एक के बाद एक झटके लगे तो जयपुर के मनोज का विश्वास रिश्तों से उठ गया. पत्नी बेवफाई कर रही थी, पत्नी के सिखाने पर उसकी बेटी उसे अंकल कहने लगी और फिर मनोज को सदमे मिलते चले गए. जासूस के अनुभवों पर विशेष सीरीज़ ‘लव सेक्स और धोखा’.
#LoveSexaurDhokha: वो जोधपुर में थी तो फोन कन्नड़ में क्यों कह रहा था आउट आॅफ कवरेज?
#LoveSexaurDhokha: बीवी थी बेवफा और 'बेवफाई' के इल्ज़ाम में तिहाड़ में था पति
जिस पर भरोसा हो, वही धोखा दे और पता चले कि वह दौलत के लिए आपका इस्तेमाल कर रहा है तो? यह कहानी एक ऐसे ही आदमी की है जिसे दोहरा धोखा मिला और वह भी अपनी पत्नी से. इस आदमी की ज़िंदगी में एक अजीब कश्मकश तब पैदा हो गई जब उसे पता चला कि जिसके साथ उसकी पत्नी का अफेयर है, वह कोई और नहीं बल्कि उसका ही एक करीबी रिश्तेदार है. बीवी ने धोखा क्यों और कैसे दिया? इस सवाल से जूझ रहे इस आदमी को और झटके लगना अभी बाकी थे.
एक दिन जयपुर का रहने वाला मनोज हमारे पास आया तो वह बेहद परेशान था. ज़ाहिर है कि वह हमसे मदद चाहता था लेकिन उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह पूरा मामला किस तरह बयान करे. उसे यह भी उलझन थी कि उसके घर का राज़ कहीं खुल न जाए इसलिए जब हमने मनोज को पूरी तरह यकीन दिलाया कि प्राइवेट डिटेक्टिव के साथ होने वाले कॉंट्रैक्ट में गोपनीयता का खयाल पूरी तरह रखा जाता है तब उसने धीरे-धीरे पूरी कहानी सुनाना शुरू किया.
मनोज और डॉली की शादी को काफी साल हो चुके थे. शादी की शुरुआत में सब कुछ ठीक था लेकिन पिछले कुछ समय से उसकी ज़िंदगी में अचानक उलझनें शुरू हो गई थीं. मनोज के साथ डॉली सीधे मुंह बात नहीं करती थी, वह मनोज के साथ कहीं भी बाहर जाने को तैयार नहीं होती थी और तो और मनोज जब अपनी 5-6 साल की बच्ची के साथ खेलता या बातचीत कर रहा होता तो किसी न किसी बहाने से डॉली बच्ची को उससे दूर कर देती.
मनोज का यह भी कहना था कि डॉली उसके साथ कहीं बाहर नहीं जाती लेकिन जाती तो है. डॉली का मॉल्स में जाना, सिनेमा देखना और घूमना फिरना जारी है लेकिन कभी सहेलियों के साथ तो कभी रिश्तेदारों के साथ. कुछेक बार मनोज को अलग अलग लोगों से पता चल चुका था कि डॉली फलां मॉल में किसी आदमी के साथ दिखी. मनोज को डॉली पर शक हो रहा था लेकिन यकीन नहीं.
अब मनोज हमसे यह चाहता था कि हम तहकीकात कर यह कन्फर्म कर दें कि उसका शक सही है या नहीं. 'काश, मेरा शक वहम ही निकले', इस तरह की भावना के साथ वह केवल अपनी तसल्ली के लिए हमारी मदद मांगने आया था. हमने जब डॉली के चाल चलन और उसकी पिछली ज़िंदगी के बारे में कुछ डिटेल्स मांगे तब मनोज ज़्यादातर बातें टाल गया और उसने कहा कि बताने के लिए कुछ खास है नहीं, सब नॉर्मल ही दिखता है.
