स्वाद का सफ़रनामा (Swad Ka Safarnama).
Swad Ka Safarnama: मौसंबी एक अद्भुत फल है. गुणों के मामले में यह नींबू परिवार के अन्य फलों से अलग है. मीठे और खट्टे स्वाद वाला यह फल शरीर के लिए बेहद लाभकारी है. यह शरीर को तुरंत पोषण प्रदान करती है. इसका रस पाचन सिस्टम को दुरुस्त तो रखती ही है, साथ ही इसमें पाए जाने वाले विशेष तत्व सांसों की दुर्गंध को भी रोक देते हैं. विटामिन सी की कमी से होने वाले स्कर्वी रोग में भी बेहद लाभकारी है मौसमी. मौसंबी की उत्पत्ति का इतिहास बेहद रहस्य से भरा हुआ है. जहां नींबू परिवार के अन्य फलों की उत्पत्ति की प्रामाणिक जानकारी है, वहीं मौसंबी को लेकर कई किंतु-परंतु हैं.
जब कोई बीमार होता है तो डॉक्टर मौसंबी (Sweet Lime) का जूस पीने की सलाह इसलिए देते हैं, क्योंकि यह शरीर को तुरंत पोषण प्रदान करता है. भारत में मौसंबी का रस बेहद लोकप्रिय है. किसी भी बाजार, सड़क से गुजरें, या मार्केट में जाएं, वहां पर आपको कहीं न कहीं मौसंबी का जूस जरूर बिकता दिख जाएगा. इसके जूस में मसाला डाल दिया जाए तो इसका स्वाद और निखर आता है. सर्दी का गर्मी, लोग इसका जूस पीने से कोई परहेज नहीं करते. यह इम्यूट सिस्टम को मजबूत करती है, इसलिए इसकी मांग बनी रहती है.
माना यह भी जाता है कि मौसंबी का रस नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियों में राहत देता है, साथ ही मतली या बुखार को रोकने में भी मदद करता है. इसका जूस पीने के अलावा जैम, जैली और कैंडी तो बनाई ही जाती है, साथ ही मौसंबी का अचार भी बनाया जा सकता है. कुछ देशों में इसके जूस से नॉनवेज को मेरिनेट कर उसका स्वाद बेहतर किया जाता है. सलाद की ड्रेसिंग में भी मौसंबी के टुकड़ों का प्रयोग होता है.
इसे भी पढ़ें:
मौसंबी है तो नींबू प्रजाति की, जिसकी दुनिया में सैंकड़ों किस्में हैं. अधिकतर किस्मों की उत्पत्ति की प्रामाणिक जानकारी है, लेकिन मौसंबी के बारे में इतना जरूर कहा जा सकता है कि इसका रूट कई देशों से जुड़ा हुआ है और यह कब पैदा होनी शुरू हुई, उसको लेकर किंतु-परंतु हैं. फूड हिस्टोरियन का कहना है कि मौसंबी का उत्पत्ति केंद्र मोजाबिंक देश है, वहीं से अन्य देशों में इसका प्रसार-प्रचार हुआ. तर्क यह दिया जाता है कि पुर्तगाली व्यापारी वास्को डी गामा जब 1498 में भारत आया तो वह अपने साथ मौसंबी के बीज लाया था. चूंकि उस वक्त मोजांबिक पुर्तगाली क्षेत्र ही था, इसलिए कहा जाता है कि भारत इसका नाम मौसंबी हो गया.
फूड हिस्टोरियन यह भी मानते हैं कि मौसंबी भारत विशेषकर नागालैंड व मेघालय का मूल फल है और वहां से व्यापार मार्ग से यह पूरे एशिया और यूरोप पहुंचा और फिर 19वीं शताब्दी में यह यूएसए पहुंच गया. कहा यह भी जाता है कि नींबू परिवार की कई प्रजाति की उत्पत्ति इंडोनेशिया व चीन में भी मानी जाती है, इसलिए मौसंबी वहां से चलकर अन्य देशों तक पहुंची. दूसरी ओर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के कृषि विज्ञानी प्रो़ रंजीत सिंह व प्रो़ एसके सक्सेना द्वारा लिखित पुस्तक ‘Fruits’ में बताया गया है कि नींबू प्रजाति की वर्तमान में उगाई जाने वाली कुछ किस्में विदेशों से लाई गई हैं. इनमें मौसम्बी (मोजाम्बिक), माल्टा और बटावियन (दक्षिण भारत में पाए जाने वाला संतरा) आदि शामिल हैं.
खट्टे-मीठे स्वाद से भरपूर मौसंबी गुणों के मामले में अव्वल है. इसमें कम कैलोरी होती है लेकिन अन्य विटामिन्स व मिनरल्स खूब पाए जाते हैं. इसमें फाइबर तो है ही साथ ही कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, केल्शियम, विटामिन सी, फास्फोरस, विटामिन ए, बीटा कैरोटीन (आंखों के लिए लाभकारी यौगिक), फोलेट (क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को दुरुस्त करने वाला रसायन) आदि पाए जाते हैं. फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार प्यास को शांत कर शरीर को तरावट देने वाले मौसंबी का रस शरीर को तुरंत पोषण प्रदान करती है.
इसका रस पाचन सिस्टम को दुरुस्त तो रखती ही है, साथ ही इसमें पाए जाने वाले विशेष तत्व सांसों की दुर्गंध को भी रोक देते हैं. विटामिन सी की कमी से होने वाले स्कर्वी रोग में भी बेहद लाभकारी है. इसके रस में पाए जाने वाले विशेष अवयव पाचन रस, एसिड और पित्त के स्राव को बढ़ाकर पाचन तंत्र को उत्तेजित करते हैं, जिससे पूरा पाचन सिस्टम दुरुस्त रहता है. इसमें मौजूद एसिड आंतों से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है. इसमें फाइबर भी खूब होता है, जो पेट को कब्ज से बचाता है.
इसे भी पढ़ें:
सिंह के अनुसार अनियमित रहन-सहन के चलते युवाओं को आजकल स्कर्वी नामक बीमाीर ज्यादा हो रहा है. यह विटामिन सी की कमी से होती है, जिससे मसूड़ों में सूजन, फ्लू और सर्दी का बार-बार होना, मुंह और जीभ में छाले और होठों का फटना शामिल है. नखूनों के आसपास की स्कीन भी कट जाती है, जो बेहद दर्द करती है. मौसंबी में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है, जो इन बीमारियों से शरीर को दूर रखता है. मौसंबी में पाए जाने वाले विशेष रसायन सांस की बदबू को रोक देते हैं. नियमित मौसंबी का सेवन दांत मजबूत रखेगा और बदबू भी रोक देगा. अगर आप चाहते हैं कि नर्वस सिस्टम कूल रहे तो एक गिलास जूस रोजना पीएं. दिमाग ठंडा भी रहेगा. इसमें पाए जाने वाले एसिड लीवर को ठीक रखते हैं, इसलिए पीलिया के दौरान मौसंबी चूसने की सलाह दी जाती है. इसका रस बालों व स्कीन के लिए भी बेहद लाभकारी है. जब मौसंबी का सीजन आए, तब इसके जूस का नियमित सेवन करें. इसके जूस की विशेषता यह है कि इसे अधिक नहीं पी सकते. इसलिए साइड इफेक्ट की कोई समस्या नहीं आती. ज्यादा पी लिया तो पेट गड़बड़ कर सकता है.
.