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Sehat Ki Baat: क्या है बकरी के दूध से डेंगू के इलाज का सच? जानें 5 डॉक्टर्स की राय

Sehat Ki Baat: डेंगू के इलाज के नाम पर 4000 रुपए लीटर बिक रहा है बकरी का दूध.

Sehat Ki Baat: डेंगू के इलाज के नाम पर 4000 रुपए लीटर बिक रहा है बकरी का दूध.

Sehat Ki Baat: डेंगू की बीमारी को ठीक करने में बकरी के दूध और पपीते के पत्‍ते की भूमिका क्‍या है? बकरी का दूध गाय या भै ...अधिक पढ़ें

Sehat Ki Baat: डेंगू के बढ़ते मामलों के साथ एक बार फिर बकरी के दूध की मांग बेहद तेजी के साथ बढ़ी है. आलम यह है कि इन दिनों बाजार में बकरी का यह दूध 4000 रुपये लीटर तक बिक रहा है. यहां बात सिर्फ बकरी के दूध तक सीमित नहीं है, लोग डेंगू के इलाज के लिए पपीते के पत्‍तों का भी खूब इस्‍तेमाल कर रहे हैं और बकरी के दूध की तरह अब पपीते के पत्‍तों के दाम भी आसमान में पहुंच रहे हैं.

ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि क्‍या वाकई बकरी के दूध और पपीते के पत्‍ते डेंगू की बीमारी के इलाज में किसी भी तरह से सहायक हैं. बकरी के दूध औेर पपीते के पत्‍ते से डेंगू के इलाज का सच जानने के लिए हमने दिल्‍ली-एनसीआर के पांच बड़े हॉस्पिटल्‍स के पांच प्रतिष्ठित डॉक्‍टर्स से बातचीत की. इस बातचीत में हमने एलोपैथी, न्यूट्रिशनिस्ट, नेचुरोपैथी के साथ-साथ बच्‍चों के डॉक्‍टर को भी शामिल किया है.

इस बातचीत में सभी डॉक्‍टर्स ने लगभग एक मत से एक ही बात की है. आइए अब आपको रूबरू कराते हैं पपीते के पत्‍ते और बकरी के दूध से डेंगू के इलाज के सच को लेकर डॉक्‍टर्स की राय से…

दिल्‍ली के वसंतकुंज फोर्टिस हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्‍टेंट डॉ.मनोज शर्मा के अनुसार, इसमें कोई भी साइंटिफिक लॉजिक नहीं है. दरअसल, जितने भी वायरल लेसेसफीवर हैं, जिसमें डेंगू भी शामिल हैं, ये सारी की सारी खुद से नियंत्रित होने वाली बीमारियां होती हैं. खुद से नियंत्रण से मतलब है कि इनका अपना एक कोर्स होता है.

जैसे डेंगू में बॉडी का अपना इम्‍युन रिस्‍पांस है, जिसकी वजह से पहले प्‍लेटलेट्स कम हो रहे होते हैं, फिर प्‍लेटलेट्स प्रोडक्‍शन बढ़ने लगता है, तो अपने आप बॉडी के प्‍लेटलेट बढ़ने लगते हैं. अब इस समय पपीते के पत्‍ते या बकरी के दूध को क्रेडिट दें, यह अलग चीज है, लेकिन यह हमारी बॉडी का खुद का रिस्‍पांस सिस्‍टम होता है और खुद ही प्‍लेटलेट्स बढ़ रही होती हैं. उसमें बकरी के दूध या पपीते के पत्‍ते का कोई भी लेना देना नहीं है.

PODCAST सुनने के लिए क्लिक करें: बकरी के दूध से डेंगू के इलाज का दावा, डॉक्‍टर्स से जाने कितना सच–कितना झूठPODCAST सुनने के लिए क्लिक करें: बकरी के दूध से डेंगू के इलाज का दावा, डॉक्‍टर्स से जाने कितना सच–कितना झूठ

दिल्‍ली के इंद्रप्रस्‍थ अपोलो हॉस्पिटल के  इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्‍टेंट डॉ. तरुण साहनी के अनुसार, डेंगू के मौसम में जो बकरी का दूध इस्‍तेमाल कर रहे हैं, ये मेडिकल तौर पर एक मिथ ही कहलाया जाएगा. इसका कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है. बकरी के दूध से डेंगू के कीटाणु में किसी तरह का बदलाव नहीं आता है.

