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बिहार के 5 प्राचीन मंदिर, जहां देश के कोने कोने से आते हैं दर्शनार्थी, समृद्ध है यहां का इतिहास

बिहार के फेमस मंदिर, जो जागृत है और यहां दर्शन के लिए भारी संख्‍या में लोग पहुंचते हैं. Image : Canva

बिहार के फेमस मंदिर, जो जागृत है और यहां दर्शन के लिए भारी संख्‍या में लोग पहुंचते हैं. Image : Canva

बिहार में कई ऐसे प्राचीन मंदिर मौजूद हैं जिनके पीछे पौराणिक कथाओं का भंडार है. रामायण और महाभारत काल की कहानियों को बया ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

जानकी मंदिर के बारे में मान्‍यता है कि माता सीता का जन्म इसी स्थल पर हुआ था.
पटना में पटन देवी मंदिर के बारे में मान्‍यता है कि वे स्‍वयं इस शहर की रक्षा करती हैं.

Famous Temples Of Bihar: बिहार राज्‍य कला और इतिहास के मामले में समृद्ध रहा है. यहां कई ऐसे पौराणिक मान्‍यताओं से जुड़े स्‍थल हैं जिसे भगवान सूर्य, माता जानकी, सती, भोलेनाथ से जोड़कर देखा जाता रहा है. यही वजह है कि यहां कई ऐसे मंदिर आज भी मौजूद हैं जिसको लेकर कई किदवंतियां कही जाती हैं और यही वजह है कि यहां हर साल लाखों की तादात में सैलानी परिवार का कष्‍ट दूर करने और मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए उम्‍मीद लेकर पहुंचते हैं. अगर आप भी इन जगहों को एक्‍सप्‍लोर करना चाहते हैं तो हम आपकी मदद कर सकते हैं. यहां हम बिहार के 5 फेमस मंदिरों की जानकारी दे रहे हैं जो जागृत हैं और यहां दर्शन के लिए भारी संख्‍या में लोग पहुंचते हैं.

बिहार के 5 फेमस प्राचीन मंदिर 

जानकी मंदिर, सीतामढ़ी
सीतामढ़ी शहर से 5 किलोमीटर पश्चिम पुनौरा गांव में एक भव्य जानकी मंदिर (Janaki Temple, Sitamarhi) है जिसे माता सीता का जन्म स्थल माना जाता है. इससे जुड़ी कहानी है कि एक बार मिथिला में भीषण अकाल पड़ा और राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी गई. महादेव की पूजा करने के बाद जब राजा जनक हल चला रहे थे तब जमीन से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में मिलीं. इस जगह पर अब एक हलेश्वर मंदिर है और मान्यता है कि विदेह नाम के राजा ने इस शिव मंदिर का निर्माण पुत्रेष्टि यज्ञ के लिए यहां करवाया. यहां एक जानकी कुंड नाम का सरोवर भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि स्‍नान करने से संतान की प्राप्ति होती है. इस जगह पर ही मां सीता का विवाह भी हुआ था और इसका साक्षी प्राचीन पीपल का पेड़ आज भी मौजूद है. बता दें कि ये जगह पटना से करीब 4 घंटे की दूरी पर मौजूद है जहां के बीच की दूरी करीब 138 किलोमीटर है. यहां आप रोड और ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं.

विष्‍णुपद मंदिर, गया
विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple) गया जिले में मोक्षदायिनी फल्गु नदी के किनारे मौजूद है जिसका वर्णन रामायण में भी किया गया है. यह मंदिर अपनी भव्‍यता और वैभवता के लिए भी जाना जाता है. इस मंदिर की ऊंचाई करीब 100 फीट है जबकि सभा मंडप में 44 पिलर लगे हैं. विष्णुपद मंदिर में 40 सेमी लंबे विष्‍णु का पदचिह्न मौजूद है जिसमें शंकम, चक्रम और गधम सहित नौ प्रतीक चिन्‍ह बने हैं.  बता दें कि यह एक ठोस चट्टान पर बना है और इस पर चांदी का वर्क किया गया है. भव्‍यता से पूर्ण इस मंदिर के नाम को लेकर मान्‍यता है कि गयासुर नामक राक्षस के नाम पर इसका नाम रखा गया था. इसके पीछे भी एक लंबी कहानी है. पितृपक्ष के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है और लोग पितरों के तर्पण के लिए यहां पहुंचते हैं. मान्‍यता है कि तर्पण के बाद भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन करने से समस्त दुखों का नाश होता है एवं पूर्वज पुण्यलोक को प्राप्त करते हैं. बता दें कि पटना से यहां तक की दूरी करीब 100 किलोमीटर है और आप यहां ट्रेन, बस, टैक्‍सी से भी आसानी से पहुंच सकते हैं.

महावीर मंदिर, पटना
देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक पटना का महावीर मंदिर(Mahavir Mandir, Patna). कहा जाता है कि 80 की दशक में इसे नया रंगरूप दिया गया. मान्‍यता है कि इस मंदिर से मिलने वाले प्रसाद को खाने मात्र से हर तरह की बीमारी दूर हो जाती है. पटना रेलवे स्‍टेशन से काफी करीब स्थित इस मंदिर में देश के कोने कोने से लोग दर्शन करने आते हैं और चढ़ावा चढ़ाते हैं. वैसे तो पूरे दिन यहां भक्‍तों की भीड़ रहती है लेकिन मंगलवार और शनिवार को खासी भीड़ उमड़ती है. इस मंदिर की खास बात यह भी है कि यहां बजरंग बली की युग्‍म यानी दो मूर्तियां एक साथ मौजूद हैं.

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पटन देवी मंदिर, पटना
बिहार की राजधानी पटना में पटन देवी मंदिर (Patan Devi Mandir) का इतिहास काफी रोचक माना जाता है. स्‍थानीय लोगों की यह मान्‍यता है कि यह मंदिर ही पटना शहर की रक्षा करता है और इसलिए मंदिर को रक्षिका भगवती पटनेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है. 51 शक्तिपीठों में से एक पटनदेवी मंदिर भी है जहां माता स‍ती का जांघ गिरा था. इस मंदिर के अंदर महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की मूर्तियां भी स्थापित हैं और नवरात्र के दिनों में यहां धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है. शादी के बाद नया जोड़ा यहां दर्शन को पहुचंते हैं और सौभाग्‍य व खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं.


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मिथिला शक्ति पीठ, दरभंगा
भारत और नेपाल के बॉर्डर के करीब दरभंगा में स्थित ये मिथिला शक्ति पीठ 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. सनातन धर्म में इस पीठ का बड़ा महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस स्‍थल पर देवी सती का वाम स्‍कंध यानी बाया कंधा गिरा था. इस मंदिर में देवी उमा और भगवान महोदर की मूर्ति स्‍थापित है जिसकी पूजा अर्चना के लिए दूर दूर से लोग पहुंचते हैं. इस शक्ति पीठ में उमा की पूजा महादेवी के रूप की जाती है. बता दें कि पटना से दरभंगा की दूरी 139 किलोमीटर है जहां आप ट्रेन से भी जा सकते हैं और रोड से भी. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

Tags: Lifestyle, Temples, Travel

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