है
जिनके पति ज़िंदा हैं और रो रहे हैं
कितना ख़राब लगता है एक औरत को अपने रोते हुए पति को छोड़कर मरना
जबकि मर्दों को रोती हुई स्त्री को मारना भी बुरा नहीं लगता
औरतें रोती जाती हैं, मरद मारते जाते हैं
औरतें रोती हैं, मरद और मारते हैं
औरतें ख़ूब ज़ोर से रोती हैं
मरद इतनी जोर से मारते हैं कि वे मर जाती हैं
इतिहास में वह पहली औरत कौन थी जिसे सबसे पहले जलाया गया?
मैं नहीं जानता
लेकिन जो भी रही हो मेरी माँ रही होगी,
मेरी चिंता यह है कि भविष्य में वह आखिरी स्त्री कौन होगी
जिसे सबसे अंत में जलाया जाएगा?
मैं नहीं जानता
लेकिन जो भी होगी मेरी बेटी होगी
और यह मैं नहीं होने दूँगा.