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Suicide Pact: खुदकुशी से पहले क्‍यों ले लेते हैं अपनों की जान, पढ़ें साइकोलॉजिस्‍ट की राय

ज्यादा डिप्रेशन होने पर लोग आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लेते हैं. Image - Shutterstock

ज्यादा डिप्रेशन होने पर लोग आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लेते हैं. Image - Shutterstock

Suicide Pact: हरियाणा के हिसार में पत्‍नी और तीन बच्‍चों की हत्‍या के बाद खुदकुशी की घटना यह सवाल उठता है कि इस शख्‍स न ...अधिक पढ़ें

सेहत की बात : हरियाणा के हिसार में अपनी पत्‍नी और तीन बच्‍चों की जान लेने के बाद एक शख्‍स ने खुदकुशी कर ली. मौके से मिले सुसाइड नोट से पता चलता है कि उसे अपने परिवार से न ही कोई शिकवा था और न ही आर्थिक तंगी जैसी कोई बात थी. भाई ने पैत्रक संपत्ति जरूर हड़प ली थी, लेकिन उसको इसका कोई मलाल नहीं था. हां, उसने अपने सुसाइड नोट में दो साल पहले हुए एक्सीडेंट के बाद को लेकर लिखा है कि एक्सीडेंट ने बहुत जल्दी मजबूत कर दिया, शरीर कमजोर हो चुका था. गले में बहुत दिक्कत थी. सांस लेने में खाने में, सोने में, बोलने में, दिमाग भी बिल्कुल शांत हो रहा था.

संभव है कि एक्‍सीडेंट के बाद खड़ी हुई शारीरिक चुनौतियों के चलते इस शख्‍स ने जीवन से हार मान ली हो, लेकिन ऐसे में यह सवाल उठता है कि इस शख्‍स ने खुदकुशी से पहले अपने पूरे परिवार को खत्‍म करने का फैसला क्‍यों किया?  जब वह परिवार से खुश था तो सामाजिक विरक्ति, सन्‍यास और शादी के बाद जीवन बर्बाद होने की बात क्‍यों कही गई? क्‍या लक्षणों के जरिए ऐसे लोगों की मनोदशा पहचान कर ऐसी दुखद घटनाओं को रोका नहीं जा सकता? इन सभी सवालों का मनोविज्ञान समझने के लिए हमले दिल्‍ली-एनसीआर के वरिष्‍ठ मनोविज्ञानिकों से बात की. आइए जानें क्‍या है मनोवैज्ञानिकों की राय…

जब बाहरी दुनिया से टूट जाता है भरोसा…
नियो हॉस्पिटल के वरिष्‍ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. संदीप गोविल का कहना है कि परिवार के सदस्‍यों की जान लेकर खुदकुशी के इस तरह के मामलों को हम ‘सुसाइड पैक्‍ट’ (Suicide pact) कहते हैं. सुसाइड पैक्‍ट  के मरीज सीवियर डिप्रेशन (Severe Depression) से जूझ रहे होते हैं. ये मरीज एक तरफ अपने जीवनसाथी और बच्‍चों को लेकर बेहद फिक्रमंद होते हैं और दूसरी तरफ इन्‍हें समाज के दूसरे रिश्‍तों पर भरोसा नहीं रहता. उन्‍हें ऐसा लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उनके परिवार के साथ सभी लोग बुरा ही करेंगे. नकारात्‍मक हो चुकी इसी मनोदशा के चलते वे अपने परिजनों की जान लेकर खुदकुशी कर लेेते हैं.

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आखिर क्‍यों अपने भी लगने लगते हैं बेगाने…
वहीं, इंद्रप्रस्‍थ अपोलो हॉस्पिटल के वरिष्‍ठ मनोचिकित्‍सक डॉ. शैलेष झा कहना है कि परिवार के साथ खुदकुशी करना या परिवार के बाकी सदस्‍यों की जान लेकर खुदकुशी करने की प्रवृत्ति को मनोविज्ञान में एक्सटेंडेड सुसाइडल टेंडेंसी (Extended Suicidal Tendency) कहा जाता है. इससे जूझ रहे मरीज में साइकोसिस (Psychosis) के गंभीर लक्षण होते हैं. सायकोसिस (मनोविकृति) एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें मरीज की सोच और वास्‍तविकता के बीच काफी अंतर आ जाता है. इसी वजह से, कई बार मरीज का वास्‍तविकता से मन हटने गलता है और वह अपनो से दूर होता चला जाता है.  यही सोच खुदकुशी करने से अपनों की जान लेने के लिए प्रेरित करती है.

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क्‍या संभव है ऐसी दुखद घटनाओं से बचाव
डॉ. संदीप गोविल के अनुसार, ऐसा नहीं है कि लोगों में रातों-रात सुसाइड पैक्‍ट की टेंडेंसी उत्‍पन्‍न हो जाती है. सुसाइड पैक्‍ट से जूझ रहे लोग सीवियर डिप्रेशन से जूझ रहे होते हैं और डिप्रेशन की इस स्‍टेज में पहुंचने में बहुत समय लगता है. इन मरीजों की मनोस्थिति को प्रारंभिक स्थिति में पहचाना जा सकता है. शुरूआती दौर में, नींद न आने की शिकायत के साथ इन मरीजों की बातचीत अव्‍यवहारिक हो जाती है. कई बार ये समाज से दूर होने या अव्‍यवहारिक सपनों को पूरी करने की बात करते हैं. इसी तरह, सुसाइड पैक्‍ट के प्रभावित मरीज खुदकुशी का कदम उठाने से पहले संकेत देना शुरू कर देते है. वे लगातार अपने जीवन को खत्‍म करने की बात करने लगते हैं. दरअसल, हम इन संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं. जिसके परिवाम ऐसी दुखद घटना के रूप में सामने आते हैं.

Tags: Family suicide, Lifestyle, Suicide Case

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