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हर मिठाई पर भारी है गट्टे का अनोखा स्वाद! मुंह मे डालते ही आनंद की अनुभूति

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दूर-दूर

दूर-दूर से आते हैं लोग कन्नौजिया गट्टा लेने

तरह-तरह की मिठाइयों को मात देता कनौजिया गट्टा कन्नौज में अपनी अलग पहचान बना चुका है. एक तरफ मावे से और दूध से बनी मिठाई ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: अंजली शर्मा
कन्नौज: यूं तो कन्नौज अपनी खुशबू के लिए प्रसिद्ध है. कन्नौज शहर अपने इत्र की खूशबू के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. पर खुशबू से इतर यहां के ‘गट्टे’ ज़ुबान को पानी-पानी करती है. कनौजिया गट्टा कन्नौज में अपनी अलग पहचान बना चुका है कहते हैं अगर कन्नौज आए और कनौजिया प्रसिद्द ‘कलावती गट्टा’ न खाए तो क्या खाक कन्नौज आए.

एक तरफ मावे से और दूध से बनी मिठाईयां दूसरी तरफ कन्नौज में ये गट्टा हमेशा कन्नौज से आकर्षण का केन्द्र बना रहता है. दूरदराज से लोग कन्नौज का कलावती गट्टा लेने आते हैं. करीब 100 साल की उम्र पार कर चुका कन्नौज का कलावती गट्टा आज भी कन्नौज की पहचान को अपने अंदर संजोए हुए है. देश भर के साथ साथ साथ विदेशों में भी कन्नौज से जाता है कनौजिया गट्टा.

कैसे बनाई गट्टे ने अपनी अलग पहचान
बीते करीब 100 साल से कलावती गट्टा कन्नौज की मिठाइयों में सबसे लोकप्रिय मिठास आज भी बना हुआ है. इत्र के लिए मशहूर कन्नौज जिला कनौजिया गट्टे के लिए भी जाना जाता है. बताया जाता है करीब 1923 में कन्नौज में घूंघट करने की प्रथा बहुत ज्यादा थी. कलावती अपने पति के साथ कन्नौज में रहा करती थी. कलावती के पति पहलवान हुआ करते थे. वक्त बीता कलावती के पति को एक बीमारी ने अपने आगोश में ले लिया. उसके बाद मिठाई के एक छोटे कारोबार को कलावती ने खुद संभाला पहले तो यह सफेद से दिखने वाला मीठा गट्टा मिठाई के रूप में जाना जाता था. जिसको लोग सिर्फ गट्टा कहा करते थे.

कलावती का गट्टा
महिला होने के चलते कलावती के लिए यह कारोबार कर पाना आसान नहीं था. लोग आते थे कोई दीदी बोलता था, कोई बहू बोलता था, कोई भाभी बोलता था और गट्टे की मजाक में मांग करता था. धीरे-धीरे लोग गट्टे को कलावती का गट्टा कहने लगे, जिसके बाद कलावती ने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए इसकी पैकेजिंग पर अपनी तस्वीर लगवा ली. उसके बाद यह गट्टा और भी मशहूर हुआ और आज कलावती देश के साथ साथ विदेशों में भी यह गट्टा मशहूर कलावती गट्टे के नाम से जाना जाता है.

किस तरह बनता है यह गट्टा
सफेद रंग का थोड़ से दिखने वाला यह गट्टा दिखने में तो ठोस और कठोर सा लगता है. लेकिन जैसे ही यह मुंह में डालो तो यह पानी जैसा पल भर में ही पूरा घुल जाता है और अलग स्वाद की अनुभूति देता है. चीनी की चाशनी दूध में घोलकर सुखाया जाता है. घोल बनाते समय इसमें लौंग, इलायची, गुलाब की पत्ती, गरी डाली जाती है. घोल कोसूखने के बाद इसको हाथ से थपकाकर बनाया जाता है और फिर इनके ऊपर किशमिश, काजू, बादाम लगाया जाता और खुशबू के लिए उस पर केवड़े का प्रयोग किया जाता है.

Tags: Food, Kannauj news

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