हमने इस केस में तफ्तीश शुरू करने के लिए हामी भरी और मनोज चला गया. अगले दिन हमारे पास मनोज का फोन आया और उसने कहा कि डॉली बगैर कोई बातचीत किए घर छोड़कर चली गई है. मनोज को अंदेशा था कि डॉली ने हमें जासूसी करते देख लिया या जासूसों से किसी तरह यह बात उसके सामने आ गई कि मनोज उसकी जासूसी करवा रहा है इसलिए गुस्से में उसने ऐसा कदम उठाया हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था.
अगले दिन डॉली स्कूल आई और पिंकी को लेकर एक टैक्सी से रवाना हुई. हमारी टीम ने उस टैक्सी को फॉलो किया और टैक्सी एक अपार्टमेंट के पास रुकी. यहां एक फ्लैट में डॉली और पिंकी चले गए. दिन भर दोनों वहीं रहे और इस बीच जब हमने आसपास पूछताछ की तो पता चला कि पिंकी इस फ्लैट में किराए से रहने लगी है. यह बात हमने मनोज को बताई तो उसने इस बारे में कोई अंदाज़ा न पता होने की बात कहते हुए डॉली पर निगरानी जारी रखने को कहा. दो तीन डॉली घर में ही रही और पिंकी को स्कूल छोड़ना, लाना बस.
फिर एक शाम डॉली को उस छोटी सी कॉलोनी के एक गार्डन में हमारी टीम ने देखा. कुछ ही देर में वहां एक आदमी आकर डॉली से मिला. उस आदमी के साथ गार्डन में ही डॉली ने काफी वक्त बिताया और इस दौरान हमने दोनों की कुछ तस्वीरें क्लिक कर लीं. जब ये तस्वीरें मनोज ने देखीं तो उसने हैरत से कहा कि ये तो उसका जीजा रवि है. रवि और डॉली के बीच क्या चल रहा है? मनोज को रवि पर कोई शक नहीं था क्योंकि मनोज की नज़र में रवि शरीफ आदमी था.
अब पता यह करना था कि डॉली और रवि के बीच क्या चल रहा है. अगले कुछ दिनों में बहुत कुछ घटा. डॉली और रवि रोज़ाना मिलते थे लेकिन हमेशा गार्डन, मॉल या किसी पब्लिक प्लेस पर ही. अब उन्होंने हमारी टीम को चकमा दिया या वाकई ऐसा नहीं था, लेकिन डॉली और रवि को किसी घर में साथ नहीं देखा गया. हालांकि बरसात की एक रात एक सुनसान गार्डन में डॉली और रवि साथ में स्पॉट किए गए और दोनों एक दूसरे के साथ पूरी अंतरंगता के साथ लिपटे हुए थे.
एकाध बार और डॉली और रवि को एक दूसरे को छूते, गले मिलते या सटे हुए देखा गया. इसी बीच, मनोज का एक दिन फोन आया और उसने दो और खुलासे किए. पहला यह कि वह पिंकी से मिलने जब स्कूल गया तो पिंकी को उससे अकेले में मिलने नहीं दिया गया और जब पिंकी उससे मिली तो उसने मनोज को पापा नहीं बल्कि अंकल बोला. दूसरी बात यह कि बार बार इग्नोर करने के बाद डॉली ने पिछली रात जब फोन पर बातचीत की तो उसने रिश्ता तोड़ लिया.
रिश्ता तोड़ने का अंदाज़ भी अजीब था. मनोज ने कहा कि तलाक ले लेते हैं लेकिन डॉली ने कहा कि वह तलाक नहीं लेना चाहती, बस अलग रहना चाहती है. अपने हिसाब से जीना चाहती है. इन्हीं बातों के बीच पिंकी के बर्ताव को लेकर बातचीत कुछ इस तरह हुई.
मनोज : पिंकी मुझे अंकल क्यों कहने लगी है?
डॉली : मैंने ही कहा है.
मनोज : तुमने! लेकिन क्यों?
