प्रदीप की माने तो पिछले साल कोविड की वजह से जब लॉकडाउन लगा तो बाकी बिजनेस की तरह उनका भी बिजनेस प्रभावित हुआ. (सांकेतिक फोटो)
Delhi Food Joints: (डॉ. रामेश्वर दयाल) जब भी आप दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस (राजीव चौक) जाएंगे तो आपको वहां ऐसी दुकानें, शोरूम और खाने-पीने के ऐसे आउटलेट्स मिल जाएंगे जो सालों से देश के इस पहले ओपन मॉल में आज भी अपने जलवे बिखेर रहे हैं. सीपी के आउटर सर्कल में शंकर मार्केट के बाहर बने कई रेस्तरां सालों से कनॉट प्लेस में शोभायमान हैं. यहां के फायर ब्रिग्रेड के आगे राजमा चावल वाला तो शिवाजी स्टेडियम टर्मिनल पर कड़ी चावल वाला सालों से कनॉट प्लेस के आइकन (Icon) बने हुए हैं. ऐसी ही एक मिल्क शेक शॉप पर आपको लिए चलते हैं. जिसके बारे में कहा जाता है कि इस शॉप को सालों तक एक अंग्रेज ने चलाया और फिर बाद में भारतीय के जिम्मे यह काम आ गया.
इस दुकान पर मिलने वाले कुछ शेक सालों से चल रहे हैं और उनका स्वाद आज भी वैसा ही है. विशेष बात यह है कि इन शेक को गिलास के बजाय कांच की बोतलों में ही सर्व किया जाता है. सालों पहले यह शॉप स्टूडेंट्स की पसंदीदा थी और आज भी यहां आपको युवा शेक पीते दिख जाएंगे.
7 सिग्नेचर फ्लेवर सालों से लोगों का जी ललचा रहे
कनॉट प्लेस के इनर सर्कल में आप ए ब्लॉक में पहुंचेगे तो पेट्रोल पंप के पास ही आपको ‘शेक स्क्वेयर’ नाम की यह शॉप दिख जाएगी. इस दुकान का नाम इतना मशहूर है कि आप यहां पहुंचते ही किसी से पूछेंगे कि कांच की बोतल वाले मिल्क शेक की दुकान कहां है तो आपको तुरंत जानकारी मिल जाएगी. बहुत पहले इस शॉप पर चार शेक ही मिलते थे, लेकिन अब इसके सात शेक सिग्नेचर (Signature) माने जाते हैं, जिनका स्वाद सालों पहले जैसा था, वैसा आज भी है. इनमें स्ट्रेबरी, पाइनएप्पल, वनीला चॉकलेट, कॉफी, मैंगो और बटर स्कॉच शामिल है. आप ऑर्डर दीजिए, कांच की एक मोटी बोतल में स्ट्रॉ डालकर इनको पेश कर दिया जाएगा. यह कांच की बोतल वैसी है जो कुछ साल पहले तक दिल्ली मिल्क स्कीम (DMS) की सरकारी दूध के बूथ पर मिला करती थीं.
अब तो कई नए व कॉन्टिनेंटल फ्लेवर भी मिल रहे हैं
आधा लीटर का दूध से बना यह शेक इतना ठंडा होगा कि आपको ऐसा लगेगा कि दिमाग भी जमने जा रहा है. कभी-कभी तो जमे हुए शेक का चूरा आपके मुंह में भर जाएगा और आप हैरान हो जाओगे. इन सब शेक की कीमत 90 रुपये है. चूंकि मेट्रो के आने से कनॉट प्लेस टूरिज्म प्लेस बन चुका है, इसलिए यहां शेक के कई नए फ्लेवर भी तैयार कर लिए गए हैं. ये करीब एक दर्जन नए फ्लेवर हैं, जिनमें बबलगम, पिस्ता नट, कसाटा, रबड़ी कुल्फी और कॉन्टिनेंटल टेस्ट शामिल हैं. इस शॉप पर आजकल खाने-पीने का सामान भी मिलने लगा है, लेकिन कांच की बोतलों में भरा शेक ही इस दुकान की पहचान है. दिल्ली में सालों से रह रहा कोई वाशिंदा अगर कनॉट प्लेस आएगा तो उसकी कोशिश होगी कि इस शॉप का मिल्क शेक पीकर दिन बना लिया जाए.
अंग्रेजी काल से नाम कमा रही है मिल्क शेक की यह दुकान
इनके सिग्नेचर मिल्क शेक के स्वाद में कोई बदलाव नहीं हुआ है. ऑनर का कहना है जो स्वाद अंग्रेजों के वक्त था, वह आज भी है. शेक बनाने का इनका फार्मूला सीक्रेट है. हम आपको बताते चलें कि इस शॉप का नाम पहले ‘केवेंटर्स’ था. यह नाम अंग्रेज मालिको द्वारा दिया गया था. साल 1971 में इस दुकान अधिकार सुरेंद्र पाहूजा परिवार के पास आ गया. बाद में विभिन्न कारणों से साल 2011 में इस शॉप का नाम बदलकर ‘शेक स्क्वेयर’ हो गया. सुबह से लेकर रात तक कभी भी जाइए, शेक पीने वालों का मजमा यहां दिखाई देगा. सुबह 10 बजे यहा शेक मिलना शुरू हो जाता है और रात 11 बजे तक काम चलता रहता है. कनॉट प्लेस की इस मशहूर दुकान पर कोई अवकाश नहीं होता.
नजदीकी मेट्रो स्टेशन: राजीव चौक
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