मेडिकल साइंस द्वारा बताए गए साइंटिफिक ट्रीटमेंट लेने वाले 90 से 95 प्रतिशत मरीज आराम से ठीक हो जाएंगे. वहीं पपीते का पत्‍ता और बकरी का दूध वगैरह इन चीजों पर इतना विश्‍वास मत कीजिएगा. इनका कोई भरोसा नहीं है, कई बारगी बकरी का दूध आपको एलर्जी की बीमारी में भी फंसा सकता है. पेट की समस्‍या हो सकती है. लिहाजा, मरीजों को इस तरह के सेल्‍फ ट्रीटमेंट से बचना चाहिए और अपने डॉक्‍टर द्वारा बताए गए इलाज को करना चाहिए.

दिल्‍ली के पीएसआरआई हॉस्पिटल में बालरोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता शर्मा का कहना है कि वैज्ञानिक आधार पर कुछ भी प्रमाणित नहीं है. मैं यह नहीं कहूंगी कि यह मिथक हैं, लेकिन यह जरूर कहूंगी कि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और जब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण न हो, तब तक उस पर विश्‍वास करना मुश्किल हो जाता है. जहां तक सवाल बकरी के दूध का है तो मुझे कोई प्रॉब्‍लम नहीं, आप अपने बच्‍चे को पिलाना चाहते हैं तो पिला दीजिए.

लेकिन, जहां तक बात पपीते के जूस की है तो ये सारी चीजें कड़वी होती हैं, अब बड़े लोग इसे कैसे भी करके खा पी सकते हैं, लेकिन बच्‍चों को आप देंगे तो उल्‍टी होना शुरू हो सकती है. ऐसा होने पर बच्‍चे का फ्लूड लॉस होगा और बच्‍चे की स्थिति बेहतर होने की जगह बेहद गंभीर हो जाएगी. लिहाजा, हम ऐसी चीज का भरोसा न करें, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

नेचरोथेरेपिस्ट डॉ. एके सक्‍सेना का कहना है कि ऐसा कोई डाक्‍यूमेंट्री एविडेंस नहीं है कि 1500 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा हुआ दूध पिलाने से आपका मरीज स्‍वस्‍थ्‍य हो जाएगा. ऐसे में सभी जानते हैं कि डेंगू के मरीज को आप जितना फ्लूड पिलाएंगे, उतनी जल्‍दी उसके रिकवर होने के चांस हो जाएंगे. सिर्फ बकरी का दूध पिलाकर डेंगू सही हो सकता है, ऐसा नहीं है.

Nutrivibes की संस्‍थापक और न्यूट्रिशनिस्ट – डाइटिशियन शिवानी कांडवाल का कहना है कि डेंगू के जिन मरीजों को ग्रैस्‍ट्रोइंस्‍टोटाइनल की भी समस्‍या होती है, ऐसे में बकरी का दूध लेने से वह उनको ज्‍यादा परेशान कर सकती है. मेरी यही सलाह है कि आपके जो डॉक्‍टर हैं, उनसे बात करके ज्‍यादा आप सिलीनियम के सप्‍लीमेंट यूज कर सकते हैं. आप नार्मल सप्‍लीमेंट ले सकते हैं. बकरी के दूध में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे वह आपके प्‍लेटलेट्स को किसी भी तरह से बढ़ाने में मदद करे.

क्‍या गाय और भैंस के दूध से अलग है बकरी का दूध
क्‍या गाय और भैंस के दूध से अलग है बकरी का दूध, इस सवाल के जवाब में न्यूट्रिशनिस्ट – डाइटिशियन शिवानी कांडवाल बताती हैं कि गाय और भैंस के दूध से बकरी का दूध थोड़ा अलग है. दरअसल, गाय या भैंस की दूध की अपेक्षा बकरी के दूध में सिलेनियम अधिक पाया जाता है. लेकिन, सिलेनियम का प्‍लेटलेट्स काउंट को बढ़ाने में कोई योगदान नहीं होता है.

क्‍या अब तक बकरी के दूध को लेकर हुई है कोई स्‍टडी
इसके जवाब में न्यूट्रिशनिस्ट- डाइटिशियन शिवानी कांडवाल का कहना है कि डेंगू के इलाज में बकरी के दूध के योगदान को लेकर अभी तक कोई स्‍टडी नहीं हुई है. अभी तक जो स्‍टडी हुई भी हैं, वह सिर्फ सिलेनियम को लेकर ही मुख्‍यतौर पर हुई हैं. वहीं एक ऐसा मिनरल है जो गाय या भैंस के दूध में नहीं पाया जाता है.

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Tags: Health, Health tips, Sehat ki baat

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