डॉली : जब मुझे तुम्हारे साथ कोई रिश्ता नहीं रखना है तो वह भी तुम्हारी कौन होती है.
मनोज : मेरी बेटी है वो, मैं बाप हूं उसका. तुम उसे ये सब उल्टी सीधी पट्टी क्यों पढ़ा रही हो.
डॉली : प्लीज़, तुम हमें भूल जाओ और हमें हमारे हिसाब से जीने दो.
मनोज : भूल जाना इतना आसान होता है क्या? तुम्हें जो करना है, करो लेकिन मुझसे मेरी बेटी को तो मत छीनो.
डॉली : वो नहीं है तुम्हारी बेटी. मैंने कहा ना, सब भूल जाओ.
मनोज : एक मिनट, बेटी नहीं है मतलब?
डॉली : मतलब यही कि वो तुम्हारी बेटी नहीं है और तुम उसके बाप नहीं हो.
मनोज : फिर, कौन है उसका बाप?
इस बातचीत के बाद डॉली ने मनोज से आइंदा बात न करने और पिंकी से ज़्यादा नज़दीकी न बनाने को कहा. मनोज ने ये सारी बातें बताईं और हमने अब तक हुई तफ्तीश के डिटेल्स दिए. मनोज की ज़िंदगी में उथल पुथल जारी है और हमारी तरफ से भी इस केस में इनवेस्टिगेशन चल रही है. इस बीच मनोज को और भी झटके लगे हैं और वह बेहद कश्मकश की ज़िंदगी जी रहा है.
शादी के बाद मनोज ने डॉली के नाम से एक प्लॉट खरीदा था. एक तरह से यह नये रिश्ते की शुरुआत में प्यार ज़ाहिर करने का तरीका था लेकिन डॉली अब उस प्लॉट पर कब्ज़ा किए हुए है और दस्तावेज़ों की मदद से साबित कर रही है कि यह उसकी प्रॉपर्टी है. तलाक न लेने के लिए ज़िद पर अड़ी डॉली ने मनोज से गुज़ारा भत्ता लेने के लिए केस दाखिल कर रखा है. अब मनोज का कहना है कि डॉली खुद नौकरीपेशा है और वह अपने अफेयर के चलते अलग हुई है लेकिन उस पर उल्टा केस किया गया है.
इस केस में कुछ उलझनें बनी हुई हैं -
1. रवि और डॉली एक साथ नहीं रहते और हमेशा पब्लिक प्लेस पर मिलते हैं तो यह साबित करना कठिन है कि दोनों के बीच नाजायज़ संबंध हैं.
2. डॉली एक जगह ज़्यादा काम नहीं करती. जॉब बदलती रहती है और वह रवि के संपर्कों की मदद से ऐसी जगहों पर काम करती है जहां कैश पेमेंट मिलता है और कोई जॉब लैटर जैसी दस्तावेज़ी प्रक्रियाएं नहीं होतीं. इसी का फायदा उठाकर डॉली ने गुज़ारा भत्ता का केस दायर कर रखा है.
3. डॉली जिस वकील की मदद ले रही है उसका इंतज़ाम रवि ने अपने रसूख से किया है और यह वकील एक जज का बेटा है इसलिए डॉली को यकीन है कि उसका केस मज़बूत है.
कुल मिलाकर इस कहानी का अंजाम क्या होगा, यह तो अभी कहा नहीं जा सकता लेकिन मनोज इतने झटके खाने के बाद भीतर से टूट चुका है. वह अक्सर यही सोचा करता है कि काश वह भी रवि की तरह अमीर होता, कई फैक्ट्रियों का मालिक होता तो दौलत के लालच में डॉली उसे छोड़कर नहीं जाती. उसकी बेटी उसी की होती और वह एक खुशहाल ज़िंदगी जी रहा होता.
(यह कहानी Detective Ved Prakash Joshi, CMD – ‘Track Eye Detective Agency’ के करियर में आए एक केस पर आधारित है जिसके किरदार वास्तविक हैं, बस उनके नाम नहीं.